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क्या सनस्क्रीन लगाने से स्किन की एजिंग स्लो होती है, जानें डॉक्टर से

त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को "स्किन एजिंग" कहा जाता है। इसे कम करने में सनस्क्रीन बहुत फायदेमंद होती है।
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क्या सनस्क्रीन लगाने से स्किन की एजिंग स्लो होती है, जानें डॉक्टर से


आज के दौर में जब चेहरे की खूबसूरती, आत्मविश्वास और हेल्दी लाइफस्टाइल एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, तब यह जानना जरूरी हो गया है कि स्किन की देखभाल में सनस्क्रीन की भूमिका कितनी अहम है। सनस्क्रीन सिर्फ धूप से त्वचा को बचाना केवल टैनिंग से सुरक्षा भर नहीं है, बल्कि यह त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी धीमा करने का एक बेहतर तरीका है। आगरा स्थित स्किन लेजर और हेयर क्लिनिक के त्वचा विशेषज्ञ और कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. परम सत्संगी से जानेंगे सनस्क्रीन लगाने से स्किन की एजिंग कैसे स्लो होती है।

क्या होती है स्किन एजिंग

त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को "स्किन एजिंग" कहा जाता है। स्किन एजिंग मुख्य रूप से 2 प्रकार की होती है।

1. इंट्रिन्सिक एजिंग (Intrinsic aging) : यह प्राकृतिक एजिंग होती है जो उम्र के बढ़ने के साथ होती है। इसमें त्वचा पतली हो जाती है, कोलेजन कम बनने लगता है और त्वचा की इलास्टिसिटी घटने लगती है।

2. एक्स्ट्रिन्सिक एजिंग (Extrinsic aging) : यह बाहरी कारणों जैसे सूरज की अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें, प्रदूषण, धूम्रपान, नींद की कमी और खराब आहार के कारण होती है। UV किरणें स्किन एजिंग का सबसे बड़ा कारण मानी जाती हैं।

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UV किरणें और स्किन एजिंग के बीच कनेक्शन

सूरज की किरणों में उपस्थित UV-A और UV-B किरणें त्वचा को गहराई से नुकसान पहुंचाती हैं। इससे स्किन की उम्र कम समय में ही बढ़ने लगती है। सूरज की UV-A किरणें त्वचा की गहराई में जाकर कोलेजन को तोड़ती हैं, जिससे त्वचा पर झुर्रियां और ढीलापन आने लगता है। खासकर गर्मी में जब सूरज की रोशनी का कहर सबसे ज्यादा होता है, तब सूरज की तेज रोशनी त्वचा की ऊपरी सतह को जलाती है, जिससे सनबर्न और स्किन टैनिंग जैसी परेशानियां होती हैं।

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सनस्क्रीन क्या है और यह कैसे काम करता है?

डॉ. सत्संगी कहते हैं कि सनस्क्रीन एक ऐसी क्रीम या लोशन होता है जिसमें ऐसे एक्टिव इंग्रेडिएंट्स होते हैं जो UV किरणों को अवशोषित करते हैं। आज बाजार में कई प्रकार की सनस्क्रीम मौजूद हैं, जिसमें शामिल हैः

फिजिकल सनस्क्रीन (Mineral sunscreen): इसमें जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे तत्व होते हैं जो UV किरणों को स्किन की सतह से ही बदल देते हैं।

केमिकल सनस्क्रीन: इसमें एवोबेंजोन, ऑक्टिनॉक्सेट, ऑक्सीबेंज़ोन आदि होते हैं जो UV किरणों को स्किन में जाकर अवशोषित करते हैं और निष्क्रिय बना देते हैं।

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रोजाना सनस्क्रीन इस्तेमाल करने से स्किन एजिंग कैसे स्लो होती है?

इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. सत्संगी बताते हैं कि रोजाना सनस्क्रीन लगाने से सिर्फ सूरज की हानिकारक किरणों से बचाव नहीं होता है, बल्कि ये स्किन पर होने वाली झुर्रियों, झाइयों और दाग-धब्बों को भी कम करता है। स्किन केयर एक्सपर्ट का कहना है कि सनस्क्रीन को सिर्फ घर के बाहर ही नहीं बल्कि घर के अंदर भी लगाना बहुत जरूरी होता है। जिससे स्किन की बढ़ती उम्र पर ब्रेक लगाया जा सके। आइए जानते हैं स्किन एजिंग स्लो करने में कैसे मददगार होती है सनस्क्रीन

- सनस्क्रीन UV-A किरणें कोलेजन को तोड़ती हैं। सनस्क्रीन इस प्रक्रिया को रोकता है, जिससे स्किन की इलास्टिसिटी बनी रहती है।

- UV किरणें फ्री रेडिकल्स पैदा करती हैं जो स्किन सेल्स को डैमेज करती हैं। सनस्क्रीन इनसे बचाकर त्वचा की उम्र बढ़ने को धीमा करता है।

- सनस्क्रीन नियमित लगाने से चेहरे पर काले धब्बे और असमान रंगत नहीं बनती। इससे स्किन यंग और ग्लोइंग बनी रहती है।

- लंबे समय तक सनस्क्रीन का उपयोग त्वचा को रफ और बेजान होने से बचाता है। इससे स्किन की मुलायमियत बनी रहती है।

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रोजाना सनस्क्रीन लगाने का सही तरीका

साफ चेहरे पर मॉइश्चराइजर के बाद सनस्क्रीन लगाएं।

धूप में निकलने से 15-20 मिनट पहले लगाएं।

हर 2-3 घंटे में दोबारा लगाएं।

कम से कम 1/2 टी-स्पून चेहरे के लिए प्रयोग करें।

आंखों के आस-पास, कान और गर्दन पर भी सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी होता है।

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सही सनस्क्रीन कैसे चुनें?

त्वचा पर लगाने के लिए हमेशा ऐसी सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, जिसमें SPF 30 या उससे अधिक हो, Broad-spectrum protection हो (UVA + UVB दोनों से सुरक्षा) और डर्मोटॉलिजिस्ट ने सनस्क्रीन को टेस्ट किया हो।

निष्कर्ष

रोजाना सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना एक ब्यूटी प्रोडक्ट का हिस्सा नहीं बल्कि एक मेडिकल स्किन केयर रूटीन होना चाहिए। यह त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से धीमा करता है और आपको लंबे समय तक जवां, स्वस्थ और ग्लोइंग त्वचा पाने में मदद करता है।

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