आजकल की तेज-रफ्तार जिंदगी में सुबह जल्दी उठने से लेकर रात देर तक काम करने की भागदौड़ में लोग अपनी नींद, भूख, प्यास जैसी नेचुरल इच्छाओं को दबाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। लोग लंबे समय तक ऑफिस में बैठकर काम करते हैं, ट्रैवल के दौरान मूत्र रोकने की आदत डाल लेते हैं, या भूख और प्यास को टालकर अपने शरीर के संकेतों को दबा देते हैं। यह आदतें धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों का कारण बनती हैं, जैसे पाचन तंत्र की समस्याएं, किडनी डिसऑर्डर, माइग्रेन, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं और इम्यून सिस्टम की कमजोरी। शरीर की नेचुरल इच्छाओं को दबाने की आदत को आयुर्वेद में बहुत खतरनाक बताया गया है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने राम हंस चैरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से बात की है।
आज ‘आरोग्य विद आयुर्वेद’ सीरीज के इस लेख में आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा से जानिए, वेग धारण क्या है और यह शरीर को कैसे प्रभावित करता है।
वेग धारण क्या है? - What Is Vega Dharana
डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि शरीर की नेचुरल इच्छाओं जैसे कि भूख, प्यास, छींक, मल और मूत्र को समय पर रोकने को आयुर्वेद में वेग धारण कहा गया है। वेग धारण का अर्थ है शरीर द्वारा दिए गए प्राकृतिक संकेतों को रोकना या दबाना। हमारे शरीर में हर प्रक्रिया का एक निश्चित समय और प्रक्रिया होती है। उदाहरण के तौर पर, जब हमें भूख लगती है, तो इसका मतलब होता है कि हमारा पाचन तंत्र भोजन के लिए तैयार है। जब हमें प्यास लगती है, तो यह संकेत है कि शरीर को पानी की जरूरत है। इसी तरह, मल, मूत्र, छींक, डकार और नींद जैसे अन्य संकेत हमारे शरीर के सही कार्य करने के लिए जरूरी हैं। लेकिन मॉडर्न लाइफस्टाइल में लोग अक्सर काम के प्रेशर, शर्मिंदगी या सामाजिक स्थिति के कारण इन संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं। डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, आचार्य चरक, आचार्य सुश्रुत और आचार्य वाग्भट सभी का वेग धारण पर एक मत है कि वेग धारण शरीर में रोगों के होने का एक प्रमुख कारण है।
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आयुर्वेद के अनुसार, ये प्राकृतिक इच्छाएं हमारे शरीर में वायुओं (प्राण, उदान, समान, व्यान और अपान) के सही संतुलन को बनाए रखती हैं। लेकिन जब इन्हें दबाया जाता है, तो शरीर की वायु असंतुलित हो जाती है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न (What is the main reason for disease) हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, भूख को रोकने से पेट में एसिडिटी और जलन होती है, प्यास को रोकने से डिहाइड्रेशन और थकान हो सकती है, और नींद को रोकने से मानसिक तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याएं होती हैं।
आयुर्वेद का यह संदेश बेहद प्रासंगिक है कि हमें अपने शरीर के संकेतों को समझना और उनका सम्मान करना चाहिए। वेग धारण न करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह शरीर को असंतुलन की ओर ले जाता है। स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए अपने शरीर की प्राकृतिक जरूरतों को प्राथमिकता दें।
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1. मल रोकने के नुकसान - Side Effects Of Holding In Poop
मल का वेग रोकने से "अपान वायु" बाधित होती है। यह वायु शरीर से मल, मूत्र और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होती है। इसे रोकने से कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:
- मल को रोकने से गैस पेट से सिर की ओर बढ़ती है, जिससे सिर दर्द और भारीपन महसूस होता है।
- पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है और भूख लगनी बंद हो जाती है।
- मल रोकने से पेट और अन्य भागों में दर्द हो सकता है।
- मल का बार-बार रोकना आंतों की समस्याएं, बवासीर और अन्य पाचन रोगों का कारण बन सकता है।
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2. पेशाब रोकने से क्या नुकसान होता है - What Are The Side Effects Of Holding Urine
मूत्र का वेग रोकने से भी "अपान वायु" बाधित होती है। मूत्र शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
- मूत्र का वेग रोकने से मूत्राशय और जननांगों में दर्द महसूस हो सकता है।
- मूत्राशय में रुकावट आ सकती है, जिससे पेशाब करने में कठिनाई होती है।
- मूत्र रोकने से पैरों में ऐंठन और दर्द हो सकता है।
- लंबे समय तक मूत्र रोकने से किडनी और मूत्राशय संबंधी रोग हो सकते हैं।
3. भूख को रोकना - Side Effects Of Skipping Meals
भूख को रोकने से शरीर में समान वायु प्रकोपित होती है। जैसे कोई व्यक्ति अपनी भूख को रोकता है तो इसके कारण व्यक्ति को सिर दर्द हो सकता है, पेट में दर्द हो सकता है और समान वायु पित्त के साथ मिलकर पेट में बर्निंग और एसिडिटी की समस्या कर सकती है। कई तरह की पेट की बीमारियां भूख को रोकने की समस्या से हो सकती हैं। कई बार लोगों की खाने की इच्छा ही खत्म हो जाती है। इससे पाचन और मेटाबॉलिज्म दोनों प्रभावित हो सकते हैं, जो कई नई समस्या का कारण बन सकता है।
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4. प्यास को रोकने के नुकसान - What Are The Side Effects Of Drinking Less Water
प्यास का वेग रोकने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। शरीर में पानी की कमी से चक्कर आना, कमजोरी और थकान हो सकती है। इसके अलावा पानी की कमी से ऊर्जा स्तर गिरता है और शरीर सुस्त महसूस करता है। साथ ही डिहाइड्रेशन से त्वचा रूखी और बेजान हो सकती है।
5. नींद को रोकने के नुकसान - What Are The Side Effects Of Lack Of Sleep
नींद को रोकना सबसे खतरनाक बताया गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर किसी व्यक्ति ने नींद को रोका तो यह ब्रेन को कमजोर करेगी। दरअसल, स्लीप साइकिल प्रभावित होने से मन अशांत होगा, साथ ही हमारे विचारों पर भी इसका प्रभाव आएगा। जैसे कि अगर व्यक्ति को जम्हाई आती है तो उसे सोना चाहिए। आपने देखा होगा कि लोगों को 7 बजे के बाद जम्हाई आने लगती है क्योंकि शरीर के सोने का सही समय वही है लेकिन जब आप अपनी नींद को रोकते हैं तो बार-बार जम्हाई आती है और फिर नींद न आने की समस्या भी होने लगती है।
जो लोग ज्यादा लंबे समय तक अपनी नींद को रोकते हैं उन्हें नींद के वेग को रोकने के कारण कई मेंटल और साइकोलॉजिकल गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। प्राकृतिक तौर पर नींद का सही समय रात्रि का आखिरी पहर होता है जिसका मतलब रात को 10 से सुबह 2 बजे का समय नींद का सबसे सही समय होता है, जिसे शास्त्रो में कालीयाम बोला गया है, मॉडर्न साइंस की मानें तो रात को 10 बजे के बाद शरीर से मेलाटोनिन सिक्रीशन सबसे ज्यादा होता है जो नींद को बेहतर बनाता है, ऐसे में अगर आप नींद के वेग को रोकते हैं तो कई समस्याएं हो सकती हैं।
6. छींक को रोकने के नुकसान
छींक के वेग को रोकने से नाक और श्वसन तंत्र पर बुरा प्रभाव (What happens if you stop sneezing) पड़ता है।
- छींक रोकने से नाक में रुकावट और संक्रमण हो सकता है।
- छींक रोकने से श्वसन तंत्र कमजोर हो सकता है।
- छींक को दबाने से सिर में दबाव बढ़ सकता है, जिससे सिर दर्द होता है।
निष्कर्ष
आयुर्वेद के अनुसार, प्राकृतिक इच्छाओं को रोकना "वेग धारणा" कहलाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। प्राकृतिक इच्छाएं शरीर के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन्हें रोकने से शरीर की वायुओं का संतुलन बिगड़ता है और रोगों का कारण बनता है।
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