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ब्रोंकाइटिस में दही खा सकते हैं क्या? आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से जानें सही जवाब

ब्रोंकाइटिस में दही: ब्रोंकाइटिस की समस्या से अक्सर लोग परेशान रहते हैं। इसमें खान-पान और ठंडी चीजों के सेवन से बचना चाहिए। ऐसे में एक सवाल ये आता है कि क्या ब्रोंकाइटिस में दही खा सकते हैं? 
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ब्रोंकाइटिस में दही खा सकते हैं क्या? आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से जानें सही जवाब


ब्रोंकाइटिस में दही: ब्रोंकाइटिस की समस्या में फेफड़ों में सूजन आ जाती है। इसमें सांस की नली या कहें कि ब्रोन्कियल नलियों में सूजन की समस्या हो जाती है। इससे व्यक्ति को सांस लेने और फिर काम करने में भी दिक्कत महसूस होती है। इस स्थिति में डॉक्टर कई सारी चीजों का सुझाव देते हैं। जैसे कि खान-पान में बदलाव का सबसे बड़ा सुझाव आता है। डॉक्टर बताते रहे हैं कि ब्रोकांइटिस की समस्या में ठंडी चीजों के सेवन से बचना चाहिए। दूसरा, आपको उन चीजों को खाने से बचना चाहिए जो कि इंफेक्शन को ट्रिगर करते हैं और बलगम बनाने का काम करते हैं। ऐसे में जानते हैं ब्रोंकाइटिस की समस्या में दही खा सकते हैं या नहीं। साथ ही जानेंगे कुछ हेल्दी विकल्प Dr. Richa Shrivastava Negi, Executive Director, Maharishi Ayurveda

ब्रोंकाइटिस में दही खा सकते हैं क्या-Can yogurt be consumed in bronchitis?

आयुर्वेद में, ब्रोंकाइटिस को कफ-व्याधि (Kapha-vyadhi)है, जो कि अतिरिक्त कफ के कारण होने वाली स्थिति माना जाती है। इसमें कंजेशन और सांस लेने में तकलीफ होती है। दही स्वाभाविक रूप से अभिष्यंदी बलगम बनाने वाला होता है, जो कफ को और बढ़ा सकता है और लक्षणों को और खराब कर सकता है। खासकर जब रात में इसका सेवन किया जाता है जब कफ स्वाभाविक रूप से प्रबल होता है। तो इसलिए ब्रोंकाइटिस में आपको दही खाने से बचना चाहिए, खासकर कि रात के समय।

लेकिन, अगर आप दही के सेवन का तरीका बदल दें तो इस समस्या से पूरी तरह से बच सकते हैं। इतना ही नहीं दही खाने का तरीका बदलकर, आप इसका सेवन कर भी पाएंगे। इससे आपको नुकसान भी नहीं होगा और शरीर को फायदे भी मिलेंगे। तो आइए, जानते हैं ब्रोंकाइटिस में दही का सेवन कैसे करें, क्या है इसका तरीका।

dahi in bronchitis

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ब्रोंकाइटिस में दही का सेवन कैसे करें-How to have dahi in bronchitis

Dr. Richa Shrivastava बताती हैं कि दही को उष्ण (Ushna)यानी ताकत में गर्म भी माना जाता है और इसे सर्दी या जुकाम जैसी कुछ स्थितियों में हरिद्रा यानी हल्दी (turmeric) और मारीच यानी काली मिर्च (black pepper) के साथ मिलाकर सेवन किया जा सकता है। ये इसके बलगम बनाने वाले प्रभावों का मुकाबला करने में मदद करते हैं।

खास बात ये है कि हल्दी में पाया जाने वाला बायोएक्टिव कंपाउंड (Curcumin) एंटीबैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। इससे अलावा ये फेफड़ों में गर्माहट पैदा करती है और बलगम को तोड़ने में मदद करती है। इसके अलावा हल्दी एक ऐसा मसाला है जो कि खांसी की समस्या में भी कमी लाने में मददगार है। अब बात काली मिर्च (black pepper) की करें तो ये इम्यूनिटी बढ़ाने वाला मसाला है। ये आपके शरीर में गर्माहट पैदा करने और फिर बलगम को साफ करने में मददगार है। इससे फेफड़ों की सफाई और फिर कामकाज को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। जब आप दही में इन दोनों को मिलाकर खाते हैं तो ये दही के विटामिन सी के साथ मिलकर एक आयुर्वेदिक तरीके से काम करती है।

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ब्रोंकाइटिस वाले व्यक्तियों के लिए छाछ है बेहतर

Dr. Richa Shrivastava बताती हैं कि ब्रोंकाइटिस वाले व्यक्तियों के लिए दही की तुलना में छाछ (तक्र-Takra)बेहतर है। आयुर्वेद में इसे हल्का माना जाता है जो पचने में आसान और कफ को बढ़ाए बिना जठराग्नि यानी पाचन अग्नि को बढ़ावा देता है। छाछ में हल्दी और काली मिर्च मिलाने से इसके कफ को कम करने वाले गुण और भी बढ़ जाते हैं।

आयुर्वेद इस बात पर जोर देता है कि श्वसन स्वास्थ्य और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आहार विकल्पों को व्यक्ति की प्रकृति और दोष संतुलन के अनुरूप होना चाहिए। तो आपको करना ये है कि काली मिर्च को कूटकर इसका पाउडर तैयार करें और फिर इसे छाछ में काला नमक से साथ मिला लें। इसके बाद ऊपर से हल्दी पाउडर मिलाएं। सबको मिलाने के बाद एक गाढ़ा टैक्सचर वाला छाछ तैयार करें। फिर इसे पी लें। इस प्रकार से आप ब्रोंकाइटिस में दही का सेवन न करें और अगर करें तो इन बातों का ख्याल रखें।

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