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क्या ब्रोंकाइटिस की समस्या में तुलसी का सेवन फायदेमंद है? एक्सपर्ट से जानें कब, कितना और कैसे करें सेवन

Tulsi for bronchitis: ब्रोंकाइटिस की समस्या से लोग अक्सर परेशान रहते हैं। खासकर कि इस मौसम में जब सर्द हवा चल रही है, मौसम बदल रहा है और फिर संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में जानें तुलसी का सेवन कैसे फायदेमंद है। 
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क्या ब्रोंकाइटिस की समस्या में तुलसी का सेवन फायदेमंद है? एक्सपर्ट से जानें कब, कितना और कैसे करें सेवन


Tulsi for bronchitis: ब्रोंकाइटिस, एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ों की नलियों में सूजन आ जाती है। ये अक्सर किसी वायरल इंफेक्शन की वजह से होता है लेकिन, प्रदूषण जैसे कारक भी इसे ट्रिगर कर सकते हैं। ब्रोंकाइटिस के मरीजों की सबसे बड़ी दिक्कत ये होती है कि इनमें लंबे समय तक आप खांसी और फिर कफ की समस्या देख सकते हैं। इतना ही नहीं बदलते मौसम में ब्रोंकाइटिस के मरीज सबसे ज्यादा परेशान रहते हैं। ऐसे में एंटीबायोटिक दवाओं के अलावा आप इस आयुर्वेदिक उपाय की भी मदद ले सकते हैं। दरअसल, हम बात तुलसी की कर रहे हैं जो कि एक आयुर्वेदिक हर्ब है और इसका सेवन ब्रोंकाइटिस की समस्या में मददगार हो सकता है। कैसे, जानते हैं Dr. Rini Vohra Shrivastava, Scientific Advisor, Maharishi Ayurveda

क्या ब्रोंकाइटिस की समस्या में तुलसी का सेवन फायदेमंद है-Is tulsi good for bronchitis

Dr. Rini Vohra Shrivastava, बताती हैं कि आयुर्वेद में, तुलसी एक शक्तिशाली श्वासनाशक रसायन है जो बढ़े हुए कफ को शांत करती है और फेफड़ों को पोषण देती है। ये

-क्रिमिघ्ना (Krimighna) यानी जीवाणुरोधी यानी एंटीबैक्टीरियल है।

-तुलसी शोथाहारा (Shothahara) यानी सूजनरोधी है (anti-inflammatory)

-तुलसी कफहारा (Kaphahara) गुणों से भी भरपूर है।

यानी तुलसी बलगम को दूर (expectorant) करती है, श्वसनी के भीतर सूजन को कम करती है, और ओजस (Ojas) यानी इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार है।

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ब्रोंकाइटिस के लिए तुलसी के फायदे-Tulsi benefits in hindi for bronchitis

National Library of Medicine में छपी इस रिपोर्ट की मानें तो तुलसी एंटीमाइक्रोबियल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर है। साथ ही इसके बायोइंग्रीडिएंट्स आपके फेफड़ों को साफ करने और आपकी श्वांस नलियों को राहत पहुंचाने मे मददगार हैं। तुलसी में पाए जाने एंटीऑक्सीडेंट जैसे सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज, कैटालेज और ग्लूटाथियोन एंजाइमों को बढ़ाती है, जो ऑक्सीजन की कमी और विषाक्त पदार्थों के कारण होने वाले हानिकारक मुक्त कणों को निष्क्रिय करके कोशिकाओं की रक्षा करते हैं। इसके अलावा ये फेफड़ों को वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव में मदद करते हैं। इसके अलावा भी तुलसी के कई फायदे हैं, जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

एंटी इंफ्लेमेटरी है तुलसी

तुलसी एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है जो कि आपकी ब्रोन्कियल नलियों में सूजन को कम करती है। इससे ब्रोंकाइटिस के दौरान सांस लेने मे मदद मिलती है और फिर बेहतर महसूस होता है। ऐसे में आप राहत महसूस करेंगे। तो फेफड़ों की सूजन कम करने के लिए आपको तुलसी का सेवन करना चाहिए।

tulsi

वायुमार्ग को खोलने में मददगार

ब्रोंकाइटिस के दौरान व्यक्ति बंद-बंद सा महसूस करता है और उसे लगता है कि उसकी श्वांस नलियां सही से काम नहीं कर पा रही हैं। ऐसी स्थिति में लगता है फेफड़ों का काम काज प्रभावित है और सांस लेने में मुश्किल हो रही है। ऐसी स्थिति में तुलसी का सेवन वायुमार्ग को खोलने और फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में मददगार है।

खांसी से राहत

ब्रोंकाइटिस की समस्या में व्यक्ति को बार-बार खांसी आती है और दिन हो या रात, वो इसी चीज से परेशान रहता है। ऐसी स्थिति में आप तुलसी का सेवन कर सकते हैं जिससे खांसी से राहत आती है। दरअसल, तुलसी के एंटी-ट्यूसिव गुण (adaptogenic properties) खांसी को शांत करने और खांसी की आवृत्ति को कम करने में मदद करते हैं।

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ब्रोंकाइटिस में कैसे करें तुलसी का सेवन-How to consume tulsi for bronchitis in hindi

Dr. Rini Vohra बताती हैं कि ब्रोंकाइटिस को कम करने के लिए तुलसी का उपयोग करने का सबसे अच्छा तरीका है ताजा तुलसी के पत्तों, शुंथि यानी सूखी अदरक और काली मिर्च का उपयोग करके एक क्वाथ यानी काढ़ा तैयार करें। फिर इसे शहद में मिलाकर दिन में दो बार लें।

ध्यान देने वाली बात-

Dr. Rini Vohra बताती हैं कि तुलसी का अत्यधिक उपयोग से पित्त बढ़ेगा, जिससे शरीर में गर्मी और अम्लता यानी एसिडिटी उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा आयुर्वेद स्थायी स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए त्रिदोष को संतुलित करने की वकालत करता है, और तुलसी प्रकृति में कफवातशामक है, इसलिए यह श्वसन रोगों को कम करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक आदर्श औषधि है। ऐसी स्थिति में, अत्यधिक पित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को इसे नियमित रूप से उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का सुझाव लेना चाहिए।

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