Walking Pneumonia: निमोनिया के माइल्ड रूप को ही वॉकिंग निमोनिया कहा जाता है। अगर मरीज समय पर अपना ध्यान दे, वॉकिंग निमोनिया को गंभीर होने से रोका जा सकता है। हालांकि, इन दिनों मौसम तेजी से बदल रहा है, ऐसे में लोगों को आसानी से सर्दी-जुकाम और मौसमी संक्रमा हो रहा है। इस तरह की स्थिति में अपना ख्याल न रखा जाए, तो मामूली सा संक्रमण भी निमोनिया में बदल सकता है। बहरहाल, वॉकिंग निमोनिया की बात करें, तो इससे बचे रहना बहुत जरूरी है। यह रेस्पीरेटरी सिस्टम से जुड़ी बीमारी है। अगर यह गंभीर हो जाती है, तो मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इस लेख में हम जानेगकि कि किन लोगों को वॉकिंग निमोनिया का खतरा सबसे अधिक होता है। इस बारे में ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित सर्वोदय अस्पताल में Sr. Consultant - Pulmonology डॉ. सपना यादव से बात की।
किन लोगों को रहता है वॉकिंग निमोनिया का रिस्क- Who Is Most Likely To Get Walking Pneumonia
छोटे बच्चे
वैसे तो वॉकिंग निमोनिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन छोटे बच्चे, खासकर 2 से 5 साल की उम्र के बच्चे इसकी चपेट में अधिक आते हैं। असल में इस उम्र के बच्चों का शरीर अब भी डेवेलप हो रहा होता है। इस वजह से इस उम्र के बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है और ये आसानी से किसी भी बीमारी या संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं।
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कमजोर इम्यूनिटी
डॉ. सपना यादव कहती हैं, "जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है, उन्हें भी वॉकिंग निमोनिया का रिस्क अक्सर बना रहता है। विशेषज्ञों के अनुसार, जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उनका शरीर संक्रमण या जर्म्स के खिलाफ लड़ने में सक्षम नहीं होता है। ऐसे में मौसमी समस्याएं भी इन लोगों को अधिक होती है। नतीजतन, वॉकिंग निमोनिया का रिस्क भी इन लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है। आमतौर पर जिन्हें एचआईवी, ऑटोइम्यून डिजीज जैसी बीमारियां हैं, उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है।"
पुरानी बीमारी
अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी तरह की बीमारी से ग्रस्त है, तो उनमें भी वॉकिंग निमोनिया होने का जोखिम बना रहता है। खासकर, उन लोगों को जिन्हें लंग्स से जुड़ी समस्या, जैसे अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज आदि है। ध्यान रखें कि जिन्हें लंग्स से संबंधित कोई गंभीर और क्रॉनिक बीमारी है, उनके लंग्स पहले से ही कमजोर होते हैं। ऐसे में वॉकिंग निमोनिया का जोखिम अपने आप बढ़ जाता है।
धूम्रपान
वॉकिंग निमोनिया का रिस्क लंबे समय से धूम्रपान कर रहे लोगों में भी होता है। असल में, धूम्रपान करने की वजह से लंग्स कमजोर हो जाते हैं। कमजोर लंग्स संक्रमण या बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ नहीं पाते हैं। इस तरह के लोगों में वॉकिंग निमोनिया का जोखिम भी बढ़ जाता है। हां, अगर व्यक्ति स्मोकिंग करना छोड़ दे, तो लंग्स धीरे-धीरे रिकवर हो जाते हैं और उनकी एबिलिटी में सुधार होने लगता है।
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निष्कर्ष
कुल मिलाकर, कहने की बात ये है कि वॉकिंग निमोनिया लंग्स से जुड़ी एक ऐसी समस्या है, जिसके प्रति लापरवाही करना सही नहीं है। इस तरह की बीमारी उन लोगों को अधिक होती है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसमें 5 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं और जो पहले से ही गंभीर रूप से बीमार हैं, वे भी इसके जोखिम में नजर आते हैं। अगर किसी को सर्दी-जुकाम या खांसी हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
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Oct 01, 2025 12:51 IST
Published By : Meera Tagore