भारत में शिशुओं की देखभाल को लेकर कई परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं। इनमें से सबसे अहम परंपरा है तेल मालिश। माना जाता है कि मालिश से बच्चे की हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं, नींद बेहतर आती है और मां-बच्चे के बीच का बंधन भी गहरा होता है। गांवों से लेकर शहरों तक, हर घर में मालिश को लेकर अलग-अलग मान्यताएं और तरीके देखने को मिलते हैं। इनमें सबसे आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला तेल है सरसों का तेल। ठंड के मौसम में सरसों का तेल गरम तासीर वाला माना जाता है, इसलिए शिशु को सर्दी-जुकाम से बचाने और शरीर को ताकत देने के लिए इसका उपयोग खूब किया जाता है। बुजुर्ग अक्सर यह भी कहते हैं कि सरसों के तेल की मालिश से बच्चे का रंग साफ होता है और स्किन टोन में सुधार आता है। साथ ही, यह धारणा भी है कि नियमित रूप से सरसों के तेल से मालिश करने पर मांसपेशियां और हड्डियां तेजी से मजबूत होती हैं। इस लेख में दिल्ली स्थित सरीन स्किन क्लीनिक के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. अंकुर सरीन (Dr. Ankur Sarin, dermatologist at Sarin Skin Clinic, Delhi) से जानिए, क्या सरसों तेल की मालिश बच्चों को मजबूत और गोरा बनाती है?
क्या सरसों तेल की मालिश बच्चों को मजबूत और गोरा बनाती है? - Mustard Oil Massage For Babies
अक्सर घर के बड़े-बुजुर्ग यह कहते हैं कि सरसों के तेल की मालिश से बच्चे की स्किन का रंग साफ होता है। लेकिन मेडिकल साइंस इस बात से सहमत नहीं है। स्किन टोन ज्यादातर जेनेटिक फैक्टर्स पर निर्भर करता है। हालांकि, सरसों का तेल स्किन को मॉइश्चराइज करके उसे हेल्दी और सॉफ्ट बना सकता है, लेकिन रंगत को बदलना इसके बस में नहीं है।
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दिल्ली स्थित सरीन स्किन क्लीनिक के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. अंकुर सरीन बताते हैं, ''हालांकि पारंपरिक रूप से सरसों का तेल और अन्य प्राकृतिक सामग्री शिशुओं की मालिश में इस्तेमाल की जाती रही हैं, लेकिन यह हर बच्चे की त्वचा के लिए सुरक्षित हो, यह जरूरी नहीं। कई बार इससे एलर्जिक रिएक्शन, खुजली या जलन जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए किसी भी नए तेल को लगाने से पहले पैच टेस्ट जरूर करें और बेहतर होगा कि पहले पीडियाट्रिशियन या डर्मेटोलॉजिस्ट से परामर्श लें। ज्यादातर बच्चों की स्किन के लिए सरसों का तेल सही नहीं होता है और इसके कारण कई समस्याएं भी होती हैं।"
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शिशुओं की स्किन बेहद संवेदनशील यानी सेंसिटिव होती है। सरसों के तेल में कुछ यौगिक (compounds) होते हैं जो स्किन पर रैशेज या जलन पैदा कर सकते हैं। खासकर अगर बच्चे की स्किन एग्जिमा-प्रोन हो तो समस्या और भी बढ़ सकती है। इसलिए सरसों का तेल सीधे लगाने के बजाय डॉक्टर से सलाह लें और फिर सही प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें।
निष्कर्ष
सरसों के तेल की मालिश परंपरा और भावनाओं से जुड़ी हुई है, लेकिन इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यह मांसपेशियों और हड्डियों के विकास में सहायक तो हो सकता है, लेकिन स्किन टोन बदलने का दावा सही नहीं है। असली फायदा मालिश की प्रक्रिया से है, जो बच्चे को रिलैक्स करती है, नींद बेहतर बनाती है और मां और शिशु के बीच बॉन्डिंग को मजबूत करती है। इसलिए तेल चुनते समय सावधानी बरतें और किसी भी तरह की स्किन समस्या दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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