शिशुओं की त्वचा बहुत ही नाज़ुक होती है और उनके शरीर की इम्यूनिटी भी उम्र के साथ धीरे-धीरे विकसित होती है। ऐसे में बाजार के केमिकल युक्त साबुन, शैंपू या बॉडीवॉश उनकी स्किन पर बुरा असर डाल सकते हैं। इसलिए कई पेरेंट्स अब नेचुरल विकल्पों की ओर लौट रहे हैं और हर्बल बाथ यानी आयुर्वेदिक स्नान एक बेहतरीन उपाय के रूप में सामने आ रहा है। यह न सिर्फ शिशु की त्वचा की कोमलता को बनाए रखता है, बल्कि उसे कई प्रकार के इंफेक्शन, रैशेज और खुजली से भी दूर रखता है। पुराने समय में दादी-नानी, घरों में बच्चों को नीम, हल्दी, बेसन और दूध जैसे घरेलू और आयुर्वेदिक उपायों की मदद से नहलाती थीं, जिससे उनका शारीरिक विकास बेहतर होता था और त्वचा प्राकृतिक रूप से स्वस्थ बनी रहती थी। आज भी अगर हम इन प्राचीन तरीकों को थोड़ा आधुनिक रूप देकर अपनाएं, तो बच्चों को केमिकल्स से बचाते हुए नेचुरल सुरक्षा दे सकते हैं। खास बात यह है कि हर्बल स्नान सिर्फ बाहरी सफाई के लिए नहीं होता, यह शरीर को ठंडक, सुकून और प्राकृतिक खुशबू भी देता है, जो बच्चों को बेहतर नींद और आराम देने में मदद करता है। इस लेख में हम जानेंगे शिशुओं के लिए हर्बल बाथ या आयुर्वेदिक स्नान के फायदे, प्रक्रिया और जरूरी सावधानियां। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने हरियाणा के सिरसा जिले के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा से बात की।
शिशु के लिए फायदेमंद है आयुर्वेदिक स्नान चूर्ण- Ayurvedic Snana Churna For Babies
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में स्नान को केवल साफ-सफाई का जरिया नहीं, बल्कि शरीर और मन को संतुलित करने वाली दिनचर्या माना गया है। खासकर स्नान चूर्ण (उबटन) का वर्णन शास्त्रों में किया गया है, जिसे शरीर पर मलकर फिर स्नान किया जाता है। यह न केवल त्वचा को मुलायम बनाता है, बल्कि शरीर की अशुद्धियों को भी बाहर निकालता है। जब बात शिशुओं की होती है, तो उनकी कोमल त्वचा और नाजुक शरीर को केमिकल-मुक्त और प्राकृतिक देखभाल की जरूरत होती है। आयुर्वेदिक स्नान से बच्चों को मानसिक सुकून और बेहतर नींद भी मिलती है, जो उनके विकास के लिए जरूरी है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि आयुर्वेदिक बाथ न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि शिशुओं के लिए बेहद फायदेमंद भी है, बशर्ते इसका इस्तेमाल सावधानी के साथ किया जाए। भारत में शिशुओं को हर्बल बाथ देना एक बहुत पुरानी और अब भी प्रचलित परंपरा है, खासकर ग्रामीण इलाकों और पारंपरिक परिवारों में।
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हर्बल स्नान के फायदे- Herbal Bath Benefits For Babies
- नीम, हल्दी और तुलसी जैसी जड़ी-बूटियां बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन से बचाव करती हैं।
- दूध, नारियल का दूध और गुलाब जल त्वचा को पोषण देते हैं और स्किन ड्राईनेस से बचाते हैं।
- बेसन और एलोवेरा जैसी सामग्रियां स्किन रैशेज और खुजली को दूर करती हैं।
- हर्बल स्नान की खुशबू, शिशु को सुकून देती है और अच्छी नींद लाने में मदद करती है।
- आयुर्वेद के अनुसार, हर्बल बाथ शरीर की एनर्जी और रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।
शिशुओं के लिए हर्बल स्नान की प्रक्रिया- Herbal Bath Procedure For Babies
- पहले से तय कर लें कि किस जड़ी-बूटी या सामग्री का इस्तेमाल करना है, जैसे नीम, दूध या बेसन।
- एक बाल्टी गुनगुना पानी लें और उसमें चुनी गई सामग्री मिलाएं। उदाहरण के लिए- नीम की पत्तियां उबालकर पानी या दूध में मिलाएं।
- शिशु के शरीर पर हल्के हाथों से वह हर्बल मिश्रण लगाएं, मालिश जैसा न करें।
- शरीर को नर्म कपड़े या अपने हाथों से धीरे-धीरे धोएं।
- स्नान के बाद शिशु को नर्म तौलिये से पोछें और तुरंत कपड़े पहनाएं।
हर्बल बाथ में इस्तेमाल करें ये 10 चीजें- Herbal Bath Ingredients For Babies
लखनऊ के विकास नगर में स्थित प्रांजल आयुर्वेदिक क्लीनिक के डॉ मनीष सिंह ने बताया कि हर्बल बाथ के लिए कई ऐसी सामग्रियां हैं, जो शिशुओं के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं। जैसे- दूध, नीम, एलोवेरा, तुलसी, कोकोनट मिल्क आदि। आइए ऐसी 10 सामग्रियों के बारे में जानते हैं-
1. मिल्क बाथ- Milk Bath
- यह त्वचा को मॉइश्चराइज करता है।
- यह त्वचा में नर्मी और चमक को बढ़ाता है।
- थोड़ा सा कच्चा दूध गुनगुने पानी में मिलाएं और शिशु को इससे स्नान कराएं। इससे त्वचा मुलायम और चमकदार बनती है।
2. नीम स्नान- Neem Bath
- इसमें एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं।
- नीम की कुछ पत्तियां उबालें और उस पानी को ठंडा करके नहाने के पानी में मिलाएं। यह त्वचा को इंफेक्शन से बचाता है।
3. एलोवेरा स्नान- Aloe Vera Bath
- स्किन को हाइड्रेट करता है।
- ताजे एलोवेरा जेल को पानी में मिलाकर हल्के हाथों से शिशु के शरीर पर लगाएं, फिर धो दें। यह स्किन रैशेज और खुजली को दूर करने में मदद करता है।
4. तुलसी स्नान- Tulsi Bath
- यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- 6-7 तुलसी की पत्तियां पानी में डालकर उबालें, छानकर गुनगुना करें और शिशु को स्नान कराएं। यह सर्दी-जुकाम से बचाव करने में मदद करता है।
5. चंदन स्नान- Sandalwood Bath
- स्किन इरिटेशन से राहत दिलाता है।
- थोड़ा चंदन पाउडर गुनगुने पानी में मिलाएं। यह स्किन को ठंडक देता है और खुजली से राहत देता है।
6. हल्दी स्नान- Turmeric Bath
- एंटी-बैक्टीरियल और स्किन ब्राइटनिंग गुण होते हैं।
- एक चुटकी कस्तूरी हल्दी को पानी में मिलाकर शिशु को स्नान कराएं। इससे बैक्टीरिया से बचाव होता है।
- चुटकी भर हल्दी काफी है, इससे ज्यादा मात्रा का इस्तेमाल न करें।
7. गुलाब जल स्नान- Rose Water Bath
- त्वचा को ठंडक पहुंचाता है।
- सुगंधित और रिलैक्सिंग तकनीक है।
- नहाने के पानी में कुछ बूंदें शुद्ध गुलाब जल की मिलाएं। इससे शिशु को फ्रेशनेस और हल्की खुशबू मिलेगी।
8. रॉक साल्ट बाथ- Rock Salt Bath
- यह एंटी-बैक्टीरियल है।
- बॉडी को डिटॉक्स करता है।
- एक चुटकी सेंधा नमक (Rock Salt) नहाने के पानी में मिलाएं।
- यह थकान और स्किन इंफेक्शन से राहत देता है (इसे हफ्ते में 1 बार ही इस्तेमाल करें)।
9. बेसन स्नान- Besan Bath
- हल्का क्लींजर है।
- साबुन की जगह इस्तेमाल हो सकता है।
- हल्का सा बेसन और थोड़ा दूध मिलाकर शिशु के शरीर पर मलें और पानी से धो दें।
- यह नेचुरल क्लींजर की तरह काम करता है।
10. कोकोनट मिल्क बाथ- Coconut Milk Bath
- त्वचा को सॉफ्ट और हेल्दी बनाता है।
- एलर्जी-फ्री विकल्प है।
- नारियल का दूध पानी में मिलाकर शिशु को स्नान कराएं।
- यह स्किन को नरम और एलर्जी-फ्री बनाता है।
हर्बल बाथ से संबंधित जरूरी सावधानियां- Herbal Bath Precautions For Babies
- किसी भी सामग्री को इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट करें।
- 6 महीने से छोटे शिशु के लिए केवल डॉक्टर से सलाह लेकर ही हर्बल स्नान कराएं।
- तेज या बहुत महक वाले तेल या पत्तों का इस्तेमाल न करें।
- हर दिन अलग-अलग हर्बल स्नान की जरूरत नहीं होती।
- हफ्ते में 2-3 बार इनमें से किसी एक को आजमाएं और बाकी दिन हल्के साबुन या पानी से ही स्नान कराएं।
प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से किया गया यह स्नान इंफेक्शन से बचाव, त्वचा की नमी बनाए रखने और मानसिक सुकून देने में मददगार होता है। हालांकि, हर शिशु की त्वचा अलग होती है, इसलिए किसी भी हर्बल सामग्री का इस्तेमाल करते समय सावधानी और डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
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