पार्किंसंस एक ऐसी बीमारी है, जो नर्वस सिस्टम पर अटैक करती है। इसके कारण इंसान की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिसका सबसे ज्यादा असर हाथ और पैरों पर पड़ता है। आमतौर पर पार्किंसंस के रोगी के हाथ-पैर कांपते हैं, उसके लिए किसी चीज को उठा पाना और गंभीर स्थितियों में चलना-फिरना तक मुश्किल हो जाता है। लेकिन हाल में स्विटजरलैंड में एक कमाल के डिवाइस की खोज की गई है, जिससे पार्किंसंस रोग से ग्रसित एक वृद्ध मरीज आसानी से बिना किसी सहारे चलने-फिरने में सक्षम हो सका। जी हां, रिपोर्ट्स के मुताबिक स्विटरलैंड में रहने वाले 63 वर्षीय गॉदियर (Gauthier) के लिए पार्किंसंस बीमारी के कारण चलना काफी कठिन हो चुका था। इस बीमारी के कारण उनका घर से बाहर निकलना लगभग पूरी तरह बंद हो चुका था। मगर स्विटजरलैंड के लॉसेन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल Switzerland’s Lausanne University Hospital (CHUV) में बने एक खास मेडिकल डिवाइस ने उन्हें वापस से चलने-फिरने में सक्षम बना दिया। खास बात ये है कि गॉदियर वो पहले पार्किंसंस रोगी हैं, जिन पर इस तकनीक का प्रयोग किया गया है।
कैसे काम करता है ये मेडिकल डिवाइस?
स्विटजरलैंड के Lausanne University Hospital (CHUV) द्वारा बनाया गया ये मेडिकल डिवाइस, जिसे न्यूरोप्रॉस्थेटिक (Neuroprosthetic) कहा जा रहा है, कई पार्ट्स में शरीर के अलग-अलग हिस्सों में फिट किया जाता है। इसका एक हिस्सा, जिसे इलेक्ट्रोड फील्ड कहा जाता है, वो पीठ के हिस्से में स्पाइनल कॉर्ड के साथ नर्वस सिस्टम के साथ जोड़ा जाता है। इसका दूसरा हिस्सा पेट के निचले हिस्से में त्वचा के नीचे लगाया जाता है, जो इलेक्ट्रिसिटी के जरिए स्पाइनल कॉर्ड को उत्तेजित करता है, जिससे पैरों की मसल्स काम करना शुरू कर देती हैं। इस दूसरे हिस्से को इलेक्ट्रिकल इंपल्स जेनरेटर (Electrical Impulse Generator) कहा गया है।