आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खानपान की गलत आदतें, जंक फूड का ज्यादा सेवन, कामकाज का तनाव और फिजिकल एक्टिविटी की कमी लोगों को कई बीमारियों की ओर धकेल रही हैं। इन्हीं में से एक है फैटी लिवर, यह समस्या शुरुआत में तो बेहद मामूली लगती है लेकिन यही आगे चलकर गंभीर बीमारियों की जड़ बन जाती है। लिवर हमारे शरीर का सबसे अहम अंग है, जो पाचन से लेकर डिटॉक्सिफिकेशन तक जरूरी कार्य करता है। लेकिन जब इसमें चर्बी जमने लगती है, तो इसके फंक्शन धीरे-धीरे प्रभावित होने लगते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि फैटी लिवर की शुरुआती अवस्था में आमतौर पर कोई स्पष्ट लक्षण नजर नहीं आते। मरीज को तब तक पता नहीं चलता जब तक यह समस्या दूसरी बड़ी बीमारियों का कारण नहीं बन जाती। अगर समय रहते इसका इलाज और रोकथाम न की जाए, तो फैटी लिवर धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों में बदल सकता है। इस लेख में धर्मशिला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली के वरिष्ठ सलाहकार- मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डॉ. महेश गुप्ता (Dr. Mahesh Gupta, Senior Consultant- Medical Gastroenterology, Dharamshila Narayana Superspeciality Hospital, Delhi) से जानिए, फैटी लिवर किन बीमारियों का कारण बनता है?
फैटी लीवर से कौन-कौन से रोग होते हैं? - Diseases Caused by Fatty Liver
1. लिवर सिरोसिस - Liver Cirrhosis
फैटी लिवर अगर लंबे समय तक अनदेखा किया जाए तो यह लिवर सिरोसिस में बदल सकता है। सिरोसिस में लिवर की कोशिकाएं धीरे-धीरे खत्म हो जाती हैं और उनकी जगह पर स्कार टिश्यू बनने लगता है। इससे लिवर की कार्यक्षमता कम हो जाती है। लिवर सिरोसिस में पाचन संबंधी समस्याएं, भूख न लगना, वजन घटना, थकान, पेट में पानी भरना और पीलिया जैसी गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं। लिवर सिरोसिस की समस्या में कई बार लिवर ट्रांसप्लांट तक की जरूरत पड़ जाती है। अगर फैटी लिवर की पहचान शुरुआती लेवल पर हो जाए और व्यक्ति समय रहते लाइफस्टाइल में सुधार कर ले, तो सिरोसिस से बचा जा सकता है।
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2. लिवर कैंसर - Liver Cancer
फैटी लिवर का दूसरा बड़ा खतरा है लिवर कैंसर। लंबे समय तक फैट के जमाव और लिवर में सूजन के कारण कोशिकाओं में बदलाव आ सकता है, जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकता है। लिवर कैंसर की शुरुआती स्टेज पर इसका पता लगाना मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लक्षण बहुत सामान्य होते हैं। भूख कम लगना, लगातार थकान रहना, पेट में गांठ या सूजन और अचानक वजन कम होना इसके संकेत हो सकते हैं। भारत में लिवर कैंसर के केस लगातार बढ़ रहे हैं और इसमें फैटी लिवर एक बड़ा रिस्क फैक्टर माना जा रहा है।
3. हार्ट डिजीज - Cardiovascular Disease
डॉ. महेश गुप्ता बताते हैं कि फैटी लिवर सिर्फ लिवर तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि यह दिल की सेहत को भी नुकसान पहुंचाता है। फैटी लिवर वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक का खतरा दोगुना बढ़ जाता है। जब लिवर सही तरीके से काम नहीं करता तो शरीर में फैट मेटाबॉलिज्म बिगड़ जाता है, जिससे खून की नलियों में फैट जमा होने लगता है। यह ब्लॉकेज बनाकर हार्ट डिजीज का कारण बन सकता है।
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4. टाइप-2 डायबिटीज - Type 2 Diabetes
डॉ. महेश गुप्ता बताते हैं कि फैटी लिवर का चौथा और सबसे आम असर है टाइप-2 डायबिटीज। लिवर इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़ा होता है और जब इसमें फैट जमा हो जाता है तो यह इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को कम कर देता है। नतीजा यह होता है कि ब्लड शुगर बढ़ने लगता है और धीरे-धीरे डायबिटीज की स्थिति बन जाती है। फैटी लिवर वाले लगभग आधे लोगों में आगे चलकर डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज न केवल ब्लड शुगर को बढ़ाता है बल्कि यह आंखों, किडनी और नसों को भी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए फैटी लिवर की समस्या को नजरअंदाज करना डायबिटीज जैसे लाइफस्टाइल रोग को दावत देने जैसा है।
निष्कर्ष
फैटी लिवर एक सामान्य सी समस्या लग सकती है, लेकिन यह शरीर में कई गंभीर बीमारियों की जड़ बन सकती है। लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर, हार्ट डिजीज और डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारियां इसी से जन्म ले सकती हैं। इसलिए अगर समय रहते सावधानी बरती जाए, तो इन बीमारियों से बचाव संभव है। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर और नियमित जांच करवाकर हम न केवल फैटी लिवर बल्कि उससे जुड़ी घातक बीमारियों से भी सुरक्षित रह सकते हैं।
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