
सीढ़ियां रोजाना अनगिनत बार हम देखते हैं, लेकिन शायद ही कभी सोचते हैं कि ये हमारी सेहत को कितना बदल सकती हैं। दरअसल, हमारी रोजमर्रा की भागदौड़ में वर्कआउट के लिए अलग से समय निकाल पाना हर किसी के बस की बात नहीं। ऐसे में अगर कोई ऐसा तरीका मिल जाए जो बिना किसी उपकरण, बिना जिम और बिना तैयारी के भी शरीर को मजबूत बना दे, तो क्या यह किसी बोनस से कम है? यही कारण है कि कई डॉक्टर और फिटनेस एक्सपर्ट सीढ़ियां चढ़ने को सबसे आसान और असरदार रोजमर्रा का कार्डियो बताते हैं। खास बात यह कि सीढ़ियां चढ़ना न केवल वजन को कंट्रोल करता है, बल्कि स्टैमिना को भी बेहतर बनाता है, वो भी बेहद नेचुरल और सुरक्षित तरीके से। इस लेख में यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट, डॉ. प्रणय साई चंद्रगिरि (Dr. Pranay Sai Chandragiri, Consultant Interventional Pulmonologist, Yashoda Hospitals, Hyderabad) से जानिए, क्या सीढ़ियां चढ़ने से फेफड़े मजबूत होते हैं?
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क्या सीढ़ियां चढ़ने से फेफड़े मजबूत होते हैं? - Does climbing stairs increase lung capacity
पल्मोनोलॉजिस्ट, डॉ. प्रणय साई चंद्रगिरी बताते हैं कि जब भी हम सीढ़ियां चढ़ते हैं, हमारी ब्रीदिंग रेट बढ़ जाती है, यानी हमें सामान्य से तेज सांस लेनी पड़ती है। इस दौरान फेफड़ों को शरीर की मांसपेशियों तक ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होती है। यह दोहराव वाली प्रक्रिया फेफड़ों की कार्यक्षमता (lung efficiency) को मजबूत करती है।
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हालांकि, डॉ. प्रणय साई चंद्रगिरि यह भी स्पष्ट करते हैं कि सीढ़ियां चढ़ना हेल्दी लोगों में फेफड़ों की क्षमता (lung capacity) को नेचुरल सीमा से बहुत अधिक नहीं बढ़ाता, लेकिन यह इतना जरूर करता है कि फेफड़ों और दिल की कार्यप्रणाली अधिक समन्वयित और प्रभावी हो जाती है। इसका मतलब है कि आपका शरीर कम थकान के साथ ज्यादा काम कर पाता है।
सीओपीडी और आईएलडी मरीज
जिन लोगों को COPD (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) या ILD (Interstitial Lung Disease) जैसी पुरानी फेफड़ों की समस्याएं होती हैं, उनके लिए सीढ़ियां चढ़ना खास तौर पर लाभकारी माना जाता है। डॉ. चंद्रगिरी के अनुसार, ऐसे मरीजों में अक्सर सांस फूलना, थकान और कम स्टेमिना की शिकायतें रहती हैं। नियमित रूप से कंट्रोल्ड तरीके से सीढ़ियां चढ़ने से-
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- फेफड़ों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं
- शरीर ऑक्सीजन का उपयोग ज्यादा अच्छे से करने लगता है
- स्टेमिना और सहनशक्ति धीरे-धीरे बढ़ती है
- मरीजों को अपनी शारीरिक क्षमता पर दोबारा भरोसा लौटने लगता है
यही कारण है कि पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में सीढ़ियां चढ़ना एक अहम हिस्सा होता है। कई मामलों में इसका उपयोग मरीज की फिटनेस जांचने के लिए भी किया जाता है, खासकर किसी बड़ी सर्जरी से पहले।

किन लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए?
अगर आपको कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, तो सीढ़ियां चढ़ने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। विशेष रूप से-
- गंभीर सांस की बीमारी वाले लोग
- घुटने या जोड़ों के दर्द से परेशान व्यक्ति
- हार्ट डिजीज वाले मरीज
इन लोगों को अचानक से तेज या लंबे समय तक सीढ़ियां चढ़ना शुरू नहीं करना चाहिए। डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार सुरक्षित तरीके से एक्सरसाइज शुरू करने की सलाह दे सकते हैं।
निष्कर्ष
रोजाना कुछ मिनट की सीढ़ियां चढ़ने की आदत फेफड़ों को मजबूत बनाने, स्टेमिना बढ़ाने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है। डॉ. प्रणय साई चंद्रगिरी के अनुसार, चाहे आप पूरी तरह स्वस्थ हों या किसी पुरानी सांस की बीमारी से जूझ रहे हों, नियमित और कंट्रोल तरीके से सीढ़ियां चढ़ना आपके लिए एक प्रभावी कार्डियोपल्मोनरी वर्कआउट साबित हो सकता है।
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FAQ
क्या धूम्रपान छोड़ने से फेफड़ों में सुधार आता है?
धूम्रपान छोड़ने के कुछ हफ्तों के भीतर ही फेफड़ों की कार्यक्षमता सुधरने लगती है। लंबी अवधि में सांस फूलना, खांसी और इंफेक्शन का खतरा भी घट जाता है।प्रदूषण का फेफड़ों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से फेफड़ों की कार्यक्षमता घट सकती है, म्यूकस बढ़ सकता है और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।क्या बार-बार सांस फूलना फेफड़ों की बीमारी का संकेत है?
अगर हल्की एक्टिविटी में भी सांस फूलने लगे या पहले की तुलना में सहनशक्ति कम लगे, तो यह फेफड़ों या दिल की समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है।
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Dec 08, 2025 17:17 IST
Published By : Akanksha Tiwari