Medically Reviewed by Dr Chetan Sharma

Delhi AQI 500: बढ़ते प्रदूषण में अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक तरीके, आयुर्वेदाचार्य ने बताए फायदे

Delhi AQI 500: दिल्ली और आसपास के राज्यों में AQI गंभीर हो रहा है और इसी कारण लोगों को सांस, स्किन और इम्युनिटी से जुड़ी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। इस लेख में आयुर्वेदिक डॉक्टर ने प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को कुछ टिप्स दिए हैं, जिसे अपनाकर फेफड़ों और इम्युनिटी को मजबूत किया जा सकता है।
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Delhi AQI 500: बढ़ते प्रदूषण में अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक तरीके, आयुर्वेदाचार्य ने बताए फायदे

Ayurvedic Hacks To Protect From Pollution: दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ आसपास के राज्यों में जिस तरह हवा में प्रदूषण का जहर घुल चुका है, उसे देखते हुए लोग बाहर निकलने से बच रहे हैं। दिल्ली और आसपास के शहरों में AQI लगातार गंभीर हो रहा है और सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, आज भी दिल्ली के कई इलाकों जैसे बवाना, आनंद विहार, ITO, मुंडका और नरेला जैसे इलाकों में AQI 350 से पार है। इसी वजह से दिल्ली में GRAP-4 (grap stage 4 restrictions) लगी है, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस माहौल में लगातार रहने से लोगों को खांसी, जुकाम, दस्त और बुखार जैसी समस्याएं अब आम हो गई है। इसके अलावा, लगातार बढ़ते AQI में सांस लेने से फेफड़े और इम्युनिटी दोनों प्रभावित हो रहे हैं। इम्युनिटी और लंग्स को प्रदूषण से बचाने के लिए हमने फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल के सीनियर आयुर्वेदिक पंचकर्मा कंसल्टेंट डॉ. चेतन शर्मा (Dr. Chetan Sharma, Sr. Ayurveda Panchakarma Consultant, Sarvodaya Hospital, Faridabad & Noida) से बात की। उन्होंने लोगों को रोजाना इन 5 चीजों को लेने की सलाह दी है।


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बढ़ते प्रदूषण में आयुर्वेदिक 5 टिप्स

डॉ. चेतन कहते हैं, “आयुर्वेदिक दृष्टि से प्रदूषण मुख्य रूप से प्राणवह स्रोतस, रस धातु और कफ दोष को प्रभावित करता है। जब सांस के जरिए हवा शरीर में जाती है, तो वही प्राणवह स्रोतस को पोषण देती है। अगर हवा प्रदूषित होगी, तो फेफड़ों, स्किन, आंखों और इम्युनिटी पर सबसे ज्यादा असर डालती है। इसलिए लोगों को सर्दी-खांसी के अलावा, गले में खराश, सांस फूलने जैसी समस्याएं होने लगती है। इस समस्याओं से बचने के लिए आयुर्वेदिक तरीकों को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल किया जा सकता है।

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तिल के गुनगुने तेल से नस्य

डॉ. चेतन कहते हैं कि सबसे पहले नाक से ही प्रदूषित हवा शरीर में जाती है, इसलिए नाक को सेफ रखना बहुत जरूरी है। रोज सुबह खाली पेट या नहाने से पहले दोनों नाक के छिद्रों में दो बूंद गुनगुना तिल का तेल जरूर डालें। इससे नाक की श्लेष्मा झिल्ली मजबूत होती है, नाक का सूखापन और एलर्जी कम होती है। तिल का तेल धूल और पोल्यूशन के कणों को अंदर जाने से रोकता है। तिल का तेल उन लोगों को जरूर डालना चाहिए, जो रोजाना ट्रैफिक में काफी समय बिताते हैं।

तुलसी और अजवाइन के साथ भाप लेना

भाप लेना एक पुराना लेकिन बेहद असरदार उपाय है। दिन में एक बार गर्म पानी में तुलसी की पत्तियां और थोड़ी अजवाइन डालकर भाप लेने से फेफड़ों की सफाई होती है। भाप लेने से फेफड़ोंं में जमा कफ ढीला पड़ने लगता है, सांस लेना आसान हो जाता है, नाक और गले की जलन कम होती है। वैसे तुलसी और अजवाइन की भाप लेना किसी नेचुरल थेरेपी से कम नहीं है।

रात में दही और ठंडे फल न खाना

वैसे तो हमेशा लोग यही सोचते हैं कि दही और फल दोनों ही सेहत के लिए अच्छे होते हैं, लेकिन आयुर्वेद में खाने का समय और मौसम दोनों महत्वपूर्ण है। प्रदूषण और सर्दी में रात को दही, केला, संतरा जैसे ठंडे और भारी फल कफ को बढ़ा सकते हैं। जो लोग ठंडे फल या दही खाते हैं, उनका नाक बंद होने, खांसी और गले में खराश जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसलिए रात को हल्का और गर्म भोजन करना बेहतर होता है।

दिनभर गुनगुना पानी पिएं

प्रदूषण के इस मौसम में ठंडा पानी पीना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए लोगों को इस मौसम में गुनगुना पानी पीना चाहिए। गुनगुना पानी पीने से डाइजेशन बेहतर होता है, शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और कफ बैलेंस होता है। दिनभर थोड़ा-थोड़ा गुनगुना पानी पीना शरीर की नेचुरल सफाई करने में मददगार होता है।
खाने में जीरा, अजवाइन और हल्दी का इस्तेमाल
आयुर्वेद में मसालों को औषधि के रूप में देखा जाता है। रोजाना जीरा, अजवाइन और हल्दी खाने से डाइजेशन की अग्नि बैलेंस रहती है, सूजन और इंफेक्शन का रिस्क कम होता है और इम्युनिटी मजबूत होती है। ये मसाले शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को अंदर से मजबूत करते हैं।

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हल्का सूप पिएं

मूंग दाल का सूप, सब्जियों का सूप और तुलसी से युक्त सूप प्रदूषण के प्रभाव को कम करने में मददगार होता है। इससे शरीर डिटॉक्स होता है, कमजोरी और थकान कम होती है। रात में सूप पीना काफी अच्छा रहता है। इसलिए इस प्रदूषण के मौसम में लोगों को सूप और हल्का भोजन करना चाहिए।

निष्कर्ष

डॉ. चेतन कहते हैं कि वैसे तो प्रदूषण से बच पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाकर फेफड़ों और शरीर को काफी हद तक सेफ रखा जा सकता है। वैसे तो ये उपाय सामान्य लोगों के लिए है, लेकिन अगर किसी को स्वास्थ्य से जुड़ी कोई परेशानी है,तो उसे पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

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FAQ

  • Normal AQI कितना होता है?

    नार्मल AQI 0 से 100 के बीच होता है, जिसमें 0-50 को 'अच्छा' और 51-100 को 'मध्यम' माना जाता है। अगर 100 से ज्यादा है, तो चिंता का विषय है।
  • एक्यूआई 450 का क्या मतलब है?

    AQI जितना ज्यादा होता है, प्रदूषण का लेवल उतना ही ज्यादा होगा। अगर AQI 450 या इससे ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि AQI मान खतरनाक या गंभीर स्थिति में है।
  • 500 एक्यूआई कितने सिगरेट है?

    सर्दियों में प्रदूषण का स्तर काफी गंभीर हो जाता है। अगर AQI 500 के पार भी पहुंच जाता है, तो यह रोजाना लगभग 25 से 30 सिगरेट पीने के बराबर है।

 

 

 

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  • Current Version

  • Dec 16, 2025 19:03 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Dec 16, 2025 19:01 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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