कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या और मरने वालों का आकंड़ा लोगों को पहले जैसा नहीं चौंकाता क्योंकि वो इसके अभ्यस्त हो गए हैं। मगर खतरा टलना तो दूर, थमने का भी नाम नहीं ले रहा है। इस वायरस ने अब तक 41,80,000 से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया है। वहीं 2,83,000 से ज्यादा लोग इस वायरस के कारण अब तक मर चुके हैं।
अगर सिर्फ भारत की बात करें, तो आंकड़े पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा बढ़े हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में सिर्फ रविवार को ही 4213 नए मरीज सामने आए हैं, जिसके बाद मरीजों की संख्या 67,152 हो गई है, जबकि मरने वालों का आंकड़ा 2206 तक पहुंच गया है।
लगातार बदल रहा है कोरोना वयारस
जिस तरह से कोरोना वायरस के बारे में रोज वैज्ञानिक नई चीजें खोज रहे हैं, उससे यह अंदाजा लगाना सहज है कि वायरस की पूरी तरह जानकारी के बिना वैक्सीन बनाना कितना चुनौती भरा काम है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और ब्रिटेन के कुछ शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि कोरोना वायरस तेजी से अपना स्वरूप बदल रहा है। अब तक सैकड़ों ऐसे बदलाव नोटिस किए जा चुके हैं।
इसे भी पढ़ें: 100 से ज्यादा वैक्सीन पर ट्रायल जारी लेकिन WHO एक्सपर्ट की चिंता- संभव है कभी न बन पाए कोरोना वायरस की वैक्सीन
टॉप स्टोरीज़
क्या कोरोना वायरस में नए बदलाव खतरनाक हैं?
वायरसों में बदलाव आना सामान्य बात होती है। हर वायरस अपना रूप बदलता है। मगर कोरोना वायरस के संदर्भ में ये इसलिए चिंता जनक है क्योंकि कोरोना वायरस का बदला हुआ स्वरूप और अधिक संक्रामक हो सकता है या फिर मरीज को और अधिक गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। नई रिसर्च के मुताबिक वैज्ञानिकों ने अभी कोरोना वायरस के स्वरूप में जो बदलाव सबसे हावी रूप से नोटिस किया है, वो D614G है। हालांकि अभी वैज्ञानिक आश्वस्त नहीं हैं, मगर कहा जा रहा है कि इस बदलाव के कारण कोरोना वायरस पहले से अधिक संक्रामक हो गया है। इस रिसर्च का आधार ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इंफ़्लुएंज़ा डेटा (GISAD) डाटा है।
लगातार बदलाव के कारण वैक्सीन बनाने में हो सकती है देरी
वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस में बदलाव वैसे कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है। लेकिन अगर ये वायरस तेजी से अपना स्वरूप बदलता रहा, तो इस वायरस के लिए वैक्सीन बनाने में थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस बदलाव पर लगातार नजर रखने की जरूरत है, ताकि इसके पैटर्न को समझा जा सके।
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में भी एक स्टडी में बताया गया है कि उन्होंने नए कोरोना वायरस में 198 बदलावों की पहचान की है। हाल में अमेरिकी और ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने जिस बदलाव (D614G) को खोजा है, उससे भी सिर्फ वायरस के ज्यादा संक्रामक होने का ही गुण दिखा है, न कि गंभीर होने का।
फिलहाल वैज्ञानिक वायरसों के अपने पूर्वज्ञान और नए बदलावों के आधार पर ये बातें कह रहे हैं, इसलिए जब तक गहरी रिसर्च के द्वारा इन बातों को पुष्ट नहीं कर लिया जाता, तब तक इन्हें तथ्यात्मक रूप से सत्य मानना भी सही नहीं है।
इसे भी पढ़ें: WHO की चेतावनी- यह बीमारी इतनी जल्दी पीछा नहीं छोड़ने वाली, लॉकडाउन खोलने के बाद दोबारा बढ़ेगा खतरा
अगर वैक्सीन नहीं बनी तो क्या होगा?
बहुत सारे लोग इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि अगर कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं बनी और ये वायरस इसी गति से संक्रामक बना रहा, तो क्या होगा? मगर हम आपको बता दें कि दुनिया ने अब इस ओर ध्यान देना शुरू कर दिया है कि वायरस की वैक्सीन नहीं बनी, तो इसे कैसे हैंडल किया जा सकता है। पहले कोरोना वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन को प्रभावी माना जा रहा था, मगर यही कारण है कि अब ज्यादातर देशों ने कुछ सार्वजनिक नियमों के साथ लॉकडाउन खोलना शुरू कर दिया है क्योंकि इस वायरस के कारण दुनिया लंबे समय तक बंद नहीं की जा सकती है।
Read More Articles on Other Diseases in Hindi