Doctor Verified

Air Pollution: दिल्ली समेत कई शहरों में बढ़ता AQI क्यों है खतरनाक? 5 डॉक्टर्स दे रहे हैं हर सवाल का जवाब

Air pollution in india: देशभर में AQI बढ़ने से लोगों को सांस से जुड़ी समस्याएं, स्किन, गले में दर्द, सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां हो रही है। इस लेख में डॉक्टर्स ने AQI, PM और बीमारियों के बारे में विस्तार से बताया है।
  • SHARE
  • FOLLOW
Air Pollution: दिल्ली समेत कई शहरों में बढ़ता AQI क्यों है खतरनाक? 5 डॉक्टर्स दे रहे हैं हर सवाल का जवाब

Air pollution in india: दिल्ली-एनसीआर के अलावा देशभर के कई शहरों में बढ़ता AQI लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। सुबह उठते ही आंखों में जलन, गले में दर्द, खांसी, सर्दी-जुकाम, सांस लेने में दिक्कत और सिरदर्द की शिकायत आम देखने (air pollution se nuksan) को मिल रही है। लगातार गंभीर स्थिति में AQI को देखते हुए ब्रिटेन, कनाडा और सिंगापुर सहित कई देशों ने उत्तरी भारत में अपने नागरिकों के लिए यात्रा संबंधी चेतावनी जारी की है। अपने देश के नागरिकों को सलाह देते हुए कहा गया है कि प्रेग्नेंट महिलाओं और हार्ट या सांस से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भारत का सफर करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इस वजह से डॉक्टर्स Air Pollution को साइलेंट किलर भी मानते हैं क्योंकि प्रदूषण धीरे-धीरे शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचा रहा है। Air Pollution से जुड़े हर मुद्दे पर हमने डॉक्टर्स से विस्तार से बात की। प्रदूषण से जुड़े मुद्दों पर बात करने से पहले जानते हैं कि पॉल्यूशन की वजह से कितने लोगों ने अपनी जान गवाई है?


इस पेज पर:-


प्रदूषण से होने वाली बीमारियों और मौत का आंकड़ा

WHO की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल दुनियाभर में करीब 70 लाख लोगों की मौत प्रदूषित हवा की वजह से होती है। इनमें हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, फेफड़ों का कैंसर, COPD और निमोनिया जैसी बीमारियां शामिल हैं। भारत में तो पॉल्यूशन के हालात काफी गंभीर है। The Lancet Countdown on Health and Climate Change रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में भारत में 17 लाख से ज्यादा मौतें सिर्फ PM 2.5 प्रदूषण के कारण हुईं थी और साल 2023 में यह आंकड़ा करीब 20 लाख मौतों तक पहुंच गया था। बढ़ता AQI आज भी दिल्ली के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, दिल्ली के कई इलाकों में AQI 350 के पार है।

 दिल्ली के इलाके  AQI का स्तर
 बवाना  368
 मुंडका  364
 आईटीओ  363
 वजीरपुर  361
 NSIT, द्वारका  360
 जहांगीरपुरी  358
 सिरीफोर्ट  352

AQI क्या है और कितना AQI खतरनाक माना जाता है?

AQI का मतलब है Air Quality Index, जो हवा की गुणवत्ता को मापने का पैमाना है। AQI जितना ज्यादा होगा, हवा उतनी ही खराब मानी जाती है। दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के रेस्पिरेट्री मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ. अनिमेष आर्य (Animesh Arya, Director, Respiratory Medicine, Sri Balaji Action Medical Institute) कहते हैं कि जब AQI 400 से ऊपर चला जाए, तो बाहर टहलना या एक्सरसाइज करना फायदे की बजाय नुकसानदेह हो जाता है। इन दिनों में घर के अंदर रहना ही सेफ रहता है। इसके अलावा, प्रदूषण भरे दिनों में बच्चों को भी बाहर खेलने से रोकना चाहिए और सुबह-शाम की सैर कुछ समय के लिए रोक देना ही बेहतर रहता है।

AQI levels

यह भी पढ़ें- Delhi AQI 500: बढ़ते प्रदूषण में अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक तरीके, आयुर्वेदाचार्य ने बताए फायदे

PM 2.5 और PM 10 क्या है? सेहत के लिए क्यों खतरनाक?

जब हम AQI की बात करते हैं, तो एक्सपर्ट्स PM 2.5 और PM 10 के बारे में भी बताते हैं। इस बारे में हमने विस्तार से आकाश हेल्थकेयर के रेस्पिरेटरी एवं स्लीप मेडिसिन के एचओडी और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अक्षय बुधराजा (Dr. Akshay Budhraja, Senior Consultant & HOD - Respiratory & Sleep Medicine, Aakash Healthcare) से बात की। उन्होंने कहा, “ PM का मतलब है Particulate Matter, यानी हवा में मौजूद बेहद सूक्ष्म कण। PM 10 वे कण होते हैं जिनका आकार 10 माइक्रोन या उससे कम होता है। ये धूल, पराग, निर्माण कार्य और सड़क की मिट्टी से निकलते हैं। ये नाक और गले तक पहुंच सकते हैं। वहीं PM 2.5 और भी खतरनाक होते हैं, क्योंकि इनका आकार सिर्फ 2.5 माइक्रोन या उससे कम होता है। ये वाहन के धुएं, फैक्ट्रियों और जलने वाली चीजों से निकलते हैं और सीधे फेफड़ों के भीतर जाकर खून में मिल सकते हैं। इसलिए PM 2.5 और PM 10 सांस की बीमारियों, अस्थमा, एलर्जी, फेफड़ों के संक्रमण, दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाते हैं।”

pm10 dr akshay quote

यह भी पढ़ें- Delhi AQI 500: हार्ट के रोगियों के लिए बढ़ रही खतरे की घंटी, बरतें जरूरी सावधानियां

Air Pollution किन अंगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है?

सिटी इमेजिंग एंड क्लिनिकल लैब्स के फाउंडर और डेसिग्नेटेड पार्टनर डॉ. आकार कपूर (Dr. Aakaar Kapoor, Founder & Designated Partner) कहते हैं,“ पॉल्यूशन के कारण शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों पर डायरेक्ट और इनडायरेक्ट असर पड़ता है। सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है। Air Pollution के कारण कई तरह की समस्याएं हो रही हैं।”

  1. सांस की बीमारियां, अस्थमा और फेफड़ों का फंक्शन कम हो सकता है।
  2. हार्ट पर असर जैसे हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
  3. याददाश्त कमजोर होना, स्ट्रेस और स्ट्रोक का रिस्क देखा जा सकता है।
  4. आंखों में जलन, एलर्जी और आंखों की रोशनी संबंधी समस्याएं होती हैं।
  5. स्किन, किडनी, लिवर और इम्युनिटी कम होने की समस्याएं होती है।
  6. कई मामलों में किडनी और रिप्रोडक्टिव सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाता है।

किन लोगों के लिए Air Pollution बहुत ज्यादा खतरनाक है?

एशियन हॉस्पिटल के रेस्पिरेटरी, क्रिटिकल केयर एवं स्लीप मेडिसिन के डायरेक्टर और हेड डॉ. मानव मनचंदा (Dr. Manav Manchanda, Director & Head- Respiratory, Critical Care & Sleep Medicine,Asian Institute of Medical Sciences) कहते हैं, “ जिस तरह से AQI गंभीर स्थिति में पहुंच गया है, उसे देखते हुए यह सिर्फ खांसी-जुकाम तक सीमित नहीं है। जिन लोगों को अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियां हैं, उन लोगों को बढ़ते AQI से गंभीर दिक्कत हो सकती है। हार्ट के मरीजों, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक के मरीजों में दिल का दौरा पड़ने का रिस्क बढ़ जाता है। बच्चों, बुजुर्गों और प्रेग्नेंट महिलाओं की इम्युनिटी कमजोर होती है, इसलिए उन पर जल्दी असर देखने को मिलता है। जिन लोगों को डायबिटीज और एलर्जी जैसी समस्याएं हैं, उनकी सेहत से जुड़ी कई जटिलताएं बढ़ सकती है।”

क्या घर के अंदर रहना सेफ है?

डॉ. अक्षय बुधराजा कहते हैं, “जब बाहर AQI 400 से 500 के बीच हो, तो घर के अंदर रहना सेफ है, लेकिन सच यह है कि घर के अंदर का प्रदूषण भी उतना ही खतरनाक हो सकता है। किचन में इस्तेमाल होने वाला धुआं, अगरबत्ती, मच्छर कॉइल, धूपबत्ती, रूम फ्रेशनर, धूल, फफूंद और खराब वेंटिलेशन घर के भीतर हवा को जहरीला बना देते हैं। लंबे समय तक ऐसी हवा में सांस लेने से अस्थमा, एलर्जी, सिरदर्द, आंखों में जलन और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोगों पर इसका असर और गंभीर हो सकता है।”

dr animesh aqi precautions quote

यह भी पढ़ें- Delhi AQI 500 के पार, घर से बाहर निकलने पर ध्यान रखें ये बातें

Air Pollution में मॉर्निग वॉक करना कितना सही है?

डॉ. अनिमेष आर्य कहते हैं, जब AQI बहुत गंभीर स्थिति में हो, तो ऐसे में मॉर्निंग वॉक करना सेहत के लिए सेफ नहीं माना जाता। इस स्तर पर हवा में PM 2.5 और PM 10 बहुत ज्यादा होता है, जो सांस के साथ सीधे फेफड़ों में पहुंच जाते हैं। सुबह के समय अक्सर टेम्परेचर कम होने के कारण ये जमीन के पास ही जमा रहते हैं, जिससे मॉर्निंग वॉक के दौरान शरीर में इनका असर और ज्यादा हो सकता है। तेज चलने या दौड़ने से सांस की गति बढ़ जाती है और व्यक्ति सामान्य से कहीं अधिक प्रदूषित हवा अंदर ले लेता है। इसका असर आंखों में जलन, गले में खराश, खांसी, सिरदर्द, सांस फूलना, सीने में जकड़न और थकान के रूप में तुरंत दिख सकता है।”

Air Pollution से कैसे बचा जाए?

डॉ. अनिमेष कहते हैं कि लोगों को इस पॉल्यूशन में बाहर निकलते हुए कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।

  1. घर के अंदर ही हल्की एक्सरसाइज करें।
  2. बाहर जाने पर N95 या उससे बेहतर मास्क का इस्तेमाल करें।
  3. मास्क पहनकर किसी भी तरह की भारी एक्सरसाइज न करें।
  4. घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
  5. घर की खिड़कियां बंद रखें।
  6. स्मोकिंग से दूरी बनाएं।
  7. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
  8. बच्चों को बाहर न खेलने दें।
  9. सुबह-शाम की वॉक न करें।
  10. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार, जैसे फल-सब्जियां लें।

ayurvedic precautions dr chetan quote

यह भी पढ़ें- Delhi AQI 500: दिल्ली-NCR की हवा में घुल रहा जहर, अस्थमा के मरीज बरतें ये 5 सावधानियां

प्रदूषण से बचने के लिए आयुर्वेदिक टिप्स

फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल के सीनियर आयुर्वेदिक पंचकर्मा कंसल्टेंट डॉ. चेतन शर्मा (Dr. Chetan Sharma, Sr. Ayurveda Panchakarma Consultant, Sarvodaya Hospital, Faridabad & Noida) ने बताया कि प्रदूषण मुख्य रूप से प्राणवह स्रोतस, रस धातु और कफ दोष को प्रभावित करता है। इसलिए प्रदूषण से बचने के लिए गुनगुने तिल के तेल की दो बूंदे दोनों नाक के छिद्रों में डाल सकते हैं। यह नाक की श्लेष्मा झिल्ली को मजबूत करता है। इससे नाक में सूखापन और संक्रमण से बचाव होता है। इसके साथ ही गर्म पानी में तुलसी की पत्तियां और थोड़ी अजवाइन डालकर भाप लेने से श्वसन तंत्र में जमा कफ ढीला होता है और सांस लेना आसान होता है। इसके अलावा, रोजाना अपने खाने में जीरा, अजवाइन और हल्दी शामिल करें। इससे अग्नि संतुलित रहती है और सूजन व इंफेक्शन का रिस्क कम होता है।

निष्कर्ष

प्रदूषण की समस्या अब सिर्फ बदलते मौसम तक सीमित नहीं रह गई है। लगातार बढ़ते AQI और PM 2.5 और PM 10 के बढ़ते असर के कारण लोगों की हेल्थ पर असर पड़ने लगा है। इससे बचाव के लिए प्रदूषण को कम करना तो बहुत महत्वपूर्ण है ही, साथ ही लोगों को रोजमर्रा के जीवन में भी कुछ सेहतमंद आदतों को अपनाकर इससे बचा जा सकता है।

यह विडियो भी देखें

FAQ

  • एयर पॉल्यूशन में क्या-क्या होता है?

    एयर पॉल्यूशन में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड, मीथेन, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे जहरीले तत्व होते हैं।
  • वायु प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं?

    इनडोर एयर पॉल्यूशन में घर के अंदर का प्रदूषण शामिल होता है और आउटडोर में बाहरी प्रदूषण होता है।
  • एयर पॉल्यूशन से कौन-कौन सी बीमारी होती है?

    वायु प्रदूषण अस्थमा और COPD को बढ़ा सकता है और सांस से जुड़े सिस्टम के इंफेक्शन और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। इससे हार्ट अटैक और कोरोनरी धमनी रोग का रिस्क भी बढ़ सकता है।

 

 

 

Read Next

Air Pollution: आंखों में सूखापन, लालिमा और पानी आने के पीछे क्या है वजह? डॉक्टर से जानें

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version

  • Dec 17, 2025 19:23 IST

    Published By : Aneesh Rawat

TAGS