
क्या कोरोना वायरस से ठीक हो चुके मरीजों को दोबारा कोरोना वायरस संक्रमित कर सकता है? जानें वैज्ञानिक और हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बारे में क्या कह रहे हैं।
कोरोना वायरस ने हमारी पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है। चीन के वुहान शहर से 6 महीने पर पहले निकला ये वायरस पूरी दुनिया में फैलकर अब तक 57 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है और 3.5 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। 6 महीने बाद भी इस वायरस की वैक्सीन तो दूर, इसकी प्रकृति के बारे में भी ठीक से जानकारी नहीं हो पाई है। दुनिया के कई देशों ने वायरस को काफी हद तक कंट्रोल करने में सफलता पा ली है, लेकिन आए दिन कुछ मामले ऐसे आ रहे हैं, जिनमें कोविड-19 से एक बार ठीक होने के बाद भी व्यक्ति को दोबारा ये वायरस संक्रमित कर रहा है। जबकि इम्यून सिस्टम की सामान्य समझ के ऐसा इतनी जल्दी नहीं होना चाहिए। तो क्या सभी को एक बार ठीक हो जाने के बाद भी दोबारा कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा होता है? जानिए इस बारे में वैज्ञानिकों ने अब तक क्या पता लगाया है।
क्या शरीर जो एंटीबॉडीज बना रहा है, वो कोरोना वारयरस से नहीं बचा पाती हैं?
किसी भी वायरस के शरीर में प्रवेश करने पर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम इससे बचाव और रक्षा के लिए एंटीबॉडीज बनाता है। कोरोना वायरस के मामले में भी वही मरीज जल्द ठीक होकर घर लौट रहे हैं, जिनकी इम्यूनिटी अच्छी है और जिनका शरीर इस वायरस के खिलाफ सही समय पर एंटीबॉडीज बना ले रहा है। लेकिन कई मामलों में लोगों के कुछ दिनों बाद ही दोबारा संक्रमित हो जाने से वैज्ञानिकों के सामने ये चिंता आ गई है कि मनुष्य का शरीर कोरोना वायरस के खिलाफ जो एंटीबॉडीज बना रहा है, वो आखिर कितने समय तक इस वायरस से उसकी रक्षा कर सकता है?
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कहीं दोबारा अटैक करने वाला वायरस पहले वाले से अलग तो नहीं?
यूएस स्थित Fred Hutchinson Cancer Research Center के इंफेक्शियस डिजीज एक्सपर्ट Dr Joshua Schiffer कहते हैं, "कोरोना वायरस से लोगों के दोबारा जल्दी संक्रमित होने की खबरें चिंताजनक हैं। हालांकि ऐसे व्यक्तियों पर और अधिक शोध करने की जरूरत है। ऐसा संभव है कि व्यक्ति पहले जिस कोरोना वायरस का शिकार हुआ हो, दूसरी बार शिकार बनाने वाले कोरोना वायरस का जेनेटिक स्ट्रक्चर पहले वाले से अलग रहा हो, इसलिए उस व्यक्ति का इम्यून सिस्टम उसकी रक्षा न कर पाया हो।" डॉ. जोशवा ने यह भी कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि दूसरी बार संक्रमित होने पर उस व्यक्ति के लक्षण पहले संक्रमण से कितने अलग हैं और दूसरा इंफेक्शन कितने दिनों तक चलता है।
डॉ. जोशवा के अनुसार अगर कुछ लोगों में दोबारा संक्रमण के मामले सामने भी आए हैं, तो इससे यह सिद्ध नहीं होता है कि कोरोना वायरस से ठीक होने वाले हर व्यक्ति को दूसरी बार संक्रमित होने का खतरा है।
साउथ कोरिया में क्यों मिले दोबारा संक्रमण के मामले?
रिपोर्ट्स के अनुसार दोबारा संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले साउथ कोरिया में सामने आए थे। मगर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बाद में स्पष्ट किया कि ठीक हो चुके मरीजों की दोबारा जांच करने पर रिजल्ट जरूर पॉजिटिव आए थे, लेकिन उन्हें संक्रमण नहीं था। दरअसल पीसीआर टेस्ट में इस वायरस के जेनेटिक मैटीरियल से इसकी पहचान करके रिजल्ट बताया जाता है। और दक्षिण कोरिया में ठीक हो चुके इन मरीजों की दोबारा जांच में जो वायरस पाए गए वो डेड लंग सेल्स में थे। इसका मतलब है कि वो वायरस एक्टिवेट नहीं थे। इसलिए संक्रमण न होते हुए भी रिजल्ट पॉजिटिव पाया गया।
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कुछ लोगों को ठीक होने में ज्यादा समय क्यों लग रहा है?
कोरोना वायरस के कारण बहुत सारे लोगों में तो अब लक्षण भी नहीं दिखाई दे रहे हैं या बहुत सामान्य लक्षण दिखाई दे रहे हैं। वहीं कुछ मरीज ऐसे भी हैं जिन्हें ठीक होने में महीनों लग रहे हैं। London School of Hygiene and Tropical Medicine के इंफेक्शियस डिजीज एपिडेमेलॉजी के प्रोफेसर डेविड हेमैन कहते हैं, "कुछ लोग बहुत जल्दी अच्छा महसूस करने लगते हैं और बुखार कम होने के साथ-साथ उनके लक्षण जल्दी खत्म हो जाते हैं। वहीं कुछ लोगों के शरीर में ये वायरस रेस्पिरेटरी ड्रिस्ट्रेस पैदा कर देता है। कुछ लोगों का इम्यून सिस्टम देर से रिस्पॉन्स करता है, जिससे शरीर के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाते हैं, इसलिए कुछ लोगों को रिकवर होने में बहुत ज्यादा समय लगता है।
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