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बुखार में लाभकारी हैं काली सारिवा (अनंतमूल) के पत्ते, आयुर्वेदाचार्य से जानें सेवन का तरीका और फायदे

बदलते मौसम में इम्यूनिटी कमजोर होने पर अक्सर लोगों को बुखार आ जाता है। यहां जानिए, बुखार के लिए काली सारिवा का उपयोग कैसें करें?
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बुखार में लाभकारी हैं काली सारिवा (अनंतमूल) के पत्ते, आयुर्वेदाचार्य से जानें सेवन का तरीका और फायदे


बदलते मौसम में जैसे ही तापमान में बदलाव होता है, हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ने लगता है और वायरस व बैक्टीरिया का हमला तेज हो जाता है। इस समय में बुखार, सर्दी-खांसी और गले में खराश जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ती हैं, जिससे कई लोग प्रभावित होते हैं। बदलते मौसम में तापमान में अचानक गिरावट या बढ़ना और वायरस के प्रसार के कारण बुखार होने की संभावना बढ़ जाती है। इस स्थिति में सावधान रहना बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शुरुआती लक्षणों पर ध्यान न देने से स्थिति और बिगड़ सकती है। बुखार से बचने के लिए हमें सही कदम उठाने चाहिए जैसे कि पर्याप्त पानी पीना, इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फूड्स का सेवन करना और रोजाना एक्सरसाइज करना। साथ ही, आयुर्वेदिक नुस्खे और घरेलू उपचार भी कारगर साबित होते हैं, जो बुखार और सर्दी-खांसी से बचाव में मदद कर सकते हैं। इस लेख में आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा, बुखार के लिए काली सारिवा यानी अनंतमूल का उपयोग और इसके फायदे बता रहे हैं।

सारिवा (अनंतमूल) क्या है?

सारिवा (अनंतमूल) पौधा दो प्रकार का होता है: काली सारिवा और श्वेत सारिवा। काली सारिवा अपने विशेष गुणों के कारण ब्लड प्यूरीफायर के रूप में भी जानी जाती है और इसे त्वचा से जुड़ी समस्याओं में भी लाभकारी माना जाता है। इसके पत्तों और तने का उपयोग विशेष रूप से बुखार और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में होता है। डॉक्टर के अनुसार, काली सारिवा का काढ़ा बुखार को कम करने और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होता है।

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बुखार में काली सारिवा का उपयोग

बुखार के दौरान काली सारिवा के पत्तों और तने को मिलाकर तैयार किया गया काढ़ा बहुत लाभकारी होता है। काली सारिवा के पत्तों में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर में आई गर्मी को कम करते हैं और बुखार से राहत दिलाने में सहायक होते हैं। यह पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है, जिससे भूख में सुधार होता है और शरीर की ताकत बढ़ती है। इसके लिए काली सारिवा के पत्तों और तने को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार किया जाता है। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें, खासकर अगर आप किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हैं या दवाइयों का सेवन कर रहे हैं।

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सारिवा (अनंतमूल) के फायदे

1. रक्त को शुद्ध करने में मददगार

सारिवा एक प्राकृतिक ब्लड प्यूरीफायर है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। इसे नियमित रूप से सेवन करने से रक्त की अशुद्धियों को दूर किया जा सकता है, जो त्वचा रोगों और एलर्जी से लड़ने में भी सहायक है।

2. स्किन डिजीज में लाभकारी

त्वचा की समस्याओं जैसे एक्ने, पिंपल्स और अन्य एलर्जी में भी सारिवा बहुत प्रभावशाली साबित होती है। इसके एंटी-बैक्टीरियल गुण त्वचा को साफ रखते हैं और एलर्जी से राहत दिलाते हैं। कई बार, त्वचा के रोगों का कारण रक्त में अशुद्धियाँ होती हैं, ऐसे में काली सारिवा का सेवन त्वचा के स्वास्थ्य को सुधारता है और उसे निखारता है।

3. पाचन शक्ति बढ़ाने में सहायक

सारिवा के सेवन से पाचन तंत्र की क्रियाओं में सुधार होता है। यह भूख को बढ़ाने और अतिसार में राहत प्रदान करने में सहायक है। इसके अलावा, यह जड़ी-बूटी आंतों की सूजन को कम करती है और अपच जैसी समस्याओं से बचाव करती है।

4. सांस की बीमारियों में फायदेमंद

खांसी और सांस की समस्याओं में सारिवा के सेवन से काफी राहत मिलती है। इसका काढ़ा फेफड़ों की सूजन को कम करता है और रेस्पिरेटरी सिस्टम को साफ करता है। इसके नियमित सेवन से खांसी, गले में खराश जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।

निष्कर्ष

काली सारिवा एक बेहतरीन औषधीय पौधा है जो न केवल बुखार और त्वचा रोगों में लाभकारी है, बल्कि यह शरीर के अन्य कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। आयुर्वेद में इसके गुणों का वर्णन बहुत व्यापक रूप में किया गया है। इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

All Images Credit- Freepik

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