बरसात का मौसम आते ही मच्छर जनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा मडराने लगता है। बात सिर्फ चिकनगुनिया की करें तो यह एक प्रकार की वायरल बीमारी है जो कि एडीज एल्बोपिक्टस और एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से फैलती है। इसमें व्यक्ति तेज शरीर दर्द के साथ कमजोरी और बुखार के गंभीर लक्षणों को महसूस करते हैं। इलाज के साथ यह बीमारी ठीक तो जल्दी हो जाती है लेकिन, शरीर को पूरी तरह रिकवरी के लिए समय चाहिए होता है। ऐसे में रिकवरी के लिए डाइट से लेकर सोने-जागने तक की आदतें मायने रखती हैं। इस स्थिति में एक सवाल यह भी आता है कि चिकनगुनिया के मरीज को एसी वाले कमरे में सोना चाहिए या नहीं? जानते हैं Dr Aniket Mule, Consultant Internal Medicine, KIMS Hospitals, Thane से।
क्या चिकनगुनिया के मरीज एसी वाले कमरे में सो सकते हैं?
Dr Aniket Mule बताते हैं कि चिकनगुनिया, एडीज मच्छरों द्वारा फैलने वाला एक वायरल रोग है, जो अक्सर संचरण यानी (ट्रांसमिशन) , देखभाल और पर्यावरण से जुड़े कई सवाल खड़े करता है। एक आम सवाल यह है कि क्या चिकनगुनिया के मरीज एयर-कंडीशन्ड कमरों में सो सकते हैं। इसका संक्षिप्त उत्तर है, हां, एयर-कंडीशन्ड (एसी) कमरे में सोने से संक्रमण बढ़ता नहीं है और मरीजों को आराम मिल सकता है, खासकर जब बुखार और जोड़ों का दर्द गंभीर हो।
एसी की ठंडक का चिकनगुनिया के मरीज पर कैसा असर होता है?
एसी का ठंडा तापमान सूजन को कम कर सकता है और शरीर की गर्मी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कमरा मच्छरों से मुक्त हो, क्योंकि एसी मच्छरों के काटने के खतरे को तब तक खत्म नहीं करता जब तक कि कमरे को ठीक से सील न किया जाए।
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क्या हवा के जरिए चिकनगुनिया फैल सकता है?
एक और व्यापक रूप से प्रचलित गलत धारणा यह है कि चिकनगुनिया हवा के माध्यम से फैलता है। तो डॉ. अनिकेत बताते हैं कि यह गलत है, चिकनगुनिया हवा, खांसने या छींकने से नहीं फैलता। यह वायरस केवल संक्रमित एडीज़ एजिप्टी या एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर के काटने से फैलता है। यह निकट संपर्क, किसी प्रकार की संक्रामक बूंदों जैसे कि खांसने या छींकने नहीं फैलता। इसके अलावा इस बात को ध्यान में रखें कि चिकनगुनिया रोग पर्यावरण के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैल सकता है चाहे वो हवा हो या पानी।
चिकनगुनिया के मरीजों को जल्दी रिकवरी के लिए क्या करना चाहिए?
चिकनगुनिया के मरीजों को जल्दी रिकवरी के लिए जल्दी इलाज शुरू करना चाहिए। इस ऐसे समझें कि जैसे ही शरीर में लक्षण नजर आए तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, टेस्ट करवाएं और अपना इलाज शुरू करवाएं। इसके बाद दवा के साथ खान-पान पर खास ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। जैसा कि डॉ. मूले बताते हैं कि बुखार के लिए पैरासिटामोल और जोड़ों के दर्द के लिए सूजन-रोधी दवाओं के साथ साफ पानी पीना, गर्म पौष्टिक खाना खाना और फिर आराम करना जरूरी है।
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इन बातों का भी रखें ध्यान
चिकनगुनिया के मरीजों को बीमारी के पहले सप्ताह के दौरान मच्छरों के माध्यम से वायरस को दूसरों तक फैलने से रोकने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए। भले ही कुछ लोगों को मच्छरदानी में सोना उलझन भरा हुआ महसूस हो लेकिन यह काफी मददगार हो सकता है। इसके अलावा मच्छर भगाने वाली दवाओं का उपयोग करना और लंबी बाजू के कपड़े पहनना महत्वपूर्ण है। किसी भी प्रकार से मच्छरों के काटने से बचें जो कि चिकनगुनिया का कारण बन सकते हैं।
संक्षेप में, चिकनगुनिया हवा के माध्यम से नहीं फैलता है और एसी वाले कमरे आराम करने के लिए सुरक्षित हैं। असली प्राथमिकता मच्छर नियंत्रण और शुरुआती लक्षणों का प्रबंधन है। अगर लक्षण बने रहते हैं या बिगड़ जाते हैं, तो हमेशा किसी डॉक्टर को दिखाएं। इसके अलावा आप डाइट एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं जो कि रिकवरी में तेजी ला सकता है और इसके लक्षणों को हल्का करने में मदद कर सकता है।
FAQ
चिकनगुनिया को ठीक करने का सबसे तेज तरीका क्या है?
चिकनगुनिया को ठीक करने का सबसे तेज तरीका यह है कि आप लक्षणों को महसूस करते ही डॉक्टर को दिखाएं और बुखार और एंटीइंफ्लेमेटरी दवाओं का सेवन शुरू करें। इसके अलावा अपना खानपान सही करें ताकि दवाओं के साथ आपकी रिकवरी तेजी से हो।चिकनगुनिया में सबसे ज्यादा दर्द कहां होता है?
चिकनगुनिया में सबसे ज्यादा दर्द हड्डियों, मांसपेशियों और टिशूज में होता है। यह दर्द काफी तीखा और लगातार उठने बैठने में हो सकता है। इसके अलावा ठीक होने के कई दिनों बाद तक आपको अपने शरीर के अलग-अलग अंगों में दर्द महसूस हो सकता है।चिकनगुनिया का वायरस शरीर में कितने समय तक रहता है?
चिकनगुनिया का वायरस शरीर में लगभग 1 से 2 हफ्ते तक रहता है और पूरी तरह इससे ठीक होने में आपको 1 महीने का समय लग सकता है। बस कोशिश करें कि कुछ बातों का ख्याल रखें चिकनगुनिया की बीमारी को पूरी तरह से ठीक होने क मौका दें।