स्टडी: बचपन में कमजोर है दृष्टि, तो भविष्य में सुनने की क्षमता भी हो सकती है प्रभावित, जानें क्या है संबंध

एक स्टडी के मुताबिक अगर बच्चे को शुरुआत में देखने में किसी प्रकार की कठिनाई है तो आगे चलकर उसके सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है। 
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स्टडी: बचपन में कमजोर है दृष्टि, तो भविष्य में सुनने की क्षमता भी हो सकती है प्रभावित, जानें क्या है संबंध


Early vision loss may impact hearing abilities: आजकल लोगों में बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। केवल बड़े ही नहीं, बल्कि बच्चे भी कई गंभीर बीमारियों के तेजी से शिकार हो रहे हैं। कई बार कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जो होती तो बचपन में हैं, लेकिन लंबे समय बाद जवानी या बुढ़ापे में अपना असर दिखाती हैं। ऐसा ही कुछ बच्चों में आंखों से जुड़ी समस्या के साथ भी है। जी हां, अगर बचपन में दृष्टि यानि देखने की क्षमता कम हो तो इसका असर आगे चलकर बच्चों की सुनने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। 

भविष्य में सुनने की क्षमता पर पड़ता है असर 

एंजलिया रुस्किन यूनिवर्सिटी (ARU) और यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजलिया (UEA) के शोधकर्ताओं द्वारा एक स्टडी की गई। जिसमें यह पता चलता है कि अगर बच्चे को शुरुआत में देखने में किसी प्रकार की कठिनाई है तो आगे चलकर उसके सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है। एंजलिया रुस्किन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शाहीना प्रधान के मुताबिक खासकर अगर आपको यह समस्या 10 साल से कम उम्र में हो रही है तो सुनने की क्षमता के प्रभावित होने की संभावना और भी ज्यादा रहती है। 

बच्चों में रोशनी कम होने के कारण 

  • कई बार उम्र से पहले ही बच्चों की आंखों की रोशनी कम हो जाती है। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। 
  • स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताना इसका सबसे मुख्य कारण माना जाता है। 
  • इसके साथ ही रेटिना में किसी प्रकार की समस्या होने पर भी ऐसी स्थिति हो सकती है। 
  • कई बार बच्चों में कंजेक्टिवाइटिस या विटामिन ए की कमी के कारण भी ऐसा हो सकता है। 

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बच्चों की आंखों की रोशनी बढ़ाने के तरीके 

  • बच्चो सुनने की क्षमता प्रभावित न हो इसके लिए उनकी आंखों आंखों को स्वस्थ रखना जरूरी है।    
  • बच्चों की आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए उन्हें योग, मेडिटेशन और प्राणायाम कराएं। 
  • इसके लिए आपको उन्हें हरी सब्जियां जैसे केल, ब्रोकली और पालक आदि खिलाना चाहिए। 
  • रोशनी बढ़ाने के लिए बच्चों को सुबह नंघे पैर घास पर चलाएं। 
  • इसके लिए उन्हें, आंवला, दाल और नट्स आदि खिलाएं। 
  • बच्चों को लाइट या स्क्रीन के सामने ज्यादा देर न बिताने दें। 
  • इसके लिए बच्चों को भरपूर नींद लेने के लिए कहें। 

 

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