बदलती लाइफस्टाइल और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण लोग श्वसन तंत्र से जुड़ी अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। निमोनिया भी एक ऐसी ही बीमारी है जो फेफड़ों के संक्रमित होने के कारण पैदा होती है। बदलते मौसम में इसके संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि क्यों होती है यह बीमारी? इस बीमारी से बचने का उपचार और इसके पीछे छिपा कारण क्या है? इसके लिए हमने एक्सपर्ट से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे।
निमोनिया समस्या का मर्ज (Problem of pneumonia)
हमारे सांस लेने पर फेफड़े हवा को फिल्टर करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान वे ऑक्सीजन को पूरे शरीर में रक्त प्रभाव के जरिए भेजते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड युक्त हवा को सांस छोड़ने के दौरान बाहर निकालते हैं। ऐसे में फेफड़ों को महत्वपूर्ण अंगों में से एक माना जाता है। ऐसे में अगर फेफड़े ही संक्रमित हो जाए तो क्या हो? तो निश्चित ही शरीर को इसका नकारात्मक परिणाम झेलना पड़ता है।
बच्चों की बात करें तो यह संक्रमण वायरस के कारण पूरे शरीर में फैलता है। वहीं बड़ों में यह बीमारी बैक्टीरिया के कारण पैदा होती है, जिस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया तो ये गंभीर परिस्थिति भी पैदा कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होता है या किसी मरीज से मिलने जाता है तब भी निमोनिया जैसी बीमारी हो सकती है। यही कारण होता है कि आईसीयू में मरीजों से मिलने वालों को गाउन, शू, बॉडी कवर और मास्क पहनना कंपलसरी होता है। अगर वे इन सब चीजों को नहीं पहननते हैं तो मरीज के साथ और मिलने वाले व्यक्ति को संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।
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निमोनिया की वजह (Cause of pneumonia)
जब बैक्टीरिया के साथ फंगस और वायरस सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचते हैं तब यह बीमारी पैदा होती है। खासतौर पर प्रदूषण के कारण निमोनिया के मामलों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। वही जो लोग लंबे समय तक सर्दी-जुकाम या चिकनपॉक्स जैसी बीमारी के शिकार हो जाते हैं तो उनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है यही कारण होता है कि वे निमोनिया की समस्या से जल्दी ग्रस्त हो जाते हैं। अस्थमा, डायबिटीज, टीवी, कैंसर और दिल के मरीजों को भी निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है।
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निमोनिया के प्रमुख लक्षण
निमोनिया के लक्षण निम्न प्रकार हैं-
- तेज बुखार होना,
- खांसी के साथ कफ आना,
- खांसी के साथ कभी-कभी खून का आना,
- दिल की धड़कन तेज हो जाना,
- सांस लेते वक्त तकलीफ महसूस करना,
- लूज मोशन होना,
- उल्टी आना,
- भूख ना लगना,
- होंठों का नीला पड़ना,
- शरीर में कमजोरी होना।
ध्यान दें कि इनमें से कुछ लक्षण मामूली सर्दी जुकाम के भी हो सकते हैं। ऐसे में खुद विशलेषण करने से पहले डॉक्टर को जरूर दिखाएं। अगर निमोनिया के प्रमुख लक्षणों की बात की जाए तो बुखार होने के साथ-साथ बलगम वाली खांसी और सीने में दर्द भी मरीज को महसूस हो सकता है। साथ ही मरीज को चक्कर आने भी शुरू हो जाते हैं। चूंकि डायबिटीज से पीड़ित और बुजुर्ग लोगों का इम्यून सिस्टम तंदुरुस्त नहीं रहता इसीलिए वे बिना बुखार या खांसी के भी इस समस्या के शिकार हो सकते हैं। इन लोगों में चक्कर आने और भोजन में अरुचि जैसी लक्षण नजर आने लगते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि इन लोगों को समय-समय पर चेकअप करवाते रहें।
निमोनिया की जांच व उपचार(Pneumonia screening and treatment)
डॉक्टर इस बीमारी का पता लगाने के लिए खून और कफ की जांच करते हैं। इसके बाद लक्षणों को ध्यान में रखते हुए उपचार किया जाता है। बैक्टीरिया के कारण एंटीबायोटिक दवाइयां डॉक्टर द्वारा मरीज को प्रोवाइड की जाती है। डॉक्टर सलाह भी देते हैं कि मरीज इन दवाओं का सेवन नियमित रूप से करें। सलाह न मानने पर मरीज दोबारा इस समस्या का शिकार हो सकता है। बैक्टीरिया के कारण होने वाले इन्फेक्शन से मरीज 15 दिनों में ठीक हो जाता है लेकिन अगर इंफेक्शन वायरस के कारण हुआ है तो इलाज लंबा चलता है। अगर स्थिति गंभीर हो जाए तो डॉक्टर से मरीज को अस्पताल में ही भर्ती कर लेते हैं। वहां पर मरीज को सांस की गति को नियंत्रित करने के लिए ऑक्सीजन भी दिया जाता हैं। चूंकि इस बीमारी में छाती में कफ जमा हो जाता है इसीलिए डॉक्टर सक्शन के जरिए कफ को बाहर निकालते हैं, जिससे मरीज को जल्दी राहत मिल जाती है।
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निमोनिया से बचाव(Pneumonia prevention)
- 1- अगर आप निमोनिया से बचना चाहते हैं तो 2 साल से छोटी उम्र चक के बच्चों और 65 साल से अधिक लोगों को PCV-13 नामक टीका लगवाना जरूरी होता है। साथ ही जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है डॉक्टर उन्हें भी इस टीके को लगवाने की सलाह देते हैं।
- 2- अगर आपको या आपके आसपास किसी को खांसी हो रही है तो अपने मुंह पर रुमाल जरूर रखें। इसके अलावा अपने खाने पीने की चीजें किसी और के साथ शेयर ना करें। ऐसा करने से वायरस जल्दी फैलता है।
- 3- अगर आपको खांसी हो रही है और वे एक हफ्ते तक ठीक नहीं हुई है तो डॉक्टर से संपर्क करने में देरी ना करें।
- 4- अगर आप के आस पास प्रदूषित माहौल है तो घर से बाहर निकलते वक्त मास्क का उपयोग जरूर करें।
- 5- स्मोकिंग करने से बचें और यदि आपके आसपास कोई स्मोकिंग कर रहा है तो वहां से दूर हट जाए।
- 6- आपका घर प्रदूषण मुक्त रहना चाहिए। इसके लिए आप किचन में चिमनी या एग्जॉस्ट फैन जरूर लगवाएं। इसके अलावा कारपेट, सोफा आदि में धूल को जमने ना दें।
- 7- जब मौसम बदलता है उस वक्त सर्दी से बचने के लिए हल्के ऊनी कपड़ों का प्रयोग करें। बदलते मौसम में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
- 8- अगर आप अपनी श्वसन तंत्र को मजबूत बनाना चाहते हैं तो योग आपके बेहद काम आ सकता है। इसके लिए आप किसी एक्सपर्ट की मदद से अनुलोम विलोम का अभ्यास नियमित रूप से करें।
- 9- निमोनिया की असल वजह कमजोर इम्यून सिस्टम होता है। ऐसे में मौसमी फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। इसके लिए आप किसी अच्छे डायटिशियन की सलाह दी नहीं सकते हैं। साथ ही आप विटामिन सी की कमी शरीर में ना होने दें।
- 10- जो लोग सोचते हैं कि फल और दही खाने से सर्दी जुखाम हो जाता है वह गलत सोचते हैं। बता दें कि इनकी तासीर ठंडी होती है लेकिन सर्दियों में शरीर में बैलेंस बनाए रखने के लिए इनका सेवन भी जरूरी है। लेकिन हां, तुरंत फ्रिज से निकली चीजें खाने से सर्दी जुकाम होता है। ऐसे में तुरंत निकाल कर किसी भी चीज का सेवन ना करें और बदलते मौसम में ठंडे पानी के सेवन से बचें।
- 11- जंक फूड को अपनी डाइट से निकालें। साथ ही सॉस और जैम जेली जैसी चीजों से भी दूर रहें। क्योंकि इन सब चीजों में प्रिजर्वेटिव्स मौजूद होता है जो फेफड़ों के लिए नुकसानदेह है।
- 12- कुछ लोग घरेलू उपचार पर निर्भर रहते हैं ऐसे में अगर तीन-चार दिन के बाद भी सर्दी जुकाम ठीक नहीं हो रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह जरूर है साथ ही डॉक्टर की सलाह पर दवाओं का सेवन समय पर शुरू कर दें।
- 13- डॉक्टर अगर कोई दवाई बता रहा है तो थोड़े से फायदे पर दवाइयों को बीच में ना छोड़ें। ऐसा करने से दोबारा सर्दी जुकाम और बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- 14- अगर इन छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखा जाए तो आप निमोनिया जैसी गंभीर समस्या से बच सकते हैं।
निमोनिया से बच्चों को बचाना भी है जरूरी ( protect children from pneumonia)
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 5 साल या उससे कम के बच्चों का इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है। चूंकि इस उम्र के बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है ऐसे में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। अगर नवजात शिशु को सर्दी जुकाम हो जाए तो विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
बच्चों में निमोनिया के लक्षण
अगर बच्चों में निमोनिया के लक्षण की बात की जाए तो वे निम्न प्रकार हैं-
- सांस तेज तेज चलना
- यूरिन के साथ खून आना
- दूध ना पीना
- होंठों के साथ हाथ पैरों की उंगलियों का भी नीला पड़ना
- सुस्त हो जाना
डॉक्टर सलाह देते हैं कि यदि नवजात शिशु को सर्दी जुकाम हो जाए तो उसे हल्के में ना लें। इस तरह की तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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बच्चों को निमोनिया से बचाने के विशेष तरीके
- अगर आपके घर में छोटा बच्चा है तो सफाई का ध्यान रखें। किसी को भी बच्चे को गोद में देने से पहले सैनिटाइजर का प्रयोग जा हाथ जरूर धुलबाएं।
- जब भी शिशु के कमरे में जाएं तो जूते चप्पल बाहर ही उतार दें। कभी-कभी बैक्टीरिया जूतों से लगकर कमरे में आ जाता है।
- अगर आपको या आपके परिवार में किसी को सर्दी जुकाम है तो बच्चे से दूरी बना लें।
- सर्दियों में बच्चों का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसे में उन्हें शुरुआत से ही स्वेटर पहनाएं। इस बात का ध्यान रखें कि स्वेटर से बच्चों को पसीना भी आता है इसीलिए उसके वजह से भी बच्चों को ठंड लग जाती है और उन्हें निमोनिया हो जाता है। इसलिए समय-समय पर बच्चों के बॉडी टेंपरेचर को चेक करते रहें।
नोट- सर्दियों में इस बीमारी को खुद से दूर रखने का सबसे अच्छा उपाय है इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाए रखना। साथ ही अपनी दिनचर्या में योग, एक्सरसाइज और पोषण तत्वों को जोड़ने से भी आप इस समस्या से बचे रहेंगे।
(ये लेख डॉ अरुणेश कुमार ,सीनियर कंसल्टेंट - पल्मोनोलॉजी एंड हेड-पारस चेस्ट इंस्टिट्यूट, पारस हॉस्पिटल से बातचीत पर आधारित है। )
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