आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वाद की चाह ने लोगों की खाने की आदतों को पूरी तरह बदल दिया है। जहां पहले लोग घर का सादा और पौष्टिक खाना पसंद करते थे, वहीं अब अधिकतर लोग बाजार के तीखे, मसालेदार और नमक से भरपूर फास्ट फूड या पैकेज्ड स्नैक्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं। चाट, समोसे, बर्गर, पिज्जा, नमकीन, बिस्किट और इंस्टैंट नूडल्स जैसे फूड्स में छुपा हुआ सोडियम धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है।
बहुत से लोगों को यह अंदाजा भी नहीं होता कि वे दिनभर में कितनी ज्यादा मात्रा में नमक खा रहे हैं। ऊपर से नमक छिड़कना, प्रोसेस्ड फूड खाना और बाहर के खाने में छिपे सोडियम को नजरअंदाज करना आम हो गया है। एक स्वस्थ वयस्क को दिनभर में अधिकतम 4-5 ग्राम यानी लगभग एक छोटा चम्मच नमक ही खाना चाहिए। लेकिन आज की लाइफस्टाइल में कई लोग इस मात्रा से दो या तीन गुना अधिक नमक खा रहे हैं। इस लेख में आकाश हेल्थकेयर के नेफ्रोलॉजी और किडनी प्रत्यारोपण के डॉ. विक्रम कालरा (Dr. Vikram Kalra, Additional Director, Nephrology & Kidney Transplantation, Aakash Healthcare) से जानिए, ज्यादा नमक खाने से क्या नुकसान होता है?
ज्यादा नमक खाने से क्या नुकसान होता है? - What Is The Side Effects Of Eating Too Much Salt
1. हाई ब्लड प्रेशर
रोजाना जरूरत से ज्यादा नमक खाने से शरीर में सोडियम का लेवल बढ़ता है, जिससे रक्तचाप (Blood Pressure) बढ़ने लगता है। हाई बीपी हार्ट अटैक और स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है। अगर आपकी उम्र 40 से ऊपर है और आप नियमित रूप से ज्यादा नमक खाते हैं, तो हाई बीपी की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
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2. दिल की बीमारियों का खतरा
ज्यादा नमक दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है। इससे दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है और दिल पर अधिक दबाव पड़ता है। लंबे समय तक अधिक नमक का सेवन करने वालों में दिल संबंधी रोग, जैसे कार्डियक अरेस्ट, हार्ट फेलियर और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
3. किडनी पर बुरा असर
नमक की अधिकता से किडनी को ब्लड को फिल्टर करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इससे धीरे-धीरे किडनी फंक्शन कमजोर हो सकता है। कई बार ज्यादा नमक के कारण शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है, जो पेशाब के जरिए बाहर निकलता है और इससे किडनी स्टोन (पथरी) बनने की आशंका भी बढ़ती है।
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4. हड्डियों की कमजोरी
रोजाना ज्यादा नमक हड्डियों से कैल्शियम खींच लेता है। इससे शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है और हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। महिलाओं में यह खतरा अधिक होता है, खासकर मेनोपॉज के बाद। इस स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं, जिसमें हड्डियां बेहद नाजुक हो जाती हैं।
5. सूजन और पानी रुकना - Water Retention
जब आप ज्यादा नमक खाते हैं तो शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पानी शरीर में जमा होने लगता है। इससे हाथ, पैर और चेहरा सूजने लगता है। इस स्थिति को वॉटर रिटेंशन कहते हैं। यह स्थिति ना केवल असहज होती है बल्कि किडनी और हार्ट के लिए भी जोखिमपूर्ण है।
6. मोटापा और थकावट
रोजाना ज्यादा नमक के सेवन करने से प्यास ज्यादा लगती है, जिससे कई लोग मीठे या शुगरी ड्रिंक्स का सेवन बढ़ा देते हैं। इससे कैलोरी इनटेक ज्यादा होता है और वजन तेजी से बढ़ता है। ज्यादा नमक का सेवन शरीर की कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है जिससे थकावट, सुस्ती और नींद की गुणवत्ता में गिरावट आती है।
निष्कर्ष
नमक स्वाद के लिए जरूरी है, लेकिन जब यह मात्रा से ज्यादा लिया जाए तो यह धीरे-धीरे कई बीमारियों को जन्म देता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जरूरी है कि हम अपने नमक सेवन पर ध्यान दें। छोटे-छोटे बदलाव जैसे प्रोसेस्ड फूड्स कम करना, पैकेज्ड स्नैक्स की जगह फल और सलाद को शामिल करना और भोजन में संतुलन बनाए रखना, हमारी सेहत को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।
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FAQ
नमक खाने की सही मात्रा क्या है?
नमक शरीर के लिए जरूरी होता है, लेकिन इसकी मात्रा सीमित होनी चाहिए। WHO के अनुसार, एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन अधिकतम 5 ग्राम (लगभग एक छोटा चम्मच) नमक का सेवन करना चाहिए। यह मात्रा खाने में छिपे हुए नमक को मिलाकर होती है, जैसे सब्जियों, दालों, स्नैक्स या पैकेज्ड फूड में। बच्चों, बुजुर्गों और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को इससे भी कम मात्रा में नमक लेना चाहिए।क्या हम रोज सेंधा नमक खा सकते हैं?
हां, हम रोजाना सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं। यह प्राकृतिक नमक होता है जिसमें सोडियम की मात्रा सामान्य सफेद नमक की तुलना में थोड़ी कम होती है और यह पचने में आसान होता है। आयुर्वेद में सेंधा नमक को सेहत के लिए लाभकारी माना गया है क्योंकि इसमें खनिज तत्व जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम पाए जाते हैं। यह पाचन सुधारने, गैस व एसिडिटी कम करने और त्वचा के लिए भी अच्छा माना जाता है।हाई बीपी में क्या दिक्कत होती है?
हाई बीपी यानी उच्च रक्तचाप में रक्त धमनियों में दबाव सामान्य से अधिक हो जाता है, जिससे हार्ट को रक्त पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसका असर दिल, दिमाग, किडनी और आंखों पर पड़ सकता है। लगातार हाई बीपी रहने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेल्योर और आंखों की रोशनी कम होने का खतरा बढ़ जाता है। मरीज को अक्सर सिर दर्द, चक्कर आना, धुंधली दृष्टि, सांस फूलना या थकावट महसूस होती है।