पार्किंसंस एक मानसिक रोग है। यह रोग जब मानव शरीर में प्रवेश करता है ऐसा रोग है जो व्यक्ति को कई तरह की बीमारियों से घेर लेता है। पार्किंसंस रोग केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी के शरीर के अंग कंपन करते रहते हैं। मानव शरीर में पार्किंसन का आरम्भ बहुत धीरे धीरे होता है। डॉक्टरों के अनुसार ज्यादातर 50 से ज्यादा आयु वाले व्यक्ति में इसका होने का खतरा है। डॉक्टरों का कहना है कि इसका प्रमुख कारण ज्यादा तनाव और नशे की लत होना है। पार्किंसंस रोग एक स्वस्थ मनुष्य की चाल को बदल देता है। इसका इलाज संभव है लेकिन समय पर पहचान करना जरूरी है।
पार्किसंस के लक्षण
पार्किसंस के लक्षण शरीर में एकदम देखने को नहीं मिलते हैं। अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ़ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गड़बड़ है। लेकिन ऐसे में व्यक्ति को घबराने के बजाय संयम से काम लेना चाहिए। क्योंकि पार्किसंस का इलाज भले ही मुश्किल है, लेकिन संभव है। आइए जानते हैं इसके अन्य लक्षण-
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- शरीर में अकड़न महसूस होना।
- पैदल चलते वक्त जोर लगना।
- किसी से हाथ मिलाते वक्त हाथ का कांपना।
- हाथ की अंगुली में कंपन रहना।
- चलते समय पैर को जमीन को घिसटते हुए चलना।
- नींद कम आना, सांस जल्द भरना, पेशाब रुक-रुककर आना।
- यह रोग महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा होता है।
- किसी से बात करने में रुचि न होना।
- बातचीत करते समय हल्का कांपना।
- कुर्सी पर बैठे समय हाथ और पैर में कंपन होना।
- शर्ट के बटन बंद करते वक्त कंपन होगा।
- सूई में धागा डालते समय हाथ में कंपन रहना।
क्या हैं इसके कारण
ज्यादातर तनाव में रहने के कारण व्यक्ति कम आयु में भी पार्किंसंस बीमारी की चपेट में आ सकता है। तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करना भी इस बीमारी का कारण है। किसी बीमारी के कारण ज्यादा दवाओं का सेवन और फास्ट फूड ज्यादा खाना से यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी में मस्तिष्क से जाने वाली नलियों में अवरोध हो जाता है।
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क्या है इसका सही इलाज
एक नए अध्ययन के अनुसार कवक, जीवाणु और शैवाल द्वारा निर्मित कृत्रिम मिठास पार्किंसंस रोग के इलाज में मददगार साबित हो सकती है। शुगर फ्री च्युंइगम और कैंडी जिसमें मंनिथोल शामिल है, को एफडीए ने सर्जरी के दौरान अतिरिक्त तरल पदार्थ बाहर निकालने में मददगार माना है। ये तत्व रक्त अथवा मस्तिष्क में मौजूद बाधाओं को खोलने में सहायता करते हैं, जिससे अन्य दवाओं का असर जल्दी होता है।
तेल अवीव विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ मालिक्यूलर माइक्रोबॉयोलॉजी और बॉयटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर एहुद गजीट और डेनियल सीगल, जो सगोल स्कूल ऑफ न्यूरोसाइंस में भी कार्यरत हैं, ने अपने सहयोगियों के साथ की गयी रिसर्च में मेनिनटॉल के गुणों के बारे में पता लगाया। अध्ययन में यह बात भी निकलकर आयी कि कृत्रिम मिठास वास्तव में बीमारी के इलाज के लिए अद्भुत चिकित्सा है। यहां तक कि अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के लिए भी।
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