भारत एक विविध संस्कृति वाला देश है, जहां पीढ़ियों से परंपराओं और लोक मान्यताओं का गहरा प्रभाव रहा है। इनमें से कुछ परंपराएं हमारी लाइफस्टाइल और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी रही हैं, लेकिन कई ऐसी मान्यताएं भी हैं जो बिना किसी वैज्ञानिक आधार के पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं। लोग अक्सर पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही बातों को बिना सवाल उठाए सही मान लेते हैं। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में यह ज्यादा देखने को मिलता है, जहां जानकारी के अभाव में लोग घरेलू उपायों और कथित देसी नुस्खों पर ही भरोसा कर लेते हैं। समस्या तब पैदा होती है जब ये उपाय स्वास्थ्य पर गलत असर डालते हैं।
ऐसी ही एक आम धारणा है आंख में थूक लगाने से आंखें तेज होती हैं (Is saliva useful for the eyes)। यह विश्वास खासकर बुजुर्गों के बीच ज्यादा प्रचलित है। माना जाता है कि सुबह-सुबह का थूक आंखों में लगाने से दृष्टि सुधरती है और चश्मा लगाने की नौबत नहीं आती। परंतु सवाल यह है कि क्या इस विश्वास का कोई वैज्ञानिक आधार है? क्या यह उपाय सच में आंखों के लिए फायदेमंद है, या यह सिर्फ एक भ्रम है जो अनजाने में हमारी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है? हमारे समाज में फैले इस तरह के अंधविश्वास और उनके पीछे की सेहत और खानपान जैसी चीजों से जुड़े मिथकों के पीछे छिपे साइंस के बारे में सही जानकारी देने के लिए ओन्लीमायहेल्थ "अंधविश्वास या साइंस" सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के तहत आज हम मेट्रो हॉस्पिटल, नोएडा के मेट्रो आई सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट और चेयरमैन डॉ. रजत आनंद (Dr. Rajat Anand, Sr. Consultant & Chairman - Metro Eye Center, Metro Hospital, Noida) से जानेंगे कि क्या आंख में थूक लगाने से आंखें तेज होती हैं?
यह धारणा कैसे फैली?
पुराने समय में जब चिकित्सा सुविधाएं इतनी ज्यादा नहीं थीं, तब लोग घरेलू उपायों पर ही निर्भर रहते थे। आंखों से संबंधित समस्याएं, जैसे जलन, धुंधला दिखना या कमजोर दृष्टि के लिए स्थानीय उपचार खोजे जाते थे। उस समय यह मान्यता बनी कि सुबह-सुबह अपने ही थूक को आंखों में लगाने से आंखों की रोशनी तेज होती है। कई लोग इसके कुछ पॉजिटिव अनुभवों को शेयर करते थे, जिससे यह प्रथा लोकप्रिय होती गई। परंतु, अनुभव ही सत्य नहीं होता। किसी बात को मानने से पहले यह देखना जरूरी होता है कि उसका वैज्ञानिक आधार क्या है।
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आंख में थूक लगाने से आंखें तेज होती हैं? - Does Saliva Help Eyesight
डॉक्टर रजत आनंद का कहना है कि थूक निश्चित रूप से पाचन तंत्र के लिए सहायक होता है, लेकिन यह आंखों के लिए उपयुक्त नहीं है। आंख एक अत्यंत संवेदनशील अंग है और उसमें किसी भी अस्वच्छ पदार्थ का संपर्क इंफेक्शन का कारण बन सकता है। आंखें बेहद नाजुक होती हैं और उन्हें इंफेक्शन से बचाना जरूरी होता है। जब हम थूक को आंख में लगाते हैं, तो कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस आंख की सतह पर पहुंच सकते हैं। जिससे समस्याएं भी हो सकती हैं। डॉक्टर रजत आनंद कहते हैं, 'थूक लगाने से आंखें तेज नहीं होतीं, बल्कि इससे आंखों में इंफेक्शन और सूजन की संभावना बढ़ जाती है। यह एक अंधविश्वास है जिसे दूर करने की जरूरत है।'
1. कंजंक्टिवाइटिस
थूक में मौजूद हानिकारक जीवाणु आंख में इंफेक्शन फैला सकते हैं, जिससे आंख लाल हो जाती है, जलन होती है और पानी बहने लगता है।
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2. कार्नियल अल्सर
अगर थूक के संपर्क से आंख में घाव बनता है तो वह और अधिक गहरा हो सकता है, जिससे दृष्टि यानी नजर पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।
3. वायरल इंफेक्शन
थूक में Herpes Simplex Virus जैसे वायरस भी हो सकते हैं जो आंख के लिए अत्यंत हानिकारक हैं और नुकसान का कारण बन सकते हैं।
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आंखों की रोशनी को कैसे बढ़ाएं? - how to improve eyesight naturally
1. आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अच्छी डाइट लें। अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, शकरकंद, पपीता, मछली (ओमेगा-3 फैटी एसिड), बादाम, अखरोट और सीड्स शामिल करें।
2. डिजिटल डिवाइस से दूरी बनाएं और हर 20 मिनट पर 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।
3. रोजाना आंखों के लिए एक्सरसाइज करें, जैसे कि आंखें गोल-गोल घुमाना, एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करना आदि।
4. आंखें सही रखने के लिए जरूरी है कि आप नींद पूरी करें और तनाव से दूरी बनाएं। ऐसा इसलिए, क्योंकि नींद की कमी और तनाव भी आंखों की रोशनी को प्रभावित करते हैं।
कुछ लोग यह कह सकते हैं कि उन्होंने आंख में थूक लगाने से फायदा महसूस किया है। परंतु, ऐसे मामलों में यह जरूरी है कि केवल अनुभव के आधार पर किसी परंपरा को वैज्ञानिक नहीं माना जाए।
निष्कर्ष
आंख में थूक लगाने से आंखें तेज होती हैं यह केवल एक मिथक है जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। उल्टा, यह आदत आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है और कई बार गंभीर इंफेक्शन का कारण बन सकती है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसी मान्यताओं की जांच करें और तथ्यों के आधार पर उन्हें अपनाएं या खारिज करें। विज्ञान कहता है कि आंखों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए साफ-सफाई, बैलेंस डाइट और उचित एक्सरसाइज जरूरी है न कि थूक!
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FAQ
आंखों की रोशनी कम होने के कारण
आंखों की रोशनी कम होने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम कारणों में उम्र बढ़ना, पोषण की कमी, ज्यादा मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन देखना, आंखों पर तनाव, आंखों की सही देखभाल न करना और आनुवांशिक समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी बीमारियां भी नजर को प्रभावित कर सकती हैं। धूल, धूप और प्रदूषण के लगातार संपर्क में रहने से भी आंखों को नुकसान हो सकता है। समय-समय पर आंखों की जांच के माध्यम से इन समस्याओं से बचाव संभव है।दूर की नजर कमजोर होने के क्या लक्षण हैं?
दूर की नजर कमजोर होने के प्रमुख लक्षणों में दूर की वस्तुएं धुंधली दिखना, आंखों को मिचमिचाकर देखना, बार-बार सिरदर्द होना, आंखों में थकावट महसूस होना और रात में देखने में परेशानी शामिल हैं। अगर ऐसे लक्षण दिखें तो डॉक्टर से जांच कराना और सही चश्मा लगवाना जरूरी होता है।आंखें कमजोर हो रही हैं तो क्या करें?
अगर आंखें कमजोर हो रही हैं तो सबसे पहले किसी योग्य नेत्र विशेषज्ञ से आंखों की जांच करवाएं। बैलेंस और पौष्टिक डाइट लें, जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भी शामिल हो। मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर का उपयोग सीमित करें और हर 20 मिनट पर 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें। आंखों को बार-बार मलने से बचें और धूप में निकलते समय सनग्लास पहनें।