
Ear Infection in Hindi: आजकल मौसम में कभी ठंडक तो कभी नमी आ जाती है, ऐसे में सर्दी-जुकाम, खांसी और साइनस की समस्या बढ़ जाती हैं। वैसे लोग आमतौर पर मानते हैं कि बदलता मौसम सिर्फ बुखार, जुकाम या खांसी ही करता है, लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि बदलते मौसम का सीधा असर कान पर पड़ता है। इसलिए बदलते मौसम में कानों का खास ख्याल रखना चाहिए। कानों में इंफेक्शन होने के कारणों के बारे में जानने के लिए हमने मुम्बई के होली फैमिली अस्पताल के ENT कंसल्टेंट डॉ. जार्विस पेरेरा (Dr. Jarvis Pereira, Consultant ENT, Holy Family Hospital, Mumbai) से बात की। उन्होंने कानों को सेफ रखने के तरीके भी बताए।
कान की इंफेक्शन क्या है?
डॉ. जार्विस कहते हैं,”कान की इंफेक्शन में मिडिल ईयर में तरल या पस जमा हो जाती है। यह इंफेक्शन बैक्टीरिया या वायरस से हो सकता है और आमतौर पर यह सर्दी-जुकाम या साइनस कंजेशन के बाद होता है। वैसे यह समस्या बच्चों में ज्यादा पाई जाती है क्योंकि उनके कान की यूस्थेशियन ट्यूब वयस्कों की तुलना में छोटी और सीधी होती है, जिससे तरल आसानी से जमा हो जाता है।”

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कान में इंफेक्शन क्यों होती है?
इस बारे में डॉ. जार्विस ने बताया, “जब तापमान में बदलाव होता है, तो upper respiratory tract और यूस्थेशियन ट्यूब पर असर पड़ता है। यही ट्यूब कान के अंदर के स्ट्रेस और तरल के बिच बैलेंस को बनाने का काम करती है। जब इसमें रुकावट आती है, तो कान में इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। खासतौर पर बच्चों में इंफेक्शन का रिस्क बढ़ जाता है क्योंकि बच्चों में यूस्थेशियन ट्यूब बहुत छोटी होती है, जिससे तरल आसानी से नहीं निकल पाता। अगर इंफेक्शन का इलाज समय पर न हो, तो कान के पर्दे में छेद हो सकता है। इसलिए इस मौसम में लोगों को अपने कानों का खास ध्यान रखना चाहिए। अगर कुछ भी लक्षण नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।”
बदलते मौसम के कारण कान में इंफेक्शन होने का रिस्क
डॉ. जार्विस ने कहा कि बदलते मौसम में कान में इंफेक्शन होने के कई कारण हो सकते हैं।
- जब ठंड बढ़ती है और हवा में नमी होती है, तो नाक और साइनस की झिल्ली सूज जाती है, जिससे सांस लेने में रुकावट और जमाव होता है।
- यूस्थेशियन ट्यूब कान और नाक के बीच होती है और जब नाक बंद होती है, तो इस स्थिति में ट्यूब में रुकावट आ जाती है और कान के अंदर का दबाव बैलेंस नहीं हो पाता।
- ब्लॉकेज की वजह से मिडिल ईयर में तरल फंस जाता है, जिस वजह से बैक्टीरिया या वायरस के पनपने लगते हैं।
कान की इंफेक्शन के लक्षण
डॉ. जार्विस ने कान के लक्षणों की जानकारी दी है।
- कान में दर्द या भारीपन महसूस होना
- सुनने की क्षमता कम होना
- कान से तरल या पस का निकलना
- सिरदर्द या चक्कर
- बुखार होना
- बच्चों में चिड़चिड़ापन या कान को बार-बार छूना
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कान की इंफेक्शन सही करने के तरीके
डॉ. जार्लिस ने कान की इंफेक्शन को सही करने के कुछ तरीके बताए हैं।
- नाक बंद होने पर सेलाइन नेजल स्प्रे या डॉक्टर के बताए डिकंजेस्टेंट इस्तेमाल करें। यह नाक के रास्तों को खुला रखकर यूस्थेशियन ट्यूब में जमा दबाव को कम करता है।
- भाप लेने से साइनस और यूस्थेशियन ट्यूब खुलती है। डॉक्टर से सलाह लेकर भाप में हल्के डिकंजेस्टेंट ऑयल (जैसे नीलगिरी) भी मिला सकते हैं।
- कान में इंफेक्शन होने पर पानी और तरल चीजें ज्यादा लें। इससे म्यूकस पतला होता है और जल्दी निकल जाता है।
- गर्म कमरे से ठंडी हवा में अचानक न जाएं। कानों को ढककर रखें ताकि ठंडी हवा सीधा कानों में न लगे।
- धूल, पोलन या पालतू जानवरों से थोड़ा बचकर रहें।
- कॉटन बड्स या नुकीली चीजें कान में न डालें। ये कान की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं और इंफेक्शन बढ़ा सकती हैं।
- किसी भी तरह की दवाई लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लें। दर्द, बुखार या पस निकलने की स्थिति है, तो डॉक्टर ऐंटिबायोटिक दे सकते हैं, लेकिन दवाइयां डॉक्टर से ही पूछकर लें।
बच्चों के कान को इंफेक्शन से कैसे बचाएं?
डॉ. जार्विस ने बच्चों के कान को इंफेक्शन से बचाने के लिए ये तरीके बताएं हैं।
- बच्चों को दूध पिलाते समय लिटाकर न पिलाएं। इससे तरल चीजें गले से कान की ट्यूब में जा सकती है।
- कान में कोई घरेलू तेल या ड्रॉप न डालें।
- बच्चे को बार-बार सर्दी या खांसी हो तो उसे तुरंत ENT डॉक्टर को दिखाएं।
- ठंडी हवा या पानी से कानों को बचाएं।
- सर्दी-जुकाम के इंफेक्शन से बचें।
- मौसमी बदलाव होने पर बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन सी दें।
- अगर बच्चे के कान से तरल या पस निकल रहा है, तो इस कंडीशन में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
निष्कर्ष
डॉ. जार्विस कहते हैं कि अगर किसी को दर्द या सुनने में परेशानी तीन दिन से ज्यादा रहे या फिर तेज बुखार या सिरदर्द हो तो कान में इंफेक्शन हो सकती है। बदलता मौसम सिर्फ गले या नाक को ही नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि कान में भी असर डालता है। इसलिए बदलते मौसम में कान का खास ध्यान रखें।
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- Oct 31, 2025 07:05 IST Published By : Aneesh Rawat