
महानगर कोलकाता में चिकनगुनिया के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में सरकारी और निजी अस्पतालों में बुखार, जोड़ों के तेज दर्द और स्किन पर दाने जैसी शिकायतों को लेकर बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मौसम में ठंडक आने के बावजूद मच्छर जनित बीमारियों में किसी भी तरह की कमी नहीं हुई है। बारिश के बाद जमा पानी, गलियों में फैली नमी, घरों के कोनों में रखे खुले कंटेनर, ये सभी एडीज मच्छर के पनपने का सबसे उपयुक्त स्थान बन चुके हैं। नतीजा यह है कि डेंगू और मलेरिया से जूझने के बाद अब चिकनगुनिया भी लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। डॉक्टर मानते हैं कि चिकनगुनिया का वायरस भले ही सीधे जानलेवा न हो, लेकिन इसका दर्द इंसान को बिस्तर पकड़ने पर मजबूर कर देता है। इस लेख में सिरसा के रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, चिकनगुनिया से राहत के नेचुरल तरीके क्या हैं?
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चिकनगुनिया से राहत के नेचुरल तरीके क्या हैं? - Fastest Way To Cure Chikungunya
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार पटोल पत्र का काढ़ा, कुटकी का काढ़ा और चिरायते का काढ़ा चिकनगुनिया में बेहद लाभकारी माने जाते हैं। इन औषधियों का नियमित सेवन न केवल दर्द कम करता है, बल्कि शरीर को अंदर से डिटॉक्स कर रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाता है।
चिकनगुनिया वायरस से शरीर में सूजन पैदा करने वाले तत्वों (inflammatory markers) का लेवल तेजी से बढ़ जाता है। यही कारण है कि मरीज को तेज बुखार के साथ जोड़ों में दर्द, जलन और चुभन महसूस होती है। कई लोगों में यह दर्द हफ्तों या महीनों तक भी रह सकता है। आयुर्वेद में इसे वात और पित्त असंतुलन से जुड़ा माना जाता है। इसलिए ऐसे उपचार दिए जाते हैं जो वात-पित्त को कंट्रोल करें और शरीर को शुद्ध करें।
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1. पटोल पत्र का काढ़ा
पटोल पत्र का काढ़ा शरीर के विषाक्त तत्व (टॉक्सिन) बाहर निकालता है, बुखार कम करने में मदद करता है, त्वचा और रक्त को शुद्ध करता है और चुभन, जलन के साथ दर्द से आराम (chikungunya dard ka ilaj) देता है। पटोल पत्र का काढ़ा बनाने के लिए 5-6 पटोल पत्र को 2 गिलास पानी में उबालकर 1 गिलास रहने तक पकाएं। इसे दिन में 1 बार सेवन किया जा सकता है।
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2. कुटकी का काढ़ा
कुटकी आयुर्वेद में एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी मानी जाती है, जिसका मुख्य उपयोग लिवर को डिटॉक्स करने और सूजन कम करने में होता है। चिकनगुनिया में जब शरीर बार-बार बुखार और दर्द की प्रतिक्रिया देता है, तो कुटकी संतुलन बहाल करने में मदद करती है। कुटकी का काढ़ा लिवर को मजबूत करके शरीर में जमा टॉक्सिन बाहर निकालने में सहायक होता है, सूजन और दर्द कम करता है, बुखार उतारने में मदद करता है और शरीर की रिकवरी को तेज (chikungunya pain relief) करता है। आधा चम्मच कुटकी पाउडर को 2 गिलास पानी में उबालकर 1 गिलास रहने तक पकाएं। इसे दिन में एक बार या डॉक्टर की सलाह अनुसार पिया जा सकता है।

3. चिरायते का काढ़ा
चिरायता एक कड़वी लेकिन बेहद प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है। डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि चिकनगुनिया जैसी वायरल बीमारियों में चिरायता शरीर को आराम देता है और वायरस के कारण हुई सूजन को कम करता है। इसका काढ़ा बुखार उतारने और बॉडी पेन घटाने में उपयोग किया जाता है। यह तेज बुखार कम करता है, बॉडी पेन, जोड़ों की सूजन और चुभन से राहत देता है, प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत करता है और ब्लड को शुद्ध करता है। आधा चम्मच चिरायता को पानी में उबालकर दिन में 1 बार सेवन कर सकते हैं। इसका स्वाद कड़वा होता है, पर यह बेहद प्रभावी माना जाता है।
निष्कर्ष
चिकनगुनिया में दर्द, बुखार और चुभन कई दिनों तक परेशान कर सकते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार पटोल पत्र, कुटकी और चिरायते के काढ़े शरीर की सूजन कम कर तेजी से आराम देते हैं। ये औषधियां रक्त शोधन, पित्त संतुलन और डिटॉक्स के माध्यम से रिकवरी को तेज करती हैं। हालांकि काढ़ों का सेवन हमेशा सही मात्रा और चिकित्सकीय सलाह के अनुसार ही करना चाहिए, ताकि जल्दी और सुरक्षित रूप से राहत मिल सके।
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FAQ
चिकनगुनिया के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं?
अचानक तेज बुखार, जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द, त्वचा पर लाल दाने, आंखों में लाली, सिरदर्द और थकान इसके शुरुआती लक्षण हैं।चिकनगुनिया से बचाव कैसे करें?
मच्छर से बचाव ही इसका सबसे बड़ा उपाय है, घर में पानी जमा न होने दें, पूरी बाजू के कपड़े पहनें, खिड़कियों पर जाली लगाएं और आसपास सफाई रखें।चिकनगुनिया से ठीक होने में कितना समय लगता है?
अधिकतर मरीजों में बुखार 3-5 दिनों में उतर जाता है, लेकिन जोड़ों का दर्द 2-8 सप्ताह या कई बार महीनों तक भी रह सकता है।
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Nov 14, 2025 13:34 IST
Modified By : Akanksha TiwariNov 14, 2025 13:34 IST
Published By : Akanksha Tiwari