Tips for baby sleep: बड़े हों या बच्चे सबके लिए नींद बेहद जरूरी है। अगर आपका बच्चा सही समय पर नहीं सोता या फिर देर रात तक जगा रहता है तो कई समस्याएं बचपन से हो सकती हैं। ऐसे में आपको कुछ उन ट्रिक्स की मदद लेनी चाहिए जो कि आपके बच्चे के लाइफस्टाइल और उसके नींद के पैटर्न को सही करने में मदद करे जैसे कि नींद का ये 3-3-3 नियम। दरअसल, इस नियम के अनुसार आपका बच्चा समय पर सोने की आदत डाल सकता है और अपनी लाइफस्टाइल को ठीक कर सकता है। तो क्या है यह नियम और इसे कैसे फॉलो कर सकते हैं और इसके तमाम फायदे, जानते हैं इस बारे में डॉ. सुनील सरीन, पीडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलॉजी, अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल, करोल बाग, दिल्ली से।
बच्चे की नींद के लिए 3-3-3 नियम क्या है-What is 3-3-3 rule for baby sleep
डॉ. सुनील सरीन, बताते हैं कि बच्चे की नींद के लिए 3-3-3 नियम एक आसान तरीका है जो बच्चों को अच्छी और पर्याप्त नींद दिलाने में मदद करता है। इस नियम के अनुसार, बच्चे को रोजाना कम से कम 3 घंटे की लगातार नींद जरूरी होती है, यानी बच्चे को दिन के समय तीन बार लगभग तीन घंटे की नींद लेनी चाहिए। साथ ही, बच्चे को रात में कम से कम 9 घंटे की नींद भी मिलनी चाहिए। इसका मतलब है कि बच्चे को दिन में और रात में पूरी नींद मिलनी चाहिए जिससे उसका शरीर और दिमाग ठीक से विकसित हो सके। यह नियम छोटे बच्चों के लिए खासतौर पर उपयोगी होता है क्योंकि उनकी नींद नियमित और पर्याप्त होनी चाहिए।
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बच्चों के लिए कैसे फॉलो करें यह नियम-How to follow 3-3-3 rule for baby sleep
शिशु की नींद के लिए 3-3-3 नियम एक सही लाइफस्टाइल और नींद का पैटर्न सेट करने में मदद कर सकता है। इस नियम एक समान तरीका है जिसमें आपको बस कुछ टिप्स को फॉलो करते जाना है, जैसे कि
- - 3 घंटे की नींद: अपने शिशु को पर्याप्त आराम दिलाने के लिए दिन में 3 लंबे सुलाएं।
- - 3 घंटे जागना: इस दौरान अपने शिशु को खेल और बातचीत में व्यस्त रखें।
- - 3 घंटे की नींद: जागने के बाद एक और अंतराल के साथ बच्चे को सुलाएं।
3-3-3 नियम के फायदे-3-3-3 rule benefits
डॉ. सुनील सरीन, बताते हैं कि 3-3-3 नियम बच्चे की ऊर्जा और मूड को संतुलित रखने में सहायता करता है और उसकी पूरी ग्रोथ में मदद करता है। इसलिए, इसे पालन करने से बच्चे की सेहत और विकास दोनों बेहतर होते हैं। इसके अलावा माता-पिता को अपने दिन की बेहतर योजना बनाने में मदद करती है जिससे वर्किंग पेरेंट्स को थोड़ी आसानी होती है। इसके अलावा इसके अन्य फायदे भी हैं, जैसे कि
- -यह शिशुओं और माता-पिता दोनों के लिए नींद की गुणवत्ता और अवधि को बढ़ाती है जिससे दोनों स्ट्रेस फ्री और रिलैक्स रहते हैं।
- - यह तरीका बच्चे के भावनात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है जिससे बच्चे चिड़चिड़े नहीं होते और ज्यादा खुशहाल रहते हैं।
- - यह शिशुओं को खुद को शांत करने और स्वतंत्र रूप से सोना सिखाती है जिससे बच्चे के ब्रेन ग्रोथ का भी बढ़ावा मिलता है।
- - यह पर्याप्त आराम के माध्यम से संज्ञानात्मक और शारीरिक विकास को बढ़ावा देता है।
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फॉलो करते समय इन बातों का रखें ध्यान
अपने शिशु की जरूरतों के आधार पर एक नियमित नींद का कार्यक्रम बनाएं। सुनिश्चित करें कि नींद का वातावरण आराम के लिए अनुकूल हो, जिसमें कम से कम शोर और उत्तेजना हो ताकि उसकी नींद बार-बार न टूटे। अपने शिशु को खुद से शांत होने का समय दें और नियमित और धैर्यवान रहें, क्योंकि नींद की ट्रेनिंग में समय लग सकता है। इसके अलावा, माता-पिता को बच्चे के सोने का समय नियमित रखना चाहिए और सोने से पहले के समय को शांतिपूर्ण बनाना चाहिए ताकि बच्चा आराम से सो सके।
FAQ
छोटे बच्चे को हिचकी क्यों आती है?
छोटे बच्चों को डायाफ्राम यानी पेट और छाती के बीच की मांसपेशी काफी पतली होती है और जब वह जल्दी-जल्दी दूध पीते हैं तो हवा नली में फंस जाती है जिससे उन्हें हिचकी आती है।नवजात शिशु को नींद नहीं आती तो क्या करना चाहिए?
नवजात शिशु अगर सही से नहीं सो रहा और उसे कोई दिक्कत हो रही है तो आप पहले उसे एक शांत, अंधेरा और नियंत्रित तापमान वाला वातावरण बनाएं, दिन-रात और उसे सुलाने की कोशिश करें।नवजात शिशु अंगड़ाई क्यों लेते हैं?
नवजात शिशु की अंगड़ाई लेने के पीछे कई कारण होते हैं जैसे कि नींद आ रही है, थकान हो गई है, गैस पास करने के लिए या फिर कई बार वह अपनी मर्जी से अंगड़ाई लेते हैं।