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क्या मेलेनोमा और पार्किंसंस के बीच कोई कनेक्शन है? डॉक्टर से जानें

Is There A Link Between Melanoma And Parkinson: मेलेनोमा और पार्किसंस दोनों बीमारियों अलग-अलग हैं, लेकिन इन दोनों के बीच एक कनेक्शन भी है, आइए जानते हैं कैसे- 
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क्या मेलेनोमा और पार्किंसंस के बीच कोई कनेक्शन है? डॉक्टर से जानें


Is There A Link Between Melanoma And Parkinson: मेलेनोमा और पार्किंसंस (Parkinson) डिजीज दो अलग-अलग तरह की गंभीर बीमारी है, जो व्यक्ति के शरीर को बुरा तरह प्रभावित करती है। वैसे तो ये दोनों ही अलग-अलग बीमारियां हैं, लेकिन हाल की कुछ रिसर्च में इन दोनों के बीच कनेक्शन पाया गया है। मेलेनोमा (melanoma) एक तरह का स्किन कैंसर है, जो आमतौर पर त्वचा पर एक असामान्य तिल या धब्बे के रूप में शुरू होता है। जबकि पार्किंसंस डिजीज एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो दिमाग में डोपामिन न्यूरॉन्स के नुकसान के कारण बढ़ती है, जिससे शारीरिक समस्याएं बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है। हालांकि ये दोनों बीमारियों अलग-अलग हैं, लेकिन दोनो के बीच कनेक्शन है या नहीं इस बात को जानने के लिए हमने जयपुर के नारायण अस्पताल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी डॉ. वैभव माथुर से बातचीत की। बता दें कि हर साल 11 अप्रैल को वर्ल्ड पार्किसंस डे मनाया जाता है, ऐसे में आइए जानते हैं कि मेलेनोमा और पार्किंसंस के बीच कोई संबंध है या नहीं?

मेलेनोमा और पार्किंसंस के बीच कनेक्शन - The Connection Between Melanoma and Parkinson's in Hindi

मेलेनोमा और पार्किंसंस डिजीज के बीच कोई खास कनेक्शन नहीं पाया गया है, लेकिन अध्ययनों से यह पता चलता है कि इन दोनों रोगों के बीच एक सामान्य लिंक हो सकता है। अध्ययन से यह सामने आया है कि पार्किंसंस रोग के मरीजों में मेलेनोमा का जोखिम आम लोगों की तुलना में ज्यादा होता है। इसी तरह, मेलेनोमा के मरीजों में पार्किंसंस विकसित होने की संभावना भी ज्यादा पाई जाती है। यह कनेक्शन जेनेटिक, बायोलॉजिकल और पर्यावरणीय कारकों की इंटरएक्शन के कारण हो सकता है। इसके अलावा, दोनों बीमारियों में एक बायोकेमिकल पाया पाया गया है, जो डोपामिन और मेलेनिन के उत्पादन से जुड़ा है।

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Connection Between Melanoma And Parkinson

मेलेनोमा और पार्किंसंस के बीच कनेक्शन होने के कारण - Causes of The Connection Between Melanoma And Parkinson's in Hindi

  1. जेनेटिक समानताएं: कुछ खास जीन, जैसे LRRK2 और PARKIN, दोनों रोगों के विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इन जीनों में उत्पन्न होने वाली गड़बड़ियों के कारण पार्किंसंस और मेलेनोमा दोनों बीमारियां विकसित हो सकती हैं।
  2. डोपामिन और मेलेनिन का कनेक्शन: डोपामिन (पार्किंसंस डिजीज में अहम भूमिका निभाता है) और मेलेनिन (त्वचा और आंखों में रंग बदलता है) दोनों का उत्पादन एक ही बायोकेमिकल से होता है। जब शरीर में डोपामिन का असंतुलन होता है, तो यह मेलेनिन के असंतुलन का कारण भी बन सकता है, जिससे मेलेनोमा का जोखिम बढ़ सकता है।
  3. इम्यून सिस्टम: पार्किंसंस और मेलेनोमा दोनों ही बीमारियों में शरीर का इम्यून सिस्टम गड़बड़ हो सकता है। जब हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है तो यह कैंसर के विकास का कारण बन सकता है और साथ ही न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर को भी प्रभावित कर सकता है।
  4. अल्फा-सिन्यूक्लिन का प्रभाव: पार्किंसंस डिजीज में, अल्फा-सिन्यूक्लिन नाम के प्रोटीन का लेवल बढ़ जाता है, जो दिमाग में होता है और नर्व सेल्स में जमा होता है। इस प्रोटीन का लेवल आपकी स्किन में भी बढ़ जाता है, और यह मेलेनोमा के विकास का कारण बन सकता है।

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निष्कर्ष

मेलेनोमा और पार्किंसंस के बीच कनेक्शन सीधे तौर पर भले न हो, लेकिन कहीं न कहीं ये दोनों बीमारियां एक दूसरे को प्रभावित करती हैं। हालांकि, इनके बीच के कनेक्शन को समझने के लिए अभी ज्यादा रिसर्च और स्टडी की जरूरत है, ताकि दोनों बीमारियों से पीड़ित मरीजों के जीवन को थोड़ा आसान बनाया जा सके।
Image Credit: Freepik

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