
Mustard Oil for Babies: भारत में पुराने जमाने से ही लोग अपने छोटे बच्चों के नाक और कान में सरसों का तेल डाल देते हैं। लोगों का मानना होता है कि सरसों के तेल से सर्दी-जुकाम नहीं होता और कान साफ हो जाते हैं। कई बार तो देखा गया है कि बच्चों के कान और नाक में रोजाना ही सरसों के तेल की कुछ बूंदे डाल दी जाती है और लोग इसे बच्चों के लिए सेफ भी मानते हैं। हालांकि बच्चों के नाक और कान दोनों ही सेंसटिव होते हैं, ऐसे में कान-नाक में सरसों का तेल डालना कितना सही है? इसे जानने के लिए नई दिल्ली के क्लाउडनाइन हॉस्पिटल्स के पीडियाट्रिशियन और नियोनेटोलॉजिस्ट विभाग के कंसल्टेंट डॉ. अभिषेक चोपड़ा (Dr Abhishek Chopra, Senior Consultant- Paediatrician and Neonatologist, Cloudnine Group of Hospitals Punjabi Bagh) से बात की।
क्या सरसों का तेल नाक में डालने से सर्दी-जुकाम नहीं होता?
इस बारे में डॉ. अभिषेक कहते हैं, “छोटे बच्चों की नाक बहुत नाजुक होती है। सरसों का तेल नाक में डालने से नाक की अंदरूनी परत में जलन, सूजन या इंफेक्शन हो सकता है। कई मामलों में यह तेल सांस की नली में जा सकता है, जिससे एस्पिरेशन या न्यूमोनिया का रिस्क बढ़ सकता है। कई बार यह भी देखा गया है कि नाक से तेल फेफड़ों में भी पहुंच सकता है, इससे केमिकल न्यूमोनाइटिस भी हो सकता है। इसलिए मैं पैरेंट्स से कहना चाहूंगा कि बच्चों की नाक में सरसों का तेल नहीं डालना चाहिए। अगर बच्चों की नाक बंद है, तो डॉक्टर की सलाह लेकर नेजल डॉप्स का इस्तेमाल करना चाहिए।”

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क्या कान की सफाई के लिए सरसों का तेल फायदेमंद है?
डॉ. अभिषेक कहते हैं, “अक्सर लोगों को यह गलतफहमी होती है कि सरसों का तेल कान में डालने से कान का वैक्स पिघल जाता है और कान साफ हो जाता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होता। सरसों का तेल कान में डालने से वैक्स पिघलने की बजाय और अंदर जम सकता है, जिससे इंफेक्शन का रिस्क बढ़ सकता है। कान के अंदर की स्किन बहुत नाजुक होती है और सरसों के तेल में मौजूद तत्व जलन या एलर्जी पैदा कर सकते हैं। पैरेंट्स को यह समझना चाहिए कि कान का वैक्स नेचुरली बनता है और उसे निकालने की कोई जरूरत नहीं होती। अगर बच्चे के कान में दर्द, खुजली या बंद महसूस हो, तो तेल डालने की बजाय तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।”
सरसों का तेल डालने के नुकसान
डॉ. अभिषेक ने साफ तौर पर बच्चों के कान और नाक में सरसों का तेल डालने को मना किया है। उनका कहना है कि इससे बच्चों को कई तरह के गंभीर इंफेक्शन हो सकते हैं।
- एस्पिरेशन का रिस्क - कई बार नाक में तेल डालने से तेल फेफड़ों में जा सकता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, खांसी या संक्रमण हो सकता है। कुछ मामलों में यह एस्पिरेशन निमोनिया की वजह भी बन सकता है।
- कान में इंफेक्शन - सरसों का तेल कान में बैक्टीरिया बढ़ा सकता है, जिससे मिडिल ईयर इंफेक्शन हो सकता है। यह इंफेक्शन दर्दनाक और काफी लंबे समय तक चल सकता है।
- एलर्जिक रिएक्शन - कुछ बच्चों की स्किन या नाक की झिल्ली की वजह से खुजली, लालपन और जलन हो सकती है। लगातार इंफेक्शन होने से बच्चे के कान-नाक को गंभीर नुकसान हो सकता है।
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पैरेंट्स को क्या करना चाहिए?
डॉ. अभिषेक कहते हैं कि बच्चों का इम्यून सिस्टम और शरीर के अंग पूरी तरह से ग्रो नहीं हुए होते, ऐसे में किसी भी तरह का तेल बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है। किसी भी तरह के घरेलू नुस्खे आजमाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। इसके अलावा, पैरेंट्स बच्चों के नाक-कान को सेहतमंद रखने के लिए ये तरीके अपना सकते हैं।
- बच्चों की बंद नाक को खोलने के लिए स्लाइन नेसेल स्प्रे डाल सकते हैं।
- बच्चों को भाप देकर नाक की खुजली को कम कर सकते हैं।
- बच्चों के कान के अंदर किसी भी तरह की चीज, चाहे वो तेल हो या कॉटन बड, को डालने से बचें।
- कान में वैक्स जमा होने पर डॉक्टर की सलाह लेकर ही ईयर ड्रॉप का इस्तेमाल करें।
- बच्चों के कान को सूखा और साफ रखें।
- सर्दी-जुकाम से बचाने के लिए बच्चों को गर्म कपड़े पहनाएं।
- बच्चों को हाइड्रेट रखें और पौष्टिक डाइट दें।
- बच्चों को भीड़ या ठंडी हवा से बचाएं।
निष्कर्ष
डॉ. अभिषेक चोपड़ा कहते हैं कि सरसों का तेल घरेलू उपाय हो सकता है, लेकिन बच्चों के कान और नाक के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। इससे बच्चों को भविष्य में किसी तरह की बीमारी का रिस्क बढ़ सकता है। इसलिए पैरेंट्स को सिर्फ डॉक्टर की सलाह लेकर ही बच्चों को दवाई देनी चाहिए। सरसों का तेल ही नहीं, बल्कि किसी भी तरह के घरेलू नुस्खे को अपनाने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछें क्योंकि कई बार घरेलू नुस्खें फायदा करने की बजाय नुकसान कर सकते हैं।
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Nov 06, 2025 13:16 IST
Published By : Aneesh Rawat