महाराष्ट्र के पुणे शहर में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के 22 संदिग्ध मामलों की रिपोर्ट के बाद, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इन मामलों में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई है। पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने इन मरीजों के नमूने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद को भेजे हैं। इन मामलों में से ज्यादातर मामले, सिंहगढ़ रोड क्षेत्र से सामने आए हैं। गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ और गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही नर्व्स को नुकसान पहुंचाने लगती है। यह आमतौर पर किसी इंफेक्शन या वायरस के अटैक के बाद होता है और नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे कमजोरी, सुन्नता और यहां तक कि पैरों या हाथों की गति में कमी हो सकती है। इस सिंड्रोम का खतरा किसे ज्यादा होता है, यह जानना जरूरी है ताकि समय पर सावधानियां बरती जा सकें। इस लेख में हम गुलियन बेरी सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन से बात की।
किन लोगों को ज्यादा होता है गुलियन बेरी सिंड्रोम का खतरा?- Who Are at Risk of Guillain Barre Syndrome
बुजुर्ग
बुजुर्गों में गुलियन बेरी सिंड्रोम का खतरा ज्यादा होता है, खासकर उन व्यक्तियों में जो उम्र के साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। 50 वर्ष और उससे ऊपर के लोग गुलियन बेरी सिंड्रोम के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होते हैं।
जिन्हें पहले वायरल इंफेक्शन हुआ हो
गुलियन बेरी सिंड्रोम आमतौर पर किसी वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के बाद होता है। खासतौर से एच1एन1 इन्फ्लूएंजा और जापानी इंसेफलाइटिस जैसे इंफेक्शन के बाद यह सिंड्रोम विकसित हो सकता है। अगर किसी का पहले इस इंफेक्शन का सामना हुआ हो, तो उनका जोखिम ज्यादा हो सकता है।
जिन्हें वैक्सीनेशन के बाद समस्या हो
हालांकि गुलियन बेरी सिंड्रोम का वैक्सीनेशन से कोई सीधा संबंध नहीं होता, लेकिन कुछ लोगों में खासकर फ्लू वैक्सीनेशन या अन्य टीकों के बाद इसके लक्षण विकसित हो सकते हैं। हालांकि, यह स्थिति बहुत दुर्लभ है।
फ्लू के बाद
जो लोग फ्लू या अन्य किसी गंभीर इंफेक्शन का शिकार होते हैं, उन्हें गुलियन बेरी सिंड्रोम होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे मामलों में अक्सर शरीर का इम्यून सिस्टम नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है।
जिनका पारिवारिक इतिहास हो
हालांकि गुलियन बेरी सिंड्रोम ज्यादातर इंफेक्शन के बाद होता है, फिर भी कुछ अध्ययन बताते हैं कि जिन परिवारों में पहले से इस बीमारी के केस रहे हों, उनमें जोखिम ज्यादा हो सकता है।
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गुलियन बेरी सिंड्रोम से बचाव के उपाय- Guillain Barre Syndrome Prevention Tips
- इस बीमारी से बचने के लिए अपने आसपास साफ-सफाई का पालन करें।
- फ्लू, एच1एन1 और अन्य वायरल इंफेक्शन से बचने के लिए टीकाकरण करवाना न भूलें।
- हाथ धोने, मास्क पहनने और भीड़-भाड़ से बचने जैसे उपायों को अपनाएं।
- अगर मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता या असामान्य दर्द महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
- उचित आहार, विटामिन-सी और एंटी-ऑक्सिडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- स्ट्रेस को कम करने के उपायों जैसे योग और ध्यान भी शरीर को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
गुलियन बेरी सिंड्रोम एक दुर्लभ और खतरनाक स्थिति हो सकती है, लेकिन इसे सावधानी और जागरूकता के साथ कंट्रोल किया जा सकता है।
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