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सर्द‍ि‍यों में जल्‍दी बीमार हो जाते हैं? बचाव के ल‍िए ये आयुर्वेद‍िक उपाय अपनाएं

सर्दियों में बार-बार बीमार पड़ना शरीर में बढ़े वात और कफ दोष का संकेत हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार स्नेहपान, अभ्यंग, स्टीम इनहेलेशन जैसे उपाय इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और ठंड में रोगों से बचाव कर सकते हैं।
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सर्द‍ि‍यों में जल्‍दी बीमार हो जाते हैं? बचाव के ल‍िए ये आयुर्वेद‍िक उपाय अपनाएं

मेरी बहन को अक्‍सर सर्दि‍यों में सर्दी-जुकाम हो जाता है, वो आधे मौसम में, तो बीमार ही रहती है। क‍िसी ने सलाह दी क‍ि ज्‍यादा दवा लेना सेहत के ल‍िए अच्‍छा नहीं है इसल‍िए आयुर्वेद‍िक उपायों की मदद लो। मैंने भी तुरंत आयुर्वेद‍िक डॉक्‍टर से संपर्क क‍िया और उनसे कुछ उपाय पूछे ताक‍ि मेरी बहन की तबीयत सर्दि‍यों में न ब‍िगड़े और उसे बीमार‍ियों से बचाया जा सके। सर्दियों के मौसम में बहुत से लोगों को सर्दी-जुकाम, थकान, जोड़ों का दर्द, कब्ज, स्किन ड्राईनेस और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसी समस्याएं घेर लेती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में शरीर को भीतर से पोषण देने की जरूरत होती है। सर्दि‍यों में शरीर को बीमार‍ियों से बचाने के कुछ उपायों को आगे व‍िस्‍तार से जानेंगे। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने Ayurveda Expert Dr. Shrey Sharma, Ramhans Charitable Hospital, Haryana से बात की।


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1. स्नेहपान यानी घी का सेवन- Snehapana: Consumption Of Ghee

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सर्द‍ि‍यों में बीमार‍ियों से बचने के ल‍िए घी का सेवन करें। Ayurveda Expert Dr. Shrey Sharma ने बताया क‍ि घी का सेवन या स्नेहपान वहीं कर सकता है ज‍िसके शरीर की अग्नि (पाचन शक्ति) अच्‍छी हो। अगर आपकी अग्नि (पाचन शक्ति) ठीक है, हृदय रोग या हाई बीपी की समस्‍या नहीं है, तो आप सुबह खाली पेट गुनगुना घी ले सकते हैं।

  • घी ठंडा नहीं होना चाह‍िए वरना सर्दी-जुकाम हो सकता है, इसे हल्‍का गर्म करके खाएं।
  • सुबह खाली पेट घी का सेवन करें।
  • पानी पीने के आधे घंटे बाद घी का सेवन करें।
  • घी खाकर 1 घंटे तक कुछ न खाएं।
  • घी को कम मात्रा में लें, इसे ज्‍यादा नहीं लेना चाह‍िए। आधा से एक चम्मच पर्याप्त है।

इसे भी पढ़ें- नहाने से पहले नाभि में घी लगाने के हैं अनेक फायदे, आयुर्वेदाचार्य से जानें

2. गेहूं की जगह ज्‍वार, मक्‍की, बाजरा, रागी खाएं- Eat Millets Instead Of Wheat

सर्दि‍यों में गेहूं का सेवन न करें। आयुर्वेद की मानें, तो ठंडे मौसम में गुरु (Heavy) पदार्थ जैसे गेहूं सीमित मात्रा में खाने चाहिए। सर्दियों में उष्ण अनाज जैसे ज्वार, मक्की, बाजरा और रागी शरीर को भीतर से गर्म रखते हैं और पाचन शक्ति को मजबूत बनाते हैं।

3. अभ्‍यंग या माल‍िश करें- Abhyanga: Ayurvedic Oil Massage

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अभ्यंग यानी माल‍िश करने से सर्दियों में शरीर को मजबूती म‍िलती है। गुनगुने तिल तेल या सरसों के तेल से रोज मालिश करने से त्वचा को पोषण, ब्‍लड सर्कुलेशन में सुधार और नींद की गुणवत्ता बढ़ती है। यह वात दोष को कम करता है ज‍िससे जोड़ों का दर्द या अकड़न दूर होती है।

4. गर्म पानी से स्नान करें- Warm Water Bath

आयुर्वेद के अनुसार सर्दियों में गर्म पानी से स्नान करना फायदेमंद होता है। हल्के गरम पानी में नहाने से या पानी में बैठने से रक्त प्रवाह सुधरता है, थकान दूर होती और कफ जमा नहीं होता। यह शरीर को बाहर से गर्मी देता है और मानसिक रूप से सुकून भी पहुंचाता है।

5. भाप लें- Steam Inhalation

सर्दि‍यों में भाप लेना शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है। दिन में एक बार यूकलिप्टस या तुलसी की पत्तियां डालकर भाप लेने से नाक-गला साफ रहता है, कफ की समस्‍या दूर होती है और साइनस इंफेक्‍शन से बचाव होता है। यह शरीर में जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखता है।

निष्कर्ष:

गर्म पानी से स्नान, स्‍टीम लें, अभ्‍यंग और स्नेहपान जैसे आयुर्वेद‍िक उपाय अपनाएं और सर्दि‍यों में म‍िलेट्स का सेवन करें। इन उपायों की मदद से सर्दि‍यों में बीमार‍ियों से खुद को सुरक्ष‍ित रख पाएंगे।

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FAQ

  • सर्दि‍यों में भाप लेने के क्‍या फायदे हैं?

    सर्दियों में भाप लेंगे, तो कफ दोष संतुलित होगा और साइनस इंफेक्शन से बचाव है। इससे शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और सर्दी-जुकाम से बचाव होता है।
  • आयुर्वेद में घी का सेवन क्‍यों फायदेमंद है?

    आयुर्वेद में घी को स्नेहपान कहा गया है जो वात और पित्त दोष संतुलित करता है, अग्नि (पाचन शक्ति) बढ़ाता है और त्वचा, द‍िमाग व जोड़ों की मजबूती के लिए फायदेमंद माना जाता है।
  • सर्दि‍यों में इम्‍यून‍िटी कैसे बढ़ाएं?

    सर्दियों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में स्नेहपान, अभ्यंग, उष्ण अनाजों का सेवन सुझाया गया है। ये उपाय शरीर में इम्‍यून‍िटी को बढ़ाकर इंफेक्‍शन से बचाते हैं।

 

 

 

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  • Current Version

  • Nov 13, 2025 14:57 IST

    Published By : Yashaswi Mathur

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