पार्किंसन एक गंभीर मानसिक बीमारी है, जो आमतौर 50-60 की उम्र के बाद लोगों को होती है। मगर पिछले कुछ दशकों में युवाओं और बच्चों में भी ये बीमारी देखी जा रही है। पार्किंसन के कारण व्यक्ति के अंगों में अचानक कंपकंपाहट शुरू हो जाती है। चूंकि यह रोग सेंट्रल नर्वस सिस्टम का रोग है इसलिए ये एक गंभीर रोग है। युवाओं और बच्चों में इस बीमारी के बढ़ने का कारण बहुत ज्यादा तनाव, सिगरेट और शराब की लत है। आइए आपको बताते हैं बच्चों और युवाओं में इस बीमारी के क्या लक्षण होते हैं और किस तरह कर सकते हैं इस बीमारी से बचाव।
क्या हैं युवाओं में पार्किंसन के लक्षण
- पार्किंसंस बीमारी सेंट्रल नर्वस सिस्टम की बीमारी है।
- इसमें दिमाग की कोशिकाएं बननी बंद हो जाती हैं।
- इसमें हाथ, बाजू, टांगों, मुंह और चेहरे में कंपकपाहट होती है।
- किसी से हाथ मिलाते वक्त हाथ का कांपना।
- नींद कम आना, सांस जल्द भरना, पेशाब रुक-रुककर आना।
- जोड़ों में कठोरता आ जाती है। शारीरिक संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे व्यक्ति चलते हुए, बैठे हुए या खड़े हुए गिर भी सकता है।
- शुरुआत में व्यक्ति में कंपकंपाहट कम होती है यानी लक्षण धीरे होते हैं, जिससे कई बार लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
- शुरू में रोगी को चलने, बात करने और दूसरे छोटे-छोटे काम करने में दिक्कत महसूस होती है।
नशा, तनाव और जीवनशैली बन रही है कारण
ज्यादातर तनाव में रहने के कारण व्यक्ति कम आयु में भी पार्किंसंस बीमारी की चपेट में आ सकता है। तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करना भी इस बीमारी का कारण है। किसी बीमारी के कारण ज्यादा दवाओं का सेवन और फास्ट फूड ज्यादा खाना से यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी में मस्तिष्क से जाने वाली नलियों में अवरोध हो जाता है।
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पुरुषों को होता है ज्यादा खतरा
महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किन्संस रोग के मामले अब कहीं ज्यादा सामने आ रहे हैं। ‘जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी एंड साइकिएट्री’ के अनुसार महिलाओं की तुलना में पुरुषों को इस बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका 1.5 गुना ज्यादा होती है। कुछ अध्ययन यह दर्शाते हैं कि महिलाओं में इस बीमारी के कम होने का कारण एस्ट्रोजन हार्मोन का स्रावित होना है। इसी वजह से महिलाओं में यह बीमारी कम होती है।
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जांच और इलाज नहीं है संभव
पार्किंसंस रोग की मुश्किल ये है कि इस रोग की कोई फिजिकल जांच या इलाज अभी तक ज्ञात नहीं हुआ है। केवल लक्षणों के आधार पर और कुछ एडवांस मशीनों द्वारा व्यक्ति की हरकतों को पहचानकर ही इसकी जांच की जा सकती है।
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