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क्या टोपी पहनने से स्ट्रोक से बचाव हो सकता है? डॉक्टर के इंटरव्यू से जानें ऐसे 5 सवालों के जवाब

Stroke in winter: सर्दियों में स्ट्रोक की समस्या अक्सर देखी जाती है और तापमान गिरने के साथ इस बीमारी के मरीज बढ़ने लगते हैं। ऐसे में हमने डॉक्टर से इंटरव्यू लिया और इस 5 सवालों के जवाब को जाना।
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क्या टोपी पहनने से स्ट्रोक से बचाव हो सकता है? डॉक्टर के इंटरव्यू से जानें ऐसे 5 सवालों के जवाब

Stroke in winter: सर्दियों में स्ट्रोक के मरीज अचानक से बढ़ जाते हैं। स्ट्रोक (brain stroke kaise hota hai), एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें (cerebrovascular accident) मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन की कमी के कारण कोशिकाएं मर जाती हैं। यह ब्लड वेसेल्स यानी धमनियों में ब्लॉकेज की वजह से भी होता है जिसमें हाई बीपी की वजह से ब्लड वेसेल्स फट जाती हैं और स्ट्रोक की दिक्कत होने लगती है। इस बीमारी के बाद रोगी अचानक से तेज सिर दर्द, सुन्नता, चक्कर आना, भ्रम, दृष्टि संबंधी समस्याएं या बोलने में परेशानी जैसे लक्षण महसूस करता है। जरूरी ये है कि इस बीमारी के लक्षणों को जल्द से जल्द पहचानकर सही इलाज लिया जाए इसलिए लोगों में जानकारी का अभाव नहीं होना चाहिए। इस बात को समझते हुए हमने तापमान में गिरावट होते ही डॉ. अनिमेष गुप्ता, कंसल्टेंट - न्यूरोलॉजी, अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, कानपुर से बात की और आम लोगों के कुछ सवालों को उनके सामने रखा।


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Q1: सर्दियों में स्ट्रोक ज्यादा क्यों होते हैं? स्ट्रोक लगने के 6 घंटे के भीतर शरीर में कौन से लक्षण नजर आते हैं

डॉ. अनिमेष गुप्ता बताते हैं कि सर्दियों में तापमान में गिरावट के साथ ब्लड सर्कुलेशन धीमा पड़ जाता है और धमनियां सिकुड़ने लगती हैं। इससे बीपी बढ़ता है और धमनियां फट जाती हैं और ब्रेन में लीकेज हो जाता है। इसके अलावा सर्दियों में पानी की कमी की वजह से खून गाढ़ा हो जाता है और ब्लड सर्कुलेशन स्लो हो जाता है। इससे हाई बीपी की दिक्कत होती है जो कि स्ट्रोक की वजह बनता है।

स्ट्रोक लगने के पहले 6 घंटे बेहद अहम होते हैं और इस दौरान शरीर कुछ साफ संकेत देने लगता है। सबसे आम लक्षण चेहरे के एक हिस्से में अचानक झुकाव या सुन्नपन आना है, जिसमें मुस्कुराने पर मुंह टेढ़ा दिख सकता है। हाथ या पैर में अचानक कमजोरी, सुन्नपन या उठाने में परेशानी होना भी स्ट्रोक का शुरुआती संकेत है। मरीज को बोलने में दिक्कत, शब्दों का ठीक से न निकल पाना या सामने वाले की बात समझने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा अचानक तेज सिरदर्द, चक्कर आना, आंखों से धुंधला या डबल दिखना और संतुलन बिगड़ना भी शुरुआती 6 घंटों में दिखने वाले लक्षण हैं। इन संकेतों को थकान या ठंड समझकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि समय पर इलाज मिलने से दिमाग को होने वाले स्थायी नुकसान से बचाया जा सकता है।

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Q2: स्ट्रोक से बचाव के लिए धमनियों को कैसे रखें स्वस्थ?

डॉ. अनिमेष गुप्ता इस सवाल के जवाब में बताते हैं कि धमनियों को स्वस्थ रखना स्ट्रोक से बचाव की सबसे मजबूत कड़ी है। इसके लिए सबसे पहले ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखना जरूरी है, क्योंकि ये तीनों धमनियों को सख्त और संकरी बना देते हैं। रोजाना संतुलित आहार लें, जिसमें हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, नट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल हों, जबकि ज्यादा नमक, तला-भुना और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं। नियमित रूप से हल्का-फुल्का एक्सरसाइज या रोजाना 30 मिनट तेज चाल से चलना धमनियों में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है। धूम्रपान और तंबाकू धमनियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए इन्हें पूरी तरह छोड़ना जरूरी है। साथ ही, स्ट्रेस कम करना, पूरी नींद लेना और दवाएं समय पर लेना भी धमनियों को स्वस्थ रखकर स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम कर सकता है।

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Q3: क्या सिर ढकने और टोपी पहनने से स्ट्रोक से बचाव हो सकता है?

डॉक्टर बताते हैं कि ठंड के मौसम में सिर ढककर रखना स्ट्रोक से बचाव में सहायक हो सकता है लेकिन यह कोई अकेला उपाय नहीं है। ठंड लगने पर शरीर की धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ सकता है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में टोपी, मफलर या ऊनी कैप से सिर और कान ढकने पर शरीर का तापमान संतुलित रहता है और धमनियों पर पड़ने वाला अचानक दबाव कम होता है। खासकर बुजुर्ग, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या हार्ट मरीजों को ठंडी हवा से बचना चाहिए। हालांकि, सिर्फ सिर ढकना काफी नहीं है, इसके साथ नियमित दवाएं लेना, शरीर को पूरी तरह गर्म रखना, सुबह के समय बहुत ठंड में बाहर निकलने से बचना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना भी जरूरी है। सही देखभाल और सतर्कता से सर्दियों में स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

Q4: मस्तिष्क में ऑक्सीजन कैसे बढ़ाएं? डाइट से लेकर एक्सरसाइज तक किन बातों का रखें ध्यान

मस्तिष्क तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचना स्ट्रोक से बचाव और दिमाग की सेहत के लिए बहुत जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले रोजाना हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधि जैसे तेज चाल से चलना, योग और प्राणायाम को दिनचर्या में शामिल करें क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और दिमाग तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है। गहरी सांस लेने वाले अभ्यास, जैसे अनुलोम-विलोम, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाकर ऑक्सीजन लेवल सुधारते हैं। डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, अनार, सेब, अखरोट, बादाम और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें शामिल करें, जो रक्त प्रवाह को बेहतर बनाती हैं। पर्याप्त पानी पीना भी जरूरी है, ताकि खून गाढ़ा न हो। धूम्रपान, ज्यादा शराब और लगातार तनाव दिमाग तक ऑक्सीजन पहुंचने में रुकावट डालते हैं, इसलिए इनसे दूरी बनाना और पूरी नींद लेना भी बेहद जरूरी है।

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Q5: स्ट्रोक के बाद दिमाग ठीक होने में कितना समय लगता है?

हमारे इस आखिरी सवाल पर डॉक्टर गुप्ता बताते हैं कि स्ट्रोक के बाद दिमाग के ठीक होने में लगने वाला समय हर मरीज में अलग-अलग होता है और यह स्ट्रोक की गंभीरता, इलाज कितनी जल्दी शुरू हुआ और मरीज की उम्र व सेहत पर निर्भर करता है। कुछ मरीजों में सही समय पर इलाज मिलने से शुरुआती कुछ हफ्तों में ही सुधार दिखने लगता है जबकि गंभीर स्ट्रोक के मामलों में रिकवरी में कई महीने या कभी-कभी एक साल से ज्यादा भी लग सकता है। स्ट्रोक के बाद पहले 3 से 6 महीने सबसे अहम होते हैं, क्योंकि इसी दौरान दिमाग खुद को सबसे तेजी से रिकवर करने की कोशिश करता है। फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, नियमित एक्सरसाइज, संतुलित डाइट और दवाओं का सही पालन रिकवरी को तेज करने में मदद करता है। साथ ही, परिवार का सहयोग, सकारात्मक माहौल और धैर्य भी मरीज के मानसिक और शारीरिक सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

तो उम्मीद करते हैं ये जानकारियां आपके काम आएंगी और डॉक्टर गुप्ता के बताए इन जरूरी बातों का आप ध्यान रखते हुए सर्दियों में इस बीमारी से बच पाएंगे। Doctor's Call की इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हम आगे भी किसी ओर बीमारी को लेकर डॉक्टर इंटरव्यू लेकर आपके सामने प्रस्तूत होंगे।

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  • Dec 18, 2025 15:51 IST

    Published By : Pallavi Kumari

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