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क्या मेटाबॉलिज्म स्लो होने पर कब्ज की समस्या हो सकती है? जानें डॉक्टर से

Does Metabolism Affect Constipation In Hindi: स्लो मेटाबॉलिज्म का हमारी ओवर ऑल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। तो क्या इससे कब्ज की समस्या भी हो सकती है? जानें एक्सपर्ट से-
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क्या मेटाबॉलिज्म स्लो होने पर कब्ज की समस्या हो सकती है? जानें डॉक्टर से


Does Slow Metabolism Make You Constipated In Hindi: मेटाबॉलिज्म शरीर में केमिकल रिएक्शन का कलेक्शन है, जो खाने की चीजों और ड्रिंक्स को एनर्जी में कंवर्ट करता है। साथ ही, ब्लॉक सेल्स बनाने में भी मदद करता है। यह प्रोसेस हमारे शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसी की मदद से हम मूवमेंट करने में सफल हो पाते हैं। यहां तक कि सही मेटाबॉलिज्म की मदद से हमारी मेंटल हेल्थ सही रहती है और ग्रोथ भी बेहतर होती है। मगर हमेशा मेटाबॉलिज्म सही हो, यह जरूरी नहीं है। कभी-कभी मेटाबॉलिज्म स्लो या तेज हो जाता है। विशेषकर, स्लो मेटाबॉलिज्म की बात करें, तो यह हमारी हेल्थ के लिए सही नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि स्लो मेटाबॉलिज्म की वजह से हमारा फूड एनर्जी में बहुत धीमी गति से कंवर्ट होता है। स्लो मेटाबॉलिज्म होने पर कई तरह की परेशानियां क्रिएट हो सकती है। यह भी देखने में आता है कि स्लो मेटाबॉलिज्म की वजह से कब्ज की समस्या हो सकती है। तो क्या वाकई ऐसा होता है? इस संबंध में हमने ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित सर्वोदय अस्पताल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डॉ. पंकज कुमार से बात की।

क्या स्लो मेटाबॉलिज्म की वजह से कब्ज की समस्या हो सकती है- Does Slow Metabolism Cause Constipation In Hindi

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हां, यह सच है कि स्लो मेटाबॉलिज्म की वजह से कब्ज की समस्या हो सकती है। लेकिन, ऐसा क्यों और कैसे हो सकता है? इस बारे में एक्सपर्ट विस्तार से समझाते हैं-

पाचन क्षमता स्लो हो जाती है

स्लो मेटाबॉलिज्म का मतलब है कि हमारी बॉडी खाए हुए फूड को धीमी गति से एनर्जी में कंवर्ट करती है। इसकी वजह से पाचन क्षमता पर असर पड़ता है। ऐसे में लंबे समय तक फूड हमारी इंटेस्टाइन में मौजूद रहता है।

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मसल्स कॉन्ट्रैक्शन में कमी

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि स्लो मेटाबॉलिज्म की वजह से हमारी इंटेस्टाइन मसल्स पर भी नेगेटिव असर पड़ता है। जब खाना समय पर फूड में कंवर्ट नहीं होता है, तो मसल्स कमजोर हो जाती हैं और स्टूल यानी मल को आगे की ओर खिसकाने में उन्हें अतिरिक्त मेहनत लगती है। इसका मतलब है कि डाइजेस्टिव ट्रैक्ट तुलनात्मक रूप से कमजोर हो जाता है, जिससे कब्ज की समस्या ट्रिगर हो सकती है।

बाउल मूवमेंट पर असर

स्लो मेटाबॉलिज्म की वजह से बाउल मूवमेंट भी प्रभावित होती है। असल में, स्लो मेटाबॉलिज्म स्टूल को हार्ड बना देता है, जिससे उसे मूवमेंट में दिक्कत आने लगती है। जाहिर है, ऐसी स्थिति कब्ज की समस्या को बढ़ा सकती है। अगर लंबे समय तक मेटाबॉलिज्म की स्थिति में सुधार न हो, कई अन्य समस्याएं भी ट्रिगर हो सकती हैं।

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स्लो मेटाबॉलिज्म में सुधार कैसे करें

  1. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। विशेषज्ञों की मानें, तो रोजाना कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज की मदद से मेटाबॉलिज्म में सुधार किया जा सकता है।
  2. डाइट में हेल्दी चीजें शामिल करें। इसमें प्रोटीन, फाइबर आदि आपकी हेल्थ में सुधार कर सकते हैं और मेटाबॉलिज्म को भी बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
  3. अच्छी नींद लेने से भी मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है। जबकि, मौजूदा समय में ज्यादातर लोग रात को अच्छी नींद नहीं लेते हैं। मेटाबॉलिज्म के लिए ऐसा किया जाना सही नहीं है।
  4. मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि आप पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। पानी पीने से मेटाबॉलिक प्रोसेस में सुधार के लिए जरूरी होता है।
All Image Credit: Freepik

FAQ

  • क्या स्लो मेटाबॉलिज्म पाचन को प्रभावित करता है?

    स्लो मेटाबॉलिज्म का हमारी ओवर ऑल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। पाचन प्रकिया पर भी इसका असर दिखता है। जब मेटाबॉलिज्म स्लो होता है, इससे ब्लोटिंग और सूजन की समस्या बढ़ जाती है।
  • मेटाबॉलिज्म कम होने से क्या होता है?

    मेटाबॉलिज्म स्लो होने की वजह से हमारी बॉडी फूड को एनर्जी में आसानी से कंवर्ट नहीं कर पाती है। यही नहीं, अगर मेटाबॉलिज्म स्लो होता है, तो इसकी वजह से हमारी मूवमेंट भी प्रभावित होती है और ग्रोथ भी प्रभावित होती है।
  • क्या हाई मेटाबॉलिज्म होने से आप ज्यादा शौच करते हैं?

    हाई मेटाबॉलिज्म का बढ़ने से पाचन तंत्र प्रभावित होता है। शौच की समरू बढ़ सकती है। यहां तक कि डायरिया की दिक्कत भी हो सकती है। इस तरह की स्थिति में जरूरी है कि आप डॉक्टर से संपर्क करें और डाइट में सुधार करें।

 

 

 

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