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फंगल इंफेक्‍शन की जांच के लिए करवाया जाता है KOH टेस्ट, जानें इसकी प्रक्रिया

KOH Fungal Test: फंगल इंफेक्‍शन की जांच के ल‍िए केओएच टेस्‍ट होता है। फंगल इंफेक्‍शन होने पर खुजली, रेडनेस, सूजन और जलन जैसे लक्षण नजर आते हैं।
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फंगल इंफेक्‍शन की जांच के लिए करवाया जाता है KOH टेस्ट, जानें इसकी प्रक्रिया


What is KOH Fungal Test: केओएच टेस्‍ट का मतलब है पोटेश‍ियम हाइड्रोक्‍साइड टेस्‍ट। इस टेस्ट का इस्‍तेमाल त्वचा, बालों या नाखूनों पर फंगल संक्रमण की पुष्टि करने के लिए किया जाता है। फंगल इंफेक्शन तब होता है जब फंगस (fungus) नाम का सूक्ष्मजीव त्वचा, नाखून, बाल या शरीर के अन्य हिस्सों पर बढ़ने लगते हैं। फंगस हमारे वातावरण में पाए जाते हैं, लेकिन कुछ स्‍थ‍ित‍ि में वे शरीर पर संक्रमण का कारण बन सकते हैं। फंगस को नमी और गर्मी में बढ़ने का मौका मिलता है। यही कारण है कि ऐसे हिस्से जैसे पैर की उंगलियों के बीच, बगल, जांघों के अंदरूनी हिस्से और शरीर के वे हिस्से जहां पसीना ज्यादा होता है, वहां फंगल इंफेक्शन होने की संभावना ज्यादा होती है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उनमें फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है। बहुत टाइट या सिंथेटिक कपड़े पहनने से शरीर के कुछ हिस्सों में नमी बनी रहती है, जिससे फंगस पनप सकता है। इस लेख में जानेंगे फंगल इंफेक्‍शन का पता लगाने के ल‍िए केओएच टेस्‍ट की प्रक्र‍िया और जानेंगे क‍ि इस टेस्‍ट की जरूरत क्‍यों पड़ती है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने ओम स्किन क्लीनिक, लखनऊ के वरिष्ठ कंसलटेंट डर्मेटोलॉज‍िस्‍ट डॉ देवेश मिश्रा से बात की।     

फंगल इंफेक्शन की पहचान कैसे होती है?- How to Identify Fungal Infection

KOH test for fungal infection

फंगल इंफेक्शन की पहचान इसके लक्षणों और जांच के आधार पर होती है। प्रमुख लक्षणों में प्रभावित क्षेत्र पर खुजली, रेडनेस, सूजन और जलन शामिल हैं। त्वचा पर सफेद, लाल, या भूरे रंग के चकत्ते दिख सकते हैं। यह चकत्ते गोल, धब्बेदार या छिलकेदार हो सकते हैं। नाखूनों में फंगल इंफेक्शन से नाखून मोटे, पीले और भंगुर हो सकते हैं, जबकि स्कैल्प पर यह बाल झड़ने और पपड़ी जमने का कारण बन सकता है।

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केओएच टेस्‍ट क्‍यों क‍िया जाता है?- Why KOH Test is Performed 

अगर डॉक्‍टर को यह संदेह है क‍ि आपको फंगल इंफेक्‍शन है, तो वे केओएच टेस्‍ट करने की सलाह दे सकते हैं। इन लक्षणों के नजर आने पर भी केओएच टेस्‍ट क‍िया जाता है-

  • अगर आपको खुजली की समस्‍या है, तो केओएच टेस्‍ट क‍िया जा सकता है।
  • त्‍वचा पर नजर आने वाले लाल चकत्तों के कारण भी केओएच टेस्‍ट क‍िया जा सकता है। 
  • स्‍कैल्‍प या त्‍वचा पर पपड़ी जमने के कारण भी केओएच टेस्‍ट की जरूरत पड़ती है।
  • नाखून का रंग बदलना भी फंगल इंफेक्‍शन का लक्षण है, ऐसे में केओएच टेस्‍ट की जरूरत पड़ सकती है।
  • पैर की उंगल‍ियों के बीच पपड़ी जमना या फफोले होने के कारण भी केओएच टेस्‍ट की जरूरत हो सकती है।

केओएच टेस्‍ट की प्रक्र‍िया- Procedure of KOH Test 

  • केओएच टेस्‍ट से पहले क‍िसी भी तरह की तैयार की जरूरत नहीं होती।
  • केओएच टेस्‍ट में त्‍वचा या प्रभाव‍ित क्षेत्र से ट‍िशू का सैंपल लेकर जांच की जाती है।
  • अगर नाखून का सैंपल ल‍िया जाता है, तो नेल पॉल‍िश को पहले हटाना होता है।
  • इसके बाद नाखून को साफ करके सैंपल ल‍िया जाता है।
  • इसी तरह बालों का सैंपल भी ल‍िया जाता है, संक्रम‍ित ह‍िस्‍से से बाल ल‍िए जाते हैं।
  • त्‍वचा पर होने वाले इंफेक्‍शन की जांच करने के ल‍िए स्‍लाइड की मदद से सैंपल ल‍िया जाता है और जांच की जाती है।
  • इसके बाद सैंपल पर कोओएच सॉल्‍यूशन डाला जाता है।
  • अगर सैंपल में फंगस या फफूंद नहीं पाया गया, तो टेस्‍ट नेगेट‍िव माना जाता है।

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