हमारे शरीर में फेफड़े (Lungs) सबसे खास अंगों में से एक हैं, जो सांस लेने और शरीर को ऑक्सीजन देने का काम करते हैं, लेकिन इनके बारे में कई तरह की गलतफहमियां (Myths) लोगों के बीच फैले हुए हैं। कुछ लोग मानते हैं कि केवल स्मोकिंग करने वालों को ही फेफड़ों की बीमारी होती है, वहीं कुछ का मानना है कि प्रदूषण का असर सिर्फ बाहर काम करने वालों पर पड़ता है। इसी तरह बहुत से लोग सोचते हैं कि घर पर मास्क पहनने की जरूरत नहीं या फिर हर्बल उपायों से फेफड़े पूरी तरह साफ हो जाते हैं। असलियत यह है कि इन धारणाओं में सच्चाई से ज्यादा भ्रम है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि गलतफहमियों के कारण लोग समय पर अपनी फेफड़ों की सही देखभाल नहीं कर पाते और गंभीर बीमारियों जैसे अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस और यहां तक कि फेफड़ों के कैंसर का शिकार भी हो जाते हैं। आइए जानते हैं फेफड़ों की सेहत को लेकर 5 आम गलतफहमियों के पीछे की सच्चाई। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ. राजेश हर्षवर्धन से बात की।
मिथक 1: सिर्फ स्मोकर्स को ही फेफड़ों की समस्या होती है- Only Smokers Face Lung Problems
सच: डॉ. राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि स्मोकिंग करने वालों में फेफड़ों की बीमारी का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन नॉन-स्मोकर्स भी प्रदूषण, पैसिव स्मोकिंग, धूल और एलर्जी की वजह से फेफड़ों की समस्याओं का शिकार हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, पैसिव स्मोकिंग से हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं।
मिथक 2: हर्बल उपाय से फेफड़े पूरी तरह साफ हो जाते हैं- Herbal Remedies Can Completely Detox Lungs
सच: कुछ हर्बल टी, काढ़े या घरेलू उपाय फेफड़ों को सपोर्ट जरूर करते हैं, लेकिन यह पूरी तरह फेफड़ों को साफ नहीं कर सकते। सही डाइट, एक्सरसाइज और डॉक्टर की दवाओं का सेवन करना जरूरी है। सिर्फ हर्बल उपायों पर निर्भर रहना खतरनाक हो सकता है।
मिथक 3: सांस फूलना हमेशा उम्र बढ़ने की वजह से होता है- Breathlessness Is Only Due To Age
सच: डॉ. राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि सांस फूलना (Breathlessness), दिल की बीमारी, अस्थमा, फेफड़ों के इफेक्शन या एनीमिया का संकेत हो सकता है। इसे उम्र से जोड़कर अनदेखा करना आपकी सेहत को गंभीर खतरे में डाल सकता है।
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मिथक 4: प्रदूषण का असर सिर्फ बाहर रहने वालों पर पड़ता है- Pollution Affects People Who Are Outside Only
सच: घर के अंदर की हवा भी उतनी ही हानिकारक हो सकती है जितनी बाहर की। धूप का अभाव, धूल, मच्छर अगरबत्ती या किचन का धुआं भी फेफड़ों की सेहत बिगाड़ सकता है। इंडोर एयर क्वालिटी खराब होने से अस्थमा (Asthma) और एलर्जी के केस बढ़ सकते हैं।
मिथक 5: ज्यादा पानी पीने से फेफड़े पूरी तरह साफ हो जाते हैं- Drinking Lot Of Water Cleanses Lungs
सच: यह एक आम गलतफहमी है कि बहुत ज्यादा पानी पीने से फेफड़ों में जमा धूल, प्रदूषण या टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं। असल में पानी शरीर को हाइड्रेट रखता है और बलगम को पतला करने में मदद करता है, जिससे सांस लेना आसान हो सकता है, लेकिन केवल पानी पीने से फेफड़े साफ नहीं होते। फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए एक्सरसाइज, प्रदूषण से बचाव और हेल्दी डाइट भी उतनी ही जरूरी है।
निष्कर्ष:
फेफड़ों की सेहत को लेकर बनी गलतफहमियां अक्सर लोगों को असली समस्या तक नहीं पहुंचने देतीं। जरूरी है कि हम इन मिथकों को सच न मानें और समय पर डॉक्टर की सलाह लें।
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FAQ
फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?
फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए धूम्रपान से दूर रहें, प्रदूषण और धूल से बचें, नियमित एक्सरसाइज करें और पौष्टिक आहार लें। सांस संबंधी योग और प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने में बेहद फायदेमंद हैं।स्वस्थ फेफड़ों के लिए कौन सी जांच करवाएं?
फेफड़ों की सेहत जांचने के लिए स्पाइरोमेट्री टेस्ट, एक्स-रे, सीटी स्कैन और पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट कराए जा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर ब्लड गैस एनालिसिस और एलर्जी टेस्ट करवाने की सलाह भी देते हैं।फेफड़ों की बीमारी के लक्षण क्या हैं?
लगातार खांसी, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, घरघराहट, थकान, बार-बार सर्दी-जुकाम या खून की खांसी फेफड़ों की बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इन्हें नजरअंदाज करने से गंभीर रोग हो सकते हैं।
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Oct 01, 2025 13:00 IST
Published By : Yashaswi Mathur