पार्किंसंस रोग (Parkinson Disease) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की एक गंभीर बीमारी है, जो मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में कोशिकाओं के नुकसान का कारण बनता है, जो डोपामाइन का उत्पादन करते हैं।यह बीमारी आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक आयु वालों को प्रभावित करती है। JAMA न्यूरोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि पार्किंसंस का बुढ़ापे में जिन रोगियों का इलाज किया गया है, उनमें बीमारी की शुरुआत के साथ अधिक मोटर नर्व की हानि होती है। इसकी वजह ये है कि पहले पार्किंसंस रोग के लक्षण धीरे-धीरे और हल्के होते हैं, जिसे लोग अक्सर पहचान नहीं पाते और इलाज तक बीमारी बढ़ जाती है। अगर आपके माता-पिता की आयु 60 वर्ष होने के करीब है, तो आपको इस बीमारी के शुरुआती संकेत (Parkinson Disease Symptoms) को जरूर जान लेना चाहिए।
उम्र बढ़ने के साथ माता-पिता कैसे हो सकते हैं पार्किंसंस रोग के शिकार
दरअसल माता-पिता के बढ़ती हुई उम्र के साथ हमें उन्हें लेकर थोड़ा सेंसिटिव होना चाहिए। ऊपर से पार्किंसंस रोग धीमे-धीमे बढ़ता है और हम इसे समझ नहीं पाते। एजिंग रिसर्च समीक्षा पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, उम्र बढ़ने से मस्तिष्क के भीतर कई तनाव पैदा हो जाते हैं, जो न्यूरॉन्स को कमजोर कर देते हैं। रोग की शुरुआत में एक्टिव रिएक्शन देने की उनकी क्षमता कम हो जाती है। बीमारी को जल्दी पकड़ने से आपको अपने माता-पिता को बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है। तो आइए जानते हैं पार्किंसन रोग शुरुआती के संकेत।
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मनोभावों पर नियंत्रण न रख पाना
जब किसी व्यक्ति के शरीर में पार्किंसंस रोग की शुरुआत हो रही होती है तो प्रारंभिक चरण में उस व्यक्ति का अपने कुछ मनोभावों पर नियंत्रण नहीं रहता है। जैसे, अपने चेहरे से अपनी भावनाओं को दर्शाने में उसे दिक्कत होती है। व्यक्ति हंसना चाहता है लेकिन इसके लिए उसे अपने चेहरे से पूरा सहयोग नहीं मिल पाता है। वॉकिंग के दौरान उसका कोई एक हाथ सामान्य तरीके से मूवेंट नहीं करता है।
चलने-फिरने की गति को धीमा होना
कंपकंपी आना, लगातार अंग में कंपन्न होना या ट्रेमर उस स्थिति को कहते हैं, जब किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध उसके शरीर का कोई हिस्सा हिलने लगता है और खुद ही शांत भी हो जाता है।पार्किंसंस रोग के सबसे आम लक्षण हैं उंगली और हाथ या पैर का हल्का हिलना। साथ ही जब व्यक्ति अकेले बैठता है तो बिना सोचे समझे ही अपने हाथ और पैरों को हिलाता रहता है।सामान्य तौर पर पार्किंसंस के लक्षण हाथ से शुरू होते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते रहते हैं। अगर वक्त पर ध्यान ना दिया जाए तो यह बीमारी व्यक्ति के चलने-फिरने की गति को धीमा कर देती है।
मसल्स का सख्त होना
पार्किंसंस की शुरुआत में शरीर के किसी भी प्रभावित हिस्से की मांसपेशियां सामान्य से अधिक सख्त होने लगती हैं। धीरे-धीरे इनकी ये स्टिफनेस और अधिक बढ़ सकती है। कई बार उंगलियां या अंगूठा किसी एक तरफ झुकने या घूम जाने की दिक्कत भी हो सकती है।
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नींद न आना या ज्यादा आना
बीमारी के शुरुआती संकेतों में बेकाबू चीजें शामिल हैं, जैसे कि आपके माता-पिता को नींद न आना या बहुत नींद आना।पार्किंसंस की बीमारी आमतौर पर तब होती है, जब किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में तंत्रिका तंत्र संबंधी कोशिकाएं कमजोर पड़ने लगती हैं। ऐसे में शरीर की सारी रेगुलर गतिविधियों में आने लगता है।
ये भी हो सकते हैं पार्किंसंस की शुरुआत संकेत
- -संतुलन बनाने में समस्या
- -बोलने में परेशानी या आवाज बदल जाना
- -पेशाब से जुड़ी समस्याएं
- -डिप्रेशन
- -उठने बैठने के तरीके में बदलाव आ जाना
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