मेरी कहानी: दोबारा अपने पैरों पर कैसे खड़ी हुई 'पार्किंसंस रोग' से पीड़ित 72 साल की इंदिरा?

World Parkinson's Day 2020: 72 वर्षीय एक महिला, जो पार्किंसंस के कारण चलने और उठने-बैठने में असमर्थ थी, मगर एक सर्जरी ने उनके जीवन में उम्‍मीद की एक नई किरण जगा दी।
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मेरी कहानी: दोबारा अपने पैरों पर कैसे खड़ी हुई 'पार्किंसंस रोग' से पीड़ित 72 साल की इंदिरा?


World Parkinson's Day 2020: 72 वर्षीय महिला इंदिरा कुजूर एक प्रोग्रेसिव नर्वस सिस्‍टम डिसऑर्डर 'पार्किंसंस रोग' से पीड़ित थीं, जो शरीर की गति को प्रभावित करता है। हमेशा एक्टिव रहने वाली इंदिरा को इस बीमारी ने उन्‍हें धीरे-धीरे दूसरों पर निर्भर बना दिया और उनका परिवार भी ये सोच चुका था कि अब इसका कोई इलाज नहीं है। मेदांता हॉस्पिटल के डॉक्‍टर अनिर्बान दीप बनर्जी और उनकी टीम ने इंदिरा का जीवन बदल दिया। उन्‍होंने 'ब्रेन पेसमेकर सर्जरी' के माध्‍यम से इंदिरा को पहले की तरह गतिमान बना दिया। 

इंदिरा की बेटी शिरिन कुजूर कहती हैं, "जब भी चलने की बात आती थी तो मेरी मां सुधबुध खो देती हैं और जब भी उनके दिमाग में आता था कि वह उठने की कोशिश करें तो वह गिर जाती थी। एक बेटी होने के नाते यह मेरे लिए बहुत मुश्किल भरा था, यहां तक कि मेरे पूरे परिवार के लिए सही नहीं था। लेकिन सर्जरी के बाद एक असाधारण बदलाव देखने को मिला।" 

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पार्किंसंस रोग क्‍या है? 

इंदिरा का इलाज करने वाले डॉक्‍टर अनिर्बन दीप बर्नर्जी (सीनियर कंसल्‍टेंट, इंस्‍टीट्यूट न्‍यूरोसाइंसेज, मेदांता- द मेदांता सिटी) कहते हैं" पार्किंसंस रोग लंबे समय तक रहने वाली मस्तिष्‍क की एक बीमारी है।" 

दरअसल, शरीर की मांसपेशियों को सुचारू और समन्वित गतिविधियां मस्तिष्क में मौजूद तत्व डोपामाइन के कारण संभव होती हैं। डोपामाइन मस्तिष्क के एक हिस्से द्वारा उत्पादित होता है, जिसे 'सब्सटेंटिया निगरा' कहते हैं।

पार्किंसन में 'सब्सटेंटिया निगरा' को कोशिकाएं नष्ट होना शुरू हो जाती हैं। जब ये होता तो डोपामाइन का स्तर कम होने लगता है। जब इसमें 60 से 80 फीसदी तक की कमी आ जाती है तब पार्किंसन के लक्षण दिखाई देना शुरू हो जाते हैं।

डॉक्‍टर अनिर्बन ने बताया कि, "इंदिरा कुजूर पार्किंसंस रोग से ग्रस्‍त थी, और हमारी मुलाकात पिछले साल के शुरुआत में हुई थी। तब उनके जो लक्षण थे और पहले जो इलाज चले थे, उस हिसाब से हमने मूल्‍यांकन किया और हमने ये पाया कि वह 2008 से पार्किंसंस से जूझ रही थी। वह अपनी फैमिली पर निर्भर हो गई थी।" 

अनिर्बन आगे कहते हैं "क्‍योंकि वह पूरी जिंदगी एक स्‍वतंत्र और स्‍वालंबी महिला रही हैं तो उनको यह मंजूर नहीं था कि वह किसी की मोहताज रहें। तो उन्‍होंने कहा कि, अगर आप ठीक समझें और मैं फिट होती हूं तो मेरे मस्तिष्‍क की सर्जरी कीजिए; फिर हमने अपने क्‍लीनिक में उनकी स्थिति का मूल्‍यांकन किया और पाया कि वह 'ब्रेन पेस मेकर सर्जरी' के लिए वह बहुत सही कंडीडेट हैं।"

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ब्रेन पेसमेकर सर्जरी और इसकी पूरी प्रक्रिया क्‍या है?  

ब्रेन पेसमेकर सर्जरी (Brain Pacemaker Surgery) जिसे डीप ब्रेन स्‍टीमुलेशन सर्जरी भी कहते हैं। अनिर्बन के मुताबिक, "ब्रेन पेसमेकर सर्जरी में हमें सबसे पहले ऑपरेशन वाले दिन सिर पर एक मुकुट पहनाते हैं, उसे फ्रेम कहते हैं। वह गाड़ी के जीपीएस की तरह होता है, जो हमें सही रास्‍ता दिखाता है। वह इसलिए जरूरी है क्‍योंकि हमारा जो टार्गेट है, दिमाग में ऑपरेशन का, वह दिमाग में 2 से 3 मिलीमीटर एरिया का छोटा सा टार्गेट है, तो उसके लिए उस टेक्‍नोलॉजी की जरूरत पड़ती है।" 

डॉक्‍टर अनिर्बन ने बताया कि, "ऑपरेशन के दौरान हम पेशेंट को सोने नहीं देते हैं क्‍योंकि हमें मरीज के हाथ और पांव के जो लक्षण हैं उसमें कमी से मिलता है। दवाईयां एक दिन पहले बंद कर दी जाती है और 4 से 6 घंटे तक ऑपरेशन चलता है। अंत में जब हाथ और पांव में कंपन्‍न कम हो जाते हैं और दिमाग के स्‍टीमुलेशन से अकड़न कम हो जाता है तभी हम ऑपरेशन के निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं। उसके बाद दिमाग से जो तार निकल रहे होते हैं उसे हम एक बैट्री से जोड़ देते हैं और बैट्री की स्‍थापना छाती से करते हैं। इससे ऑपरेशन का निष्‍कर्ष निकल आता है और एक दिन बाद हम मरीज को डिस्‍चार्ज कर देते हैं।"

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