आजकल सुंदर और जवान दिखने की चाह में लोग तरह-तरह के सप्लीमेंट्स का सहारा लेने लगे हैं। सप्लीमेंट में सबसे ज्यादा पॉपुलर हो रहा है कोलेजन। कोलेजन त्वचा को टाइट, बालों को मजबूत और जोड़ों को लचीला बनाए रखने के लिए जाना जाता है। इन दिनों युवाओं में कोलेजन का सेवन तेजी (Health Benefits of Collagen) से बढ़ रहा है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कोलेजन जितना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी होता है। कोलेजन किडनी स्वास्थ्य को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। आज इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि कोलेजन क्या है, इसका शरीर पर क्या असर होता है और कोलेजन लेने से किडनी को कौन-कौन सी समस्याएं (Side Effects of Collagen on Kidney) हो सकती हैं।
कोलेजन क्या है और क्यों जरूरी है?
दिल्ली के भारद्वाज क्लीनिक के जनरल फिजिशियन डॉ. अभिषेक गुप्ता का कहना है कि कोलेजनशरीर में पाए जाने वाला एक प्रमुख प्रोटीन है जो त्वचा, हड्डी, मांसपेशी, टेंडन और लिगामेंट को मजबूती देता है। कोलेजन मुख्य रूप से शरीर की संरचना को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। आमतौर पर शरीर खुद भी कोलेजन बनाता है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इसकी मात्रा कम होने लगती है।
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कोलेजन सप्लीमेंट क्या होते हैं?
कोलेजन सप्लीमेंट शरीर में कोलेजन की कमी को पूरा करने वाला एक प्रोडक्ट होता है। बाजार में कोलेजन सप्लीमेंट पाउडर, कैप्सूल और सिरप के रूप में मौजूद होते हैं। कोलेजन मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते हैं।
1. हाइड्रोलाइज्ड कोलेजन (Collagen Peptides) - इसे शरीर आसानी से पचा लेता है और ये आसानी से घुल जाता है।
2. जेलेटीन बेस्ड कोलेजन - इस प्रकार के कोलेजन को गर्म पानी में मिलाया जाता है।
डॉक्टर बताते हैं कि कोलेजन आमतौर पर गाय, मछली या चिकन की हड्डियों और त्वचा से बनाया जाता है। इसमें हाई प्रोटीन होता है। लेकिन ज्यादा मात्रा में कोलेजन का सेवन किया जाए, तो ये स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।
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कोलेजन और किडनी के बीच कनेक्शन
डॉक्टर के अनुसार, कोलेजन सप्लीमेंट में भारी मात्रा में प्रोटीन होता है। जब शरीर जरूरत से ज्यादा प्रोटीन पचाता है, तो उसकी प्रोसेसिंग में किडनी पर ज्यादा लोड पड़ता है। जो लोग पहले से ही किडनी रोग से ग्रसित हैं या जिनकी किडनी कमजोर है, उनके लिए कोलेजन लेना खतरनाक हो सकता है। शरीर की जरूरत से ज्यादा कोलेजन सप्लीमेंट की मात्रा लेने से शरीर में क्रिएटिनिन लेवल बढ़ सकता है। यह संकेत है कि किडनी ठीक से काम नहीं कर रही। क्रिएटिनिन शरीर में मांसपेशियों के टूटने से बनता है और इसकी अधिकता किडनी पर दबाव को बढ़ा सकती है।
अधिक प्रोटीन सेवन करने से कुछ मामलों में पेशाब में प्रोटीन (Proteinuria) आने लगता है। यह किडनी की कार्यक्षमता घटने लगती है। यदि कोलेजन के सेवन के बाद इस प्रकार की स्थिति पैदा होती है, तो इस विषय पर डॉक्टर से बात करें।
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कोलेजन लेने से होने वाली किडनी की बीमारी
1. क्रोनिक किडनी डिजीज
डॉक्टर कहते हैं कि अधिक मात्रा में कोलेजन सप्लीमेंट (विशेषकर एनिमल-सोर्स कोलेजन) लेने से शरीर में प्रोटीन का लोड बढ़ता है, जिससे किडनी को अतिरिक्त काम करना पड़ता है। यदि व्यक्ति को पहले से कोई किडनी संबंधी समस्या है, तो यह हालत धीरे-धीरे क्रोनिक किडनी डिजीज में बदल सकती है।
2. हाइपरयूरिसीमिया और किडनी स्टोन
कुछ कोलेजन सप्लीमेंट में प्यूरीन का इस्तेमाल किया जाता है। प्यूरीन शरीर में जाकर यूरिक एसिड में बदलती है। इससे हाइपरयूरिसीमिया हो सकता है, जो आगे चलकर गठिया और किडनी स्टोन का कारण बन सकता है।
3. प्रोटीन ओवरलोड सिंड्रोम
जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक हाई-प्रोटीन डाइट के साथ कोलेजन लेता है, तो यह किडनी पर ओस्मोटिक स्ट्रेस डालता है और ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (GFR) को प्रभावित कर सकता है। इससे किडनी की फिल्टर करने की क्षमता प्रभावित होती है और आपको प्रोटीन ओवरलोड सिंड्रोम की परेशानी होती है।
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4. किडनी फेल्योर का जोखिम
कोलेजन सप्लीमेंट कई बार शरीर के अंदर सोडियम, पोटैशियम और मिनरल्स को असंतुलित कर देते हैं। ऐसे में जिन लोगों की किडनी पहले से ही कमजोर है, तो ये किडनी फेल्योर का जोखिम बढ़ाती है।
5. हेवी मेटल टॉक्सिसिटी
कम गुणवत्ता वाले कोलेजन सप्लीमेंट में कैडमियम, आर्सेनिक, लीड और मर्करी जैसे भारी धातुओं की मिलावट हो सकती है। इससे किडनी पर अतिरिक्त दवाब पड़ता है और आपको हेवी मेटल टॉक्सिसिटी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
किन लोगों को कोलेजन लेने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए
डॉक्टर कहते हैं कि कोलेजन का सेवन आमतौर पर सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए हानिकारक माना जाता है। यही कारण है कि कुछ लोगों को कोलेजन लेने से पहले सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
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1. किडनी के मरीज
जिन्हें क्रॉनिक किडनी डिजीज है, उन्हें कोलेजन सप्लीमेंट से दूर रहना चाहिए। किडनी के मरीज कोलेजन सप्लीमेंट लें तो इससे किडनी स्टोन की परेशानी बढ़ सकती है।
2. हाई ब्लड प्रेशर के मरीज
हाई बीपी और किडनी की बीमारी के बीच खास कनेक्शन है। कोलेजन का अतिरिक्त सेवन शरीर में प्रोटीन का असंतुलन पैदा कर सकता है जिससे किडनी प्रभावित हो सकती है। ये ब्लड प्रेशर को ट्रिगर करके हार्ट पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है।
3. डायबिटीज रोगी
डायबिटीज किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली प्रमुख बीमारी है। यदि ऐसे मरीज कोलेजन ले रहे हैं तो उन्हें नियमित तौर पर क्रिएटिनिन और यूरिया की जांच करवानी चाहिए।
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किडनी के मरीज कोलेजन सप्लीमेंट लेने से पहले करवाएं ये टेस्ट
डॉ. अभिषेक गुप्ता के अनुसार, "जो मरीज किडनी से जुड़ी किसी भी समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें कोलेजन सप्लीमेंट लेने से पहले क्रिएटिनिन, यूरिया और GFR टेस्ट करवा लेना चाहिए। कई बार सप्लीमेंट्स शरीर में जरूरत से ज्यादा प्रोटीन डालते हैं, जिससे किडनी पर लोड बढ़ जाता है। कोलेजन पाउडर में प्रोटीन के साथ-साथ कुछ सिंथेटिक यौगिक भी मिलाए जाते हैं, जो लंबे समय तक सेवन करने पर किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, खासकर अगर व्यक्ति पहले से हाइड्रेटेड न हो।"
निष्कर्ष
कोलेजन सप्लीमेंट आज की जीवनशैली का हिस्सा बनता जा रहा है, लेकिन इसका उपयोग अंधाधुंध नहीं होना चाहिए। खासकर किडनी की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को सतर्क रहना चाहिए। ध्यान रहे कि कोलेजन कोई जादुई पाउडर नहीं है। इससे पहले कि आप त्वचा की चमक के चक्कर में किडनी की सेहत को दांव पर लगाएं, इस बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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FAQ
क्या कोलेजन किडनी के लिए अच्छा है?
इस सवाल का जवाब हां और नहीं दोनों ही है। कोलेजन किडनी को बेहतर बनाते हैं। लेकिन जिन लोगों को पहले से ही किडनी की समस्या है या किडनी की बीमारी है, तो उनके लिए कोलेजन नुकसानदायक हो सकते हैं।क्या कोलेजन का कोई साइड इफेक्ट है?
कुछ लोगों को कोलेजन से एलर्जी, अपच, पेट फूलना, या मुँह में खराब स्वाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं। निम्न गुणवत्ता वाले सप्लीमेंट में दूषित तत्व कैंसरकारी हो सकते हैं। प्रमाणित और डॉक्टर की सलाह से लिए गए सप्लीमेंट सामान्य रूप से सुरक्षित होते हैं।क्या कैंसर वाला कोई व्यक्ति कोलेजन सप्लीमेंट ले सकता है?
कैंसर के मरीजों को कोलेजन सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। कुछ कैंसर प्रकारों में टिशू ग्रोथ बढ़ाने वाले तत्व नुकसान पहुंचा सकते हैं। हर केस अलग होता है, इसलिए ऑन्कोलॉजिस्ट की निगरानी जरूरी है।
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