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अरंडी के तेल के फायदे, नुकसान और इस्तेमाल का सही तरीका क्या है? आयुर्वेदिक डॉक्टर से जानें

अरंडी का तेल यानी कैस्टर ऑयल प्राचीन काल से ही आयुर्वेदिक चिकित्सा का हिस्सा रहा है। यहां जानिए, अरंडी के तेल के फायदे, उपयोग के तरीके और नुकसान क्या-क्या हैं?
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अरंडी के तेल के फायदे, नुकसान और इस्तेमाल का सही तरीका क्या है? आयुर्वेदिक डॉक्टर से जानें


अरंडी का तेल, जिसे कैस्टर ऑयल कहा जाता है, प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में एक महत्त्वपूर्ण औषधि के रूप में वर्णित है। इसे संस्कृत में एरण्ड तैल कहा गया है। आज के समय में कई लोगों को तो इस तेल के बारे में ज्यादा पता भी नहीं है, ऐसे में अगर बिना सही जानकारी के इसका उपयोग किया जाता है तो इसके नुकसान भी हो सकते हैं। यह तेल अरंडी के पौधे के बीजों से तैयार किया जाता है और इसका उपयोग हजारों वर्षों से औषधि, सौंदर्य और घरेलू उपचारों में किया जाता रहा है। आयुर्वेद में अरंडी तेल को विशेष स्थान दिया गया है क्योंकि इसमें कई तरह के गुण पाए जाते हैं।

आपको बता दें, ओन्लीमायहेल्थ 'आरोग्य विद आयुर्वेद' (Arogya with Ayurveda) नाम की एक स्पेशल सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में हम आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के बारे में बताते हैं। इसमें हम अपने पाठकों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों और जड़ी-बूटियों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं, ताकि लोग इन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से मिलने वाले फायदे, नुकसानों और इलाज के तरीकों के बारे में जान सकें। आज के इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से विस्तार से जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार अरंडी का तेल किन-किन रोगों में लाभकारी है, किसे इसे लेने से बचना चाहिए और इसके क्या संभावित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

अरंडी के तेल के गुण और तासीर - Is castor oil hot or cold

आयुर्वेद के अनुसार अरंडी का तेल गुरु (भारी) और स्निग्ध (चिकना) गुणों वाला होता है। इसकी तासीर वात और पित्त शामक होती है, यानी यह दोनों दोषों को शांत करने में मदद करता है। इसका वीर्य शीत माना जाता है यानी इसका प्रभाव ठंडा (Is castor oil cooling the body) होता है। यह तेल मुख्य रूप से वात रोग में उपयोगी है, क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार बड़ी आंत को वात का स्थान माना गया है। जब बड़ी आंत में वायु अधिक बढ़ जाती है या मल बकरी की तरह छोटे-छोटे गोल आकार का होने लगता है, तब अरंडी का तेल विशेष रूप से फायदेमंद साबित होता है।

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अरंडी का तेल कब लगाना चाहिए? - castor oil ko kaise lagaye

अरंडी का तेल त्वचा पर लगाने से ज्यादा खाने में फायदे करता है। यदि किसी व्यक्ति को त्वचा पर हल्की-फुल्की खारिश या खुजली की समस्या है तो अरंडी तेल से मालिश करने पर आराम मिलता है।

अरंडी तेल का उपयोग कैसे करें? - What is the best way to use castor oil

आयुर्वेद के अनुसार अरंडी तेल का सेवन विरेचन (शरीर की शुद्धि) के लिए किया जाता है। डॉक्टर श्रेय बताते हैं कि यह रूक्ष विरेचन के लिए प्रयोग होता है। इसका अर्थ है कि यह हर किसी को लाभ नहीं देता, बल्कि खासकर उन लोगों को फायदा पहुंचाता है जिनमें वात दोष बढ़ा हुआ होता है। यदि किसी व्यक्ति का मल बकरी के मल की तरह छोटा और कठोर है, तो अरंडी तेल लेने से कब्ज में राहत (How to use castor oil) मिलती है।लेकिन जिन लोगों का मल चिपचिपा या अधपचा है (आमज), उनमें इसका उपयोग कब्ज को और बढ़ा सकता है।

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अरंडी तेल के फायदे - Benefits of castor oil

  • वात दोष को शांत करता है।
  • कब्ज (विशेष रूप से वातज कब्ज) में राहत देता है।
  • विरेचन क्रिया में उपयोगी।
  • सीमित रूप से त्वचा पर लगाने से खुजली या खारिश में आराम।
  • पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लाभकारी।

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अरंडी का तेल कितना पीना चाहिए?- How much castor oil should I drink daily

सामान्यतौर पर 10 से 20 मिलीलीटर अरंडी तेल का सेवन किया जा सकता है। हालांकि, खुराक तय करने के लिए व्यक्ति की प्रकृति (वात, पित्त, कफ), उसकी समस्या और स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखना आवश्यक है। इसलिए डॉक्टर की देखरेख में ही अरंडी तेल का सेवन करना चाहिए।

अरंडी का तेल और आर्थराइटिस - Castor Oil and Arthritis

आर्थराइटिस यानी गठिया या जोड़ों की सूजन की समस्या मुख्य रूप से कफ दोष की वृद्धि से जुड़ी होती है। डॉ. श्रेय के अनुसार, जिन लोगों को आर्थराइटिस है, उन्हें अरंडी का तेल नहीं दिया जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि कफ बढ़े हुए व्यक्ति में अरंडी का तेल सूजन और दर्द को और बढ़ा सकता है।

किन लोगों को अरंडी का तेल नहीं लेना चाहिए? - Who should not take castor oil

  • आर्थराइटिस में यह नुकसान कर सकता है और दर्द व सूजन बढ़ा सकता है।
  • आमज कब्ज वाले व्यक्ति लोगों को भी कैस्टर ऑयल नहीं लेना चाहिए, इसमें यह कब्ज को बढ़ा देता है।
  • सूजन से परेशान रोगियों में अरंडी का तेल उल्टा असर कर सकता है।

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निष्कर्ष

अरंडी का तेल आयुर्वेद में एक जरूरी औषधि है, लेकिन यह हर व्यक्ति के लिए उपयोगी नहीं है। यह खासतौर पर वातज कब्ज और विरेचन क्रिया में फायदेमंद है। वहीं, आमज कब्ज, आर्थराइटिस और सूजन की समस्या में इसका प्रयोग नुकसान कर सकता है। डॉ. श्रेय शर्मा की सलाह है कि अरंडी का तेल केवल आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही लेना चाहिए। डॉक्टर व्यक्ति की प्रकृति और रोग देखकर ही तय करेंगे कि किसे कितनी मात्रा में इसका उपयोग करना चाहिए।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • अरंडी का तेल कब लगाना चाहिए?

    अगर त्वचा पर खुजली या खारिश की हल्की समस्या हो तो अरंडी तेल लगाना लाभकारी हो सकता है।
  • अरंडी तेल का सेवन कैसे करना चाहिए?

    आयुर्वेद के अनुसार अरंडी तेल का सेवन विरेचन (शरीर शुद्धि) के लिए किया जाता है। इसे केवल डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए।
  • अरंडी का तेल कब्ज में कैसे मदद करता है?

    यदि कब्ज वातज है यानी मल बकरी के मल की तरह छोटा और कठोर है, तो अरंडी का तेल फायदेमंद होता है। लेकिन अगर कब्ज आमज है यानी मल चिपचिपा या अधपचा है, तो यह कब्ज को और बढ़ा सकता है।

 

 

 

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