GB Syndrome spreading in Maharashtra Mumbai in Hindi:दुनियाभर में आए दिन कोई न कोई बीमारी या वायरस देखने को मिल रहे हैं। आपने देखा होगा कि पिछले कुछ महीनों में एमपॉक्स और कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़े थे। अभी तक इन बीमारियों की मार से लोग ठीक तरह से उभरे नहीं हैं कि आए दिन नए-नए वायरस की पुष्टि हो रही है। हाल ही में महाराष्ट्र में GB सिंड्रोम नामक एक नया वायरस देखा जा रहा है। गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले दिनों पुणे में इस वायरस ने तेजी से कोहराम मचाया, जिसके बाद अब यह सिंड्रॉम मुंबई में भी लोगों के लिए खतरे का सबब बन रहा है। इस वायरस को लेकर न केवल स्वास्थ्य विभाग बल्कि लोगों में भी चिंता का विषय बना हुआ है। (GB Syndrome Total Deaths in Hindi)
मुंबई में हुई GB सिंड्रोम से पहली मौत (First Death Due to GB Virus in Mumbai)
पुणे के बाद अब मुंबई में जीबीएस सिंड्रॉम से होने वाली मौत का सिलसिला शुरू हो गया है। मुंबई में हाल ही में इस बीमारी से संक्रमित एक 53 वर्षीय मरीज की मौत (First Death Due to GB Virus in Mumbai) हो गई है। मृतक को संक्रमित होने के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। बता दें कि मृतक बीएमसी के बीएन देसाई अस्पताल के वार्ड बॉय के तौर पर काम कर रहा था। बता दें कि महाराष्ट्र में इस वायरस की वजह से अबतक कुल 8 लोगों की मौत दर्ज की गई है।
क्या है GB सिंड्रोम? (What is GB Syndrome in Hindi)
GB सिंड्रोम एक प्रकार की दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। इस बीमारी के लक्षण काफी हद तक स्वाइन फ्लू से मिलते-जुलते हैं। इस सिंड्रॉम से पीड़ित होने के बाद कमरीज के नर्वस सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है। GB सिंड्रॉम से रिकवर होने में कई बार व्यक्ति को कुछ हफ्तों से लेकर कुछ साल तक का भी समय लग सकता है। इस बीमारी से पीड़ित होने पर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम अपने ही नर्वस सिस्टम के लिए खतरा बन जाता है। इम्यून सिस्टम हमारे पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर अटैक करने लगता है।
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GB सिंड्रोम के लक्षण (GB Syndrome Symptoms in Hindi)
- इस सिंड्रॉम के होने पर मरीज की शरीर में कई बदलाव देखे जा सकते हैं।
- ऐसे में आपको मांसपेशियों में कमजोरी आने के साथ-साथ झुनझुनाहट की भी समस्या हो सकती है।
- GB सिंड्रोम से संक्रमित होने पर आपको देखने में कठिनाई का भी सामना करना पड़ सकता है।
- इस स्थिति में पैर और कमर आदि में दर्द महसूस हो सकता है।
- कई बार चलने-फिरने या बैलेंस बनाने में भी कठिनाई हो सकती है।
- कुछ मामलों में मरीज को निगलने और सांस लेने में भी समस्या हो सकती है।