एक वायरस के कारण दुनिया रुकी हुई है। इसे चलाना होगा वर्ना वायरस से ज्यादा लोग भूख, बेकारी और दूसरे रोगों से मर जाएंगे। मगर किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि वैक्सीन बनने तक या कम से कम कोरोना को रोकने तक दुनिया को कैसे खोला जाए? भारत सहित दुनियाभर के देशों ने आर्थिक दबावों के कारण धीरे-धीरे लॉकडाउन खोलना शुरू कर दिया है। इससे एक बार फिर से कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। भारत में पिछले दिनों में हर रोज लगभग 4-5 हजार नए मामले सामने आने लगे हैं और सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है। कुछ लोग लॉकडाउन में छूट के कारण चिंतित हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि कोरोना वायरस के मरीज बढ़ते गए तो स्थिति भयावह होगी। ऐसे लोगों का मानना है कि सख्त लॉकडाउन को चालू रखा जाए, चाहे आर्थिक गतिविधि न हो। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो चाहते हैं कि आर्थिक गतिविधियों को चालू कर दिया जाए, चाहे लोग मरते रहें, क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया, तो लोग भूख से मर जाएंगे।
दुनिया को चलाने और कोरोना को हराने का यही है सबसे सटीक फार्मूला
लोगों और सरकारों के बीच ऐसी कंफ्यूजन की स्थिति सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुनिया के लगभग सभी देशों में है। इसीलिए तमाम आंकड़ों और स्थितियों का अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिकों ने दुनिया को चलाने का एक नया फार्मूला खोजा है। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि जब तक कोरोना वायरस को खत्म नहीं कर लिया जाता है, तब तक देशों को लॉकडाउन का ये नियम फॉलो करना चाहिए- 50 दिन बंद, 30 दिन छूट।
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क्या है 50 दिन बंद, 30 दिन छूट का मतलब?
सबसे पहले तो आपको बता दें कि ये बात कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के योग्य वैज्ञानिकों ने कई अध्ययनों के बाद कही है, इसलिए संभव है कि दुनिया की सरकारें इस फार्मूला के बारे में सोचें और अपने यहां लागू करें। इस अध्ययन को European Journal of Epidemiology में छापा गया है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोरोना वायरस को खत्म करना है, साथ ही दुनिया भी चलाना है, तो हमें अगले कुछ सालों तक रेगुलर लॉकडाउन करना पड़ेगा। इस लॉकडाउन के लिए वैज्ञानिकों ने बताया कि 50 दिन तक सख्त लॉकडाउन बरता जाए, जिसमें किसी तरह की कोई छूट न हो। इसके बाद 30 दिन के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरी सुरक्षा व्यवस्था देकर थोड़ी छूट के साथ लॉकडाउन को खोल दिया जाए। फिर अगले 50 दिन सख्त लॉकडाउन और फिर अगले 30 दिन छूट... इस तरह कम से कम 1 साल 6 महीने तक हमें ये चक्र अपनाना होगा।
कुछ न किया तो 6 महीने में मरेंगे 78 लाख लोग
वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर कुछ न किया गया तो लगभग 200 दिनों में ये वायरस अपने आप समाप्त हो सकता है। मगर वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक इन 6.5 महीनों (200 दिनों) में 16 देशों के लगभग 7.8 मिलियन (78 लाख) लोग मर सकते हैं। वहीं अगर 50 दिन लॉकडाउन और 30 दिन छूट का फार्मूला अपनाकर मौतों के आंकड़े को बहुत हद तक रोका जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार अगर 50-30 का फार्मूला अपनाया गया तो वायरस को अधिकतम 0.8 के औसत तक रोका जा सकता है, यानी 10 में से सिर्फ 8 लोग वायरस से संक्रमित होंगे और 2 लोग सुरक्षित रहेंगे। हालांकि इस फार्मूला को अपनाने के लिए भी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में भारी व्यवस्था करनी पड़ेगी, ताकि संक्रमित मरीजों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में ठीक किया जा सके।
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इस 50-30 के मॉडल से कम मरेंगे लोग?
डॉ. चौधरी और उनकी टीम का मानना है कि इस 50-30 के मॉडल को मानने से ये वायरस लगभग 12 महीने से 18 महीने तक रहेगा और इसके कारण 16 देशों के लगभग 35 लाख लोग मरेंगे। लेकिन ये उस स्थिति से कहीं बेहतर है, जिसमें 78 लाख लोगों के मरने की आशंका जताई गई है।
क्या होगा इस लॉकडाउन का फायदा?
वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर सरकारें पूरी तरह लॉकडाउन खोल देती हैं, तो अगले 6 महीने में ये वायरस करोड़ों लोगों की जान ले लेगा। इसलिए कम से कम लोग मरें, इसके लिए यही फार्मूला उचित मालूम पड़ता है। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि जब लॉकडाउन रहे तो पूरी सख्ती के साथ रहे, ताकि वायरस को कंट्रोल किया जा सके। ये अध्ययन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एपिडेमोलॉजिस्ट डॉ. राजीव चौधरी और उनकी टीम ने किया है। अध्ययन में दुनिया के 16 देशों की स्थिति और आंकड़ों को शामिल किया गया है। ये देश हैं- भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, चिली, द नीदरलैंड्स, श्री लंका, साउथ अफ्रीका, मैक्सिको, कोलम्बिया, बांग्लादेश, नाइजीरिया, युगांडा, तंजानिया, अफगानिस्तान और बरकिना फासो।
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