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क्या नींद पूरी न हो तो दिमाग में भ्रम हो सकता है? डॉक्टर से जानें

आज की तेज रफ्तार जिंदगी में नींद को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। यहां जानिए, क्या नींद पूरी न हो तो दिमाग में भ्रम हो सकता है?
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क्या नींद पूरी न हो तो दिमाग में भ्रम हो सकता है? डॉक्टर से जानें


आजकल की तेज रफ्तार और बिजी जिंदगी में नींद एक ऐसी चीज बन गई है जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। बदलते वर्किंग कल्चर, ओवरटाइम, शिफ्ट्स में काम करना, देर रात तक मोबाइल या लैपटॉप पर स्क्रीन टाइम और असंतुलित खानपान जैसी आदतों का सीधा असर लोगों की नींद पर पड़ रहा है। खासकर शहरी लोगों में यह समस्या और भी गंभीर हो गई है। कई लोग ऑफिस के बाद पार्टी करते हैं, देर रात तक जागते हैं या तनाव में होते हैं, जिससे उनका नींद का समय या तो कम हो जाता है या पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है। नींद केवल शरीर को आराम देने का जरिया नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन बनाए रखने का एक अहम आधार भी है।

जब नींद पूरी नहीं होती, तो इसका असर केवल थकान या चिड़चिड़ेपन तक सीमित नहीं रहता, बल्कि दिमाग के फंक्शन भी प्रभावित होते हैं। लगातार नींद की कमी से सोचने-समझने की क्षमता कम होती है, एकाग्रता में गिरावट आती है और कई बार दिमाग भ्रम की स्थिति में भी चला जाता है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या नींद की कमी से वास्तव में भ्रम (hallucinations) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने, एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज (Dr. Sudhir Kumar Bhardwaj, General Physician, Sant Bhagat Singh Maharaj Charitable Hospital, NIT Faridabad) से बात की-

क्या नींद पूरी न हो तो दिमाग में भ्रम हो सकता है? - Can Lack Of Sleep Cause Hallucinations

नींद के दौरान हमारा दिमाग पूरी तरह एक्टिव रहता है और शरीर की मेटाबॉलिक प्रक्रियाओं को संतुलित करता है। जब हम पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो ये सारे सिस्टम गड़बड़ा जाते हैं। नींद की कमी से दिमाग की न्यूरोनल एक्टिविटी प्रभावित होती है, जिससे ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होती है। इससे व्यक्ति को हल्का भ्रम या कन्फ्यूजन महसूस होने लगता है।

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जब हम 24 घंटे या उससे ज्यादा समय तक नींद नहीं लेते, तो मस्तिष्क की सामान्य संज्ञानात्मक प्रक्रिया (cognitive processing) धीमी पड़ जाती है। यह स्थिति अस्थायी मानसिक भ्रम का रूप ले सकती है। इसमें व्यक्ति को चीजें स्पष्ट रूप से समझ नहीं आतीं, वह सही और गलत में अंतर नहीं कर पाता और कभी-कभी मतिभ्रम (hallucination) भी हो सकता है। यह स्थिति मस्तिष्क पर असर डालती है, जो सोचने, निर्णय लेने और सामाजिक व्यवहार कंट्रोल करने के लिए जिम्मेदार होता है।

किन लोगों में यह समस्या ज्यादा हो सकती है?

1. बुजुर्ग लोग

उम्र के साथ नींद की क्वालिटी कम हो जाती है, जिससे भ्रम की आशंका बढ़ जाती है।

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2. रात की शिफ्ट में वर्किंग लोग

शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर के कारण अक्सर नींद पूरी नहीं हो पाती।

can lack of sleep cause hallucinations

3. छात्र

एग्जाम्स या देर रात पढ़ाई के चलते नींद की अनदेखी करते हैं।

4. नवजात की देखभाल करने वाली महिलाएं

लगातार रातों की नींद टूटती है, जिससे मानसिक थकान और भ्रम की स्थिति बन सकती है।

5. मानसिक रोगी

डिप्रेशन, एंग्जायटी या बायपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों में नींद की गड़बड़ी से भ्रम जल्दी उत्पन्न हो सकता है।

नींद की क्वालिटी कैसे सुधारें - How to improve your sleep quality

  • सोने का नियमित समय तय करें और उससे पहले स्क्रीन इस्तेमाल कम करें।
  • अंधेरे, शांत और सही तापमान वाले कमरे में सोएं।
  • हल्का योग, ध्यान या गुनगुने दूध का सेवन नींद लाने में मदद करता है।
  • शाम के बाद कॉफी, चाय व शराब से परहेज करें।

यदि इन उपायों के बावजूद नींद नहीं आती या नींद के बाद भी थकान महसूस होती है, तो यह नींद विकार (sleep disorder) हो सकता है, जिसके लिए डॉक्टर से परामर्श जरूरी है।

निष्कर्ष

नींद सिर्फ आराम करने का तरीका नहीं, बल्कि मस्तिष्क और शरीर की रिपेयर की प्रक्रिया है। लगातार नींद की कमी दिमाग में भ्रम, चिड़चिड़ापन और याददाश्त में कमी जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है। इसलिए नींद को प्राथमिकता देना न सिर्फ आपकी मानसिक सेहत के लिए जरूरी है, बल्कि यह आपकी सोचने-समझने की शक्ति को बनाए रखने में भी सहायक है। याद रखें, अगर आप अपने दिमाग को स्वस्थ और संतुलित रखना चाहते हैं, तो नींद से कभी समझौता न करें।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • ज्यादा नींद आती हो तो क्या करे?

    अगर आपको जरूरत से ज्यादा नींद आती है या दिनभर नींद महसूस होती है, तो यह शरीर में असंतुलन या किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। सबसे पहले अपनी नींद की क्वालिटी और रूटीन को सुधारें रोजाना एक तय समय पर सोना और जागना शुरू करें। कैफीन और भारी भोजन से बचें, विशेषकर रात में। स्क्रीन टाइम कम करें, अगर फिर भी लगातार अत्यधिक नींद आती रहे, तो थायराइड, डायबिटीज, डिप्रेशन या नींद से जुड़ी किसी बीमारी की जांच कराएं। 
  • नींद नहीं आने का कारण

    नींद नहीं आने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मानसिक तनाव, चिंता, डिप्रेशन, असंतुलित दिनचर्या, देर रात तक मोबाइल या लैपटॉप चलाना, कैफीन या निकोटीन का सेवन और शारीरिक थकान की कमी प्रमुख हैं। कुछ मेडिकल स्थितियां जैसे थायराइड की समस्या, दर्द या गैस्ट्रिक परेशानी भी अनिद्रा का कारण बन सकती हैं। इसके अलावा, देर रात भारी भोजन करना या नींद से पहले अत्यधिक सोच-विचार भी मस्तिष्क को शांत नहीं होने देता, जिससे नींद आने में कठिनाई होती है।
  • जब नींद न आए तो क्या करना चाहिए?

    जब नींद न आए तो घबराने के बजाय खुद को शांत करने की कोशिश करें। सबसे पहले बिस्तर पर लेटे-लेटे गहरी सांस लें और शरीर को रिलैक्स करें। मोबाइल या टीवी से दूरी बना लें और हल्की किताब पढ़ें या ध्यान करें। सोने से पहले गुनगुना दूध पीना, हल्का संगीत सुनना या गर्म पानी से पैर धोना भी नींद लाने में मदद करता है। अगर बार-बार ऐसा हो रहा है, तो दिनभर के तनाव को कम करने की कोशिश करें और सोने का समय नियमित रखें।

 

 

 

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