क्या आपने कभी थैलेसेमिया (Thalassemia) नामक बीमारी के बारे में सुना है? थैलेसेमिया को एप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anemia) के नाम से भी जाना जाता है। थैलेसेमिया एक रक्त से जुड़ी बीमारी है, जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन बनने की प्रक्रिया रुक जाती है (The Process of Hemoglobin Formation Stops)। यह एक आनुवांशिक रोग (Genetic Disease) है, जो बच्चों को अपने माता-पिता के जरिए मिलता है। थैलेसेमिया होने पर शरीर में कमजोरी, हड्डियों में दर्द और त्वचा का पीला पड़ना जैसे लक्षण नजर आते हैं। इससे पीड़ित लोगों के शरीर में ऑक्सीजन और आयरन (Oxygen and Iron) की कमी रहती है, जिसकी वजह से शरीर में पीलापन नजर आता है। इनके शरीर में खराब रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells) ऑक्सीजन को अच्छे से अवशोषित नहीं कर पाते हैं, जिससे थकान और कमजोरी महसूस होती है। कल विश्व थैलेसेमिया दिवस (World Thalassemia Day) है, इसलिए इस मौके पर हम आपको थैलेसेमिया से पीड़ित रोगियों के डाइट प्लान के बारे में बताने जा रहे हैं। राम हंस चेरीटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा से जानें थैलेसेमिया में क्या खाएं और क्या नहीं। साथ ही थैलेसेमिया से पीड़ित लोगों को अपने जीवनशैली के बारे में क्या-क्या बदलाव करने चाहिए, यह भी जानें। (What to Eat and Avoid in Thalassemia or Aplastic Anemia)
थैलेसेमिया क्या है (What is Thalassemia)
थैलेसेमिया रक्त से जुड़ा एक रोग है। यह एक अनुवांशिक (जेनेटिक) रोग है, जिसमें हीमोग्लोबिन के बनने की प्रक्रिया बिगड़ जाती है यानी खून में हीमोग्लोबिन बनना बंद हो सकता है। यह रोग ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलता है। थैलेसेमिया दो तरह के होते हैं-इसमें माइनर थैलेसेमिया और मेजर थैलेसेमिया (Minor Thalassemia and Major Thalassemia) शामिल हैं। थैलेसेमिया मां-बाप के शरीर में मौजूद क्रोमोजोम (Chromosome) के कमजोर या खराब होने से होता है। अगर क्रोमोजोम दोनों के शरीर में खराब होते हैं, तो इससे मेजर थैलेसेमिया होता है। लेकिन अगर किसी एक के शरीर में क्रोमोजोम खराब होता है, तो यह माइनर थैलेसीमिया होता है। इस दौरान मरीज के शरीर में खून नहीं बन पाता है, जिससे कई तरह की दूसरी समस्याएं भी जन्म ले लेती हैं। इसमें मरीज के शरीर में खून की कमी हो जाती है, जिससे उसे बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। थैलेसेमिया में रेड ब्लड सेल्स की उम्र कम होने लगती है। इतना ही नहीं थैलेसेमिया के बाद एनीमिया (Anemia) होने की भी संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है। इसलिए इस दौरान आपको अपने खाने-पीने की आदतों पर काफी ध्यान देने की जरूरत होती है। इस दौरान आपको रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों (Eat Foods Which Increase Red Blood Cells in Body) का ज्यादा सेवन करना चाहिए।
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थैलेसेमिया के लक्षण (Symptoms of Thalassemia)
- - थकान और कमजोरी (Fatigue and Weakness)
- - हड्डियां में दर्द रहना (Bones pain)
- - त्वचा का पीला पड़ जाना (Skin Yellowing)
थैलेसेमिया में क्या खाएं (What to Eat in Thalassemia)
वैसे तो थैलेसेमिया में आपको कुछ ही चीजों से परहेज करना चाहिए। लेकिन कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, अगर आप इनका सेवन करेंगे तो इससे आपको इसके लक्षणों में कमी देखने को मिल सकती है। इस दौरान आपको ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिससे आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन की पूर्ति हो सके। इसलिए इस दौरान अपनी डाइट को नजरअंदाज बिल्कुल न करें और स्वस्थ खाना खाने की आदत को अपनाएं।
फॉलिक एसिड युक्त भोजन (Folic Acid Rich foods)
फॉलिक एसिड शरीर में नए ब्लड सेल्स बनाने के लिए जरूरी होते हैं। इसलिए आपको इसका सेवन जरूर करना चाहिए। फॉलिक एसिड लेने के लिए आप बींस, मटर, केला, मकई, नाशपाती, पालक, अनानास और चुकंदर ले सकते हैं। इससे आपके शरीर में नए ब्लड सेल्स बनेंगे और आपको थैलेसेमिया से धीरे-धीरे आराम मिलेगा।
विटामिन बी12 का करें सेवन (Intake Vitamin B12)
विटामिन बी12 भी फॉलिक एसिड की तरह ही शरीर में नए ब्लड सेल्स बनाने में मदद करते हैं। ऐसे में थैलेसेमिया के दौरान आपको विटामिन बी12 के खाद्य पदार्थों का भी सेवन आपको जरूर करना चाहिए। इसके लिए आप दूध और पत्तेदार सब्जियों का सेवन कर सकते हैं। इनमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी12 पाया जाता है, जो आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं। आपको सब्जियों को अच्छे से पकाकर खाना चाहिए।
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विटामिन सी भी है जरूरी (Vitamin C is Also Important)
विटामिन सी शरीर में आयरन के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए आपको थैलेसेमिया के दौरान विटामिन सी का सेवन करना चाहिए। सभी खट्टे फलों में बहुत ज्यादा मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। इसके लिए आप संतरा, नींबू, कीवी, स्ट्रॉबेरी और शिमला मिर्च का सेवन कर सकते हैं। आप चाहें तो विटामिन सी से भरपूर अन्य खाद्य पदार्थों को भी सेवन कर सकते हैं।
आयरन रिच फूड (Iron Rich Foods)
थैलेसेमिया के मरीजों के शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। ऐसे में उन्हें ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिससे हीमोग्लोबिन बढ़े और शरीर में आयरन की कमी दूर हो। इसके लिए चुकंदर, अनार, पालक, सेब, किशमिश, अंजीर और बादाम का सेवन कर सकते हैं। इससे आपके शरीर में रेड ब्लड सेल्स बढेंगे। आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह पर आयरन सप्लीमेंट भी ले सकते हैं। हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए सप्लीमेंट्स भी लाभकारी हो सकते हैं। लेकिन इसका सेवन हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही आपको करना चाहिए।
इन खाद्य पदार्थों का भी कर सकते हैं सेवन (These Foods Can Also be Consumed)
- - मूंग और मसूर की दाल
- -फलों में आप अमरूद, कीवी, स्ट्रॉबेरी, अनार, नाशपाती, अनानास और चकोतरा ले सकते हैं।
- - चुकंदर, मौसमी सब्जियां, बींस, मटर, ब्रोकली, गाजर, परवल और पालक भी थैलेसीमिया के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
थैलेसेमिया में इन चीजों से करें परहेज (Avoid These Things in Thalassemia)
किसी भी बीमारी में हमें परहेज करना जरूरी होता है। परहेज करने से हम बीमारी को जल्दी हरा सकते हैं। ऐसे में थैलेसेमिया के मरीजों को भी कुछ चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। जैसे-
- - मैदा
- - उड़द, चना
- - आलू
- - बैंगन और भिंडी
- - फास्ट फूड और जंक फूड
- - बेकरी प्रोडक्ट्स
- - ज्यादा मात्रा में नमक
- - देर से पचने वाले खाद्य पदार्थ
- - चाय और कॉफी जैसे कैफिन युक्त पदार्थों से भी दूरी बनाकर रखें।

थैलेसेमिया में रखें इन बातों का ध्यान (Keep These Things in Mind in Thalassemia)
- - थैलेसेमिया के दौरान आपको गर्मी से बचना चाहिए।
- - खाने को अच्छे से पकाकर खाना चाहिए। कच्चे और अधपके भोजन का सेवन न करने से बचें।
- - हमेशा हल्का और ताजा भोजन खाएं।
- - दिनभर की कोई भी मील स्किप न करें।
- - ओवरइटिंग करने से भी आपको बचना चाहिए।
- - भोजन को अच्छे से चबा-चबाकर खाएं।
- - खाना खाने के बाद 5-10 मिनट जरूर टहलें।
- - कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लें।
- - नियमित रूप से योग करें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
अगर आपको या आपके किसी अपने को थैलेसेमिया की बीमारी है, तो उनके लिए ये डाइट काफी फायदेमंद हो सकती है। लेकिन अगर आपको ज्यादा समस्या हो तो आपको एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। डॉक्टर आपकी स्थिति को देखकर आपको दवाइयों और डाइट के बारे में बता सकते हैं। साथ ही अगर आपको थैलेसेमिया के लक्षण नजर आए तो समय पर आपको इसकी जांच करवा लेनी चाहिए, क्योंकि गंभीर रूप लेने के बाद इसे ठीक करने में समय लग सकता है। इसलिए समय रहते इसे बारे में पता लगाए और डॉक्टर की सलाह पर अपना इलाज करवाएं।
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