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क्या नीम पानी, हल्दी या दूध का स्नान बच्चों के लिए सुरक्षित है? मिथ और फैक्ट जानें डॉक्टर से

शिशुओं की स्किन बेहद नाजुक होती है, ऐसे में उन्हें खास देखभाल की जरूरत होती है। यहां जानिए, क्या नीम पानी, हल्दी या दूध का स्नान बच्चों के लिए सुरक्षित है? 
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क्या नीम पानी, हल्दी या दूध का स्नान बच्चों के लिए सुरक्षित है? मिथ और फैक्ट जानें डॉक्टर से


भारत में पारंपरिक घरेलू नुस्खों का बच्चों की देखभाल में विशेष स्थान रहा है। विशेष रूप से जब बात शिशु की स्किन की आती है, तो नीम, हल्दी और दूध जैसी नेचुरल चीजों से शिशु को नहलाने की परंपरा कई घरों में आज भी फॉलो की जाती है। माना जाता है कि नीम में रोगाणुरोधी गुण (antimicrobial) होते हैं, हल्दी त्वचा को इंफेक्शन से बचाती है और दूध त्वचा को मुलायम और कोमल बनाता है। कई माता-पिता इन घरेलू उपायों को आजमते हैं और शिशु की त्वचा की रक्षा और देखभाल का सुरक्षित तरीका मानते हैं। लेकिन क्या वास्तव में यह नुस्खा हर बच्चे के लिए सुरक्षित है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने, सरीन स्किन क्लीनिक, दिल्ली के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. अंकुर सरीन (Dr. Ankur Sarin, Sarin Skin Clinic, Delhi) से बात की-

क्या नीम पानी, हल्दी या दूध का स्नान बच्चों के लिए सुरक्षित है? - Are Home Remedies Safe For Babies

दिल्ली स्थित सरीन स्किन क्लीनिक के प्रमुख डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. अंकुर सरीन के अनुसार, ''ये प्राकृतिक सामग्री पारंपरिक रूप से उपयोग की जाती रही हैं, लेकिन कुछ शिशुओं में ये एलर्जी, त्वचा पर जलन या रैशेज पैदा कर सकती हैं। बेहतर होगा कि आप बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।'' इस चेतावनी से यह स्पष्ट होता है कि प्राकृतिक या हर्बल कहे जाने वाली सभी चीजें स्वचालित रूप से सुरक्षित नहीं होती, विशेषकर नवजात या छोटे बच्चों के लिए, जिनकी त्वचा बेहद संवेदनशील यानी सेंसिटिव होती है।

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1. नीम

एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल गुणों से भरपूर नीम की पत्तियां त्वचा पर होने वाली जलन और रैश में उपयोगी साबित हो सकती हैं। लेकिन ज्यादा मात्रा में या अधिक समय तक त्वचा पर रहने से सूखापन और खुजली हो सकती है।

2. हल्दी

हल्दी सूजन और बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता रखती है और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकती है। लेकिन कुछ बच्चों में हल्दी से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है जैसे कि लाल दाने या जलन।

3. दूध

दूध त्वचा को नमी देता है, मुलायम बनाता है। लेकिन कुछ शिशुओं को कच्चे दूध से समस्या हो सकती है।

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पैच टेस्ट है जरूरी

डॉ. अंकुर सरीन विशेष रूप से पैच टेस्ट करने पर जोर देते हैं। इसका मतलब है कि किसी भी नए प्रोडक्ट को शिशु की त्वचा के एक छोटे हिस्से पर 24 घंटे के लिए लगाकर देखना चाहिए। यदि वहां कोई लाली, दाने, सूजन या जलन नहीं होती, तभी उसे पूरे शरीर पर इस्तेमाल करना चाहिए। हर बच्चे की त्वचा की प्रकृति अलग होती है। कुछ को किसी खास जड़ी-बूटी से फायदा हो सकता है, तो कुछ को वही नुकसान पहुंचा सकती है। बाल रोग विशेषज्ञ बच्चे की उम्र, स्किन की स्थिति और एलर्जी हिस्ट्री के आधार पर सलाह देते हैं। घरेलू नुस्खों से पहले डॉक्टर की सलाह लेना हमेशा सुरक्षित रहता है।

निष्कर्ष

नीम, हल्दी और दूध जैसे घरेलू उपाय कई घरों में सालों से अपनाए जा रहे हैं, लेकिन आज के समय में जब एलर्जी और स्किन सेंसिटिविटी के केस बढ़ रहे हैं, तब आंख मूंदकर इन नुस्खों को अपनाना जोखिम भरा हो सकता है। हर प्रयोग से पहले पैच टेस्ट करें और बाल रोग विशेषज्ञ की राय जरूरी लें।

All Images Credit- Freepik

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