रेगुलर फिजिकली एक्टिव रहना हमारे हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है। कुछ लोग फिजिकली फिट रहने के लिए रेगुलर जिम करते हैं। जिम में वर्कआउट करना इसलिए भी लाभकारी होता है, क्योंकि वहां एक्सपर्ट्स होते हैं। वे आपको सही तरह से वर्कआउट करने की सलाह देते हैं। आमतौर पर हर व्यक्ति के लिए वर्कआउट करना फायदेमंद माना जाता है। मगर क्या अस्थमा के मरीजों के लिए भी यह कारगर तरीके से काम करता है? यह सवाल इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि अस्थमा के मरीजों को सांस से जुड़ी समस्या होती है। वहीं, अगर जरा भी हैवी वर्कआउट कर लें, तो उनकी परेशानी बढ़ जाती है। इसलिए, अस्थमा के मरीजों के लिए यह जान लेना बहुत जरूरी है कि क्या वे वर्कआउट कर सकते हैं? और इसका उनके शरीर पर क्या असर पड़ता है? इस संबंध में जानने के लिए हमने नोएडा सेक्टर 71 स्थित कैलाश अस्पताल में Sr. Consultant - Pulmonology डॉ. ए एस संध्या से जाना।
क्या अस्थमा के मरीज जिम कर सकते हैं?
अमेरिकन लंग एसोसिएशन की मानें, तो फिजिकली एक्टिविटी ओवर ऑल हेल्थ के लिए जरूरी है। यहां तक कि जिन्हें लंग्स से जुड़ी दिक्कत है, उन्हें भी नियमित रूप से वर्कआउट करना चाहिए। यहां तक कि अस्थमा के मरीजों के लिए भी वर्कआउट फायेमंद है। हां, अगर उन्हें जिम में वर्कआउट करते हुए सांस फूलने की दिक्कत आ रही है, तो इस संबंध में डॉक्टर से संपर्क कर अपने सवालों के जवाब जान लेने चाहिए।’ हालांकि, अस्थमा के मरीजों को जिम में वर्कआउट करने से पहले यह भी पता होना चाहिए कि किन चीजों से उनका अस्थमा ट्रिगर कर सकता है। जैसे ही अस्थमा के बिगड़ने के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत जिम में वर्कआउट बंद कर दें।
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जिम में वर्कआउट करते हुए अस्थमा के मरीज के लिए जरूरी बातें
जानें कौन-से वर्कआउट न करेंः अस्थमा के मरीज जिम में वर्कआउट करते हुए इस बात का जानकारी जरूर रखें कि उन्हें किस-किस तरह के वर्कआउट नहीं करते हैं। ऐसा करके आप अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर होने से रोक सकते हैं।
डॉक्टर से मेडिसिन के बारे में जानेंः अस्थमा के मरीजों को जिम वर्कआउट को अपनी डेली लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाना है, तो डॉक्टर से जरूर मिलें। वे कुछ मेडिसिन दे सकते हैं, जिन्हें आप एक्सरसाइज करने से पहले यूज कर सकते हैं। इससे आपको वॉर्म अप और कूल डाउन में मदद मिलती है।
एयर क्वालिटी का ध्यान रखेंः अगर आप जिम जाकर वर्कआउट करते हैं, तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि जिम की एयर क्वालिटी कैसी है। अस्थमा के मरीजों के लिए एयर क्वालिटी बहुत मायने रखती है। जिम की एयर क्वालिटी सही हो, यह सुनिश्चित करें। अगर वहां डस्ट आदि ज्यादा हैं, तो बेहतर होगा कि आप जिम बदलें।
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अस्थमा में जिम करने का शरीर पर असर
स्टेमिना में सुधारः अस्थमा के मरीजों में स्टेमिना की कमी होती है। लेकिन, जैसे-जैसे आप जिम में वर्कआउट करते हैं, वैसे-वैसे आपके स्टेमिना में सुधार होने लगता है। यहां तक कि लंग्स परफॉर्मेंस भी बेहतर होती है।
सूजन में कमीः यह आप जानते होंगे कि अस्थमा की वजह से एयरवेज में सूजन आ जाती है। रेगुलर एक्सरसाइज करने से एयरवेज में आई सूजन में कमी आती है।
लंग कैपेसिटी में सुधारः अस्थमा के मरीज जितना ज्यादा जिम में वर्कआउट करते हैं, लंग्स की परफॉर्मेंस और कैपेसिटी में उतना ही सुधार होता चला जाता है। असल में, ज्यादा एक्सरसाइज करने से ऑक्सीजन कंज्यूम ज्यादा होता है, जिसका पॉजिटिव असर कार्डियोवास्कुलर हेल्थ पर भी पड़ता है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, कहने की बात ये है कि अस्थमा में जिम करना अच्छा होता है। इससे सेहत को बहुत फायदा पहुंचता है। लंग्स कैपिसिटी में सुधार होता है, कार्डियोवास्कुलर हेल्थ बेहतर होती है। यहां तक कि सांस लेने की समस्या में भी कमी आती है।
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