How To Test For parkinson's Disease At Home: उम्र बढ़ने के साथ हमारे शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, खासकर कुछ ऐसी बीमारियां होने का जोखिम बढ़ जाता है, जो बुढ़ापे को और ज्यादा मुश्किल बना साकता है, जिसमें पार्किंसंस डिजीज भी शामिल है। पार्किंसंस रोग, एक सेंट्रल नर्वस सिस्टम की बीमारी है, जो अक्सर व्यक्ति की शारीरिक गतिविधियों को प्रभावित करती हैं। यह दिमाग के एक हिस्से में न्यूरॉन्स के बिगड़ने का कारण होता है, जिसे जिसे सब्सटेंशिया निग्रा कहा जाता है। यह शरीर में डोपामाइन का उत्पादन करता है, जो शरीर की गतिविधियों को कंट्रोल करने के लिए जरूरी न्यूरोट्रांसमीटर है। जैसे-जैसे डोपामाइन का स्तर शरीर से घटता है, पार्किंसंस के लक्षण बढ़ने लगते हैं। पार्किंसंस की समस्या होने पर व्यक्ति के किसी एक हाथ में कंपन हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे शरीर गति का धीमा होना, अकड़न, और संतुलन बनाए रकने में समस्या भी हो सकती है। इसलिए, जरूरी है कि आप इस बीमारी के बढ़ने से पहले ही इसका पता लगाएं और खुद को स्वस्थ रखने की कोशिश करें। ऐसे में आइए बैंगलोर के बन्नेरघट्टा रोड पर स्थित सागर हॉस्पितल के सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ अरुण एल नाइक से जानते हैं कि पार्किंसंस डिजीज का पता लगाने के लिए घर पर कौन-सा टेस्ट करें? (What is the quick test for Parkinson's disease)
पार्किंसंस डिजीज का पता लगाने के लिए टेस्ट कैसे करें?
पार्किसंस डिजीज होने से पहले ही आप इसके होने के बारे में पता लगा सकते हैं, इसके लिए आपको बस घर पर अपनी उंगलियों से एक छोटा सा टेस्ट (What is a finger test for Parkinson's) करना है। आइए जानते हैं क्या है वो टेस्ट-
- सबसे पहले अपने दोनों हाथों को सामने रखें।
- अब अपनी मध्यमा उंगली को तर्जनी के ऊपर क्रॉस करें।
- इसके बाद, अपनी अनामिका और अंगूठे को जोड़ें।
- केवल आपकी छोटी उंगली फ्री रहनी चाहिए।
- बस अब अपनी छोटी उंगली को जितनी तेज़ी से हो सके हिलाएं।
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अगर आप 30 सेकंड में 60 बार अपनी छोटी उंगली को हिला पा रहे हैं तो आपको हालही में पार्किंसंस रोग होने की संभावना नहीं है। जिन लोगों को पार्किंसंस होने की संभावना ज्यादा है या जिन्हें ये बीमारी होने वाली है वे 15 सेकंड के बाद अपनी छोटी उंगली नहीं हिला पाएंगे। अगर आप 40 से कम टैप करते हैं, तो अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए जल्द से जल्द न्यूरोलॉजिस्ट से कंसल्ट करें।
पार्किंसंस डिजीज के लक्षण
पार्किंसंस डिजीज के प्रमुख लक्षणों में कंपन, ब्रैडीकिनेसिया यानी धीमी गति, मांसपेशियों में अकड़न या बिगड़ा हुआ संतुलन शामिल है। इसके अलावा, मरीजों में डिप्रेशन, चीजें समझने में समस्या, नींद की गड़बड़ी आधि लक्षण भी नजर आ सकते हैं। व्यक्ति में जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, ये लक्षण समय के साथ बिगड़ते जाते हैं।
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पार्किंसंस डिजीज होने के कारण
पार्किंसंस डिजीज होने का सही कारण तो अब तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन इसे जेनेटिक और पर्यावरणीय कारकों से जोड़ा जाता है। इस बीमारी में उम्र सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक है, जिसमें अधिकांश मामले 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति शामिल है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किंसंस विकसित होने की संभावना ज्यादा होती है।
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उंगलियों की मदद से हर पर पार्किंसंस डिजीज का पता लगाने वाला ये टेस्ट करके आप खुद को इस बीमारी से दूर रख सकते हैं, या फिर अगर आपको ये बीमारी होने की संभावना है तो आप जल्द से जल्द इसका इलाज करवा सकते हैं।
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