दुनिया भर के लाखों लोग जो किडनी फेल्योर से जूझ रहे हैं या जिन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत है, उनके लिए एक बड़ी खुशखबरी है। दरअसल, अमेरिकी डॉक्टर्स ने दुनिया में पहली बार इंसानों में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सूअर की किडनी का इस्तेमाल (pig kidney transplant to human) किया और वे सफल हुए हैं। जी हां, अमेरिकी सर्जनों की इस हैरतअंगेज सफलता से मेडिकल साइंस में एक नई क्रांति आने की आशा जताई जा रही है। माना जा रहा है कि इस सफलता के बाद इंसानों में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सूअर की किडनी का इस्तेमाल किया जा सकता है। बड़ी बात ये है कि यह किडनी ट्रांसप्लांट इतनी सफलतापूर्वक हुआ है कि सूअर की किडनी इंसान के शरीर में काम भी कर रही है। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सुअर के किसी अंग का इंसानों में इस्तेमाल हुआ है बल्कि सालों से सुअर के दिल के वाल्व इंसानों में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा रहा है। तो, आइए अब विस्तार से जानते हैं अमेरिकी डॉक्टर्स की इस सफलता के बारे में।
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कैसे हुआ ये कमाल- Pig kidney transplant to human
इंसानों में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सूअर की किडनी का इस्तेमाल (Pig Kidney Transplant) करने का ये कमाल कारनामा न्यूयॉर्क शहर के एनवाईयू लैंगोन हेल्थ मेडिकल सेंटर के सर्जनों का है। दरअसल, लंबे समय से वे इस दिशा में काम कर रहे थे। 25 सितंबर 2021 को इन सर्जनों ने एक सर्जरी में की जिसमें कि इन्होंने जेनेटिकली मोडिफाइड सुअर को (genetically modified donor animal) एक किडनी डोनर के रूप में इस्तेमाल किया। फिर एक ब्रेन डेड रोगी की सर्जरी की, जिसके लिए सर्जन ने परिवार से दो दिवसीय प्रयोग की अनुमति ली थी। दरअसल, डोनर सुअर में जीन्स की एडिटिंग करके उसमें शुगर प्रड्यूस करने वाले जीन को बाहर निकाला गया, जो कि एक स्ट्रांग इम्यूनिटी को ट्रिगर करता था और अंगों को रिजेक्ट करने का कारण बनता था। इससे ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक नहीं हो पाता था। इस जीन एडिटिंग को यूनाइटेड थेरेप्यूटिक्स की सहायक बायोटेक फर्म रेविविकोर (Revivicor) द्वारा किया गया था।
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ट्रांसप्लांट के बाद इंसान में कैसे काम कर रही थी सूअर की किडनी?
इस सवाल के पूछे जाने पर एक इंटरव्यू के दौरान न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी (एनवाईयू) लैंगोन में ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के निदेशक रॉबर्ट मोंटगोमरी (Robert Montgomery) ने बताया कि इसने वही किया जो इसे करना चाहिए था।'' यानी कि सूअर की किडनी ने इंसान की तरह ही काम किया और शरीर से वेस्ट प्रोडक्ट्स (अपशिष्ट) को हटा दिया और मूत्र बनाया। खास बात ये थी कि सुअर की किडनी भी क्रिएटिनिन अणु के स्तर को कम करने में सक्षम थी जो एक किडनी फेल्योर के रोगी में तब ज्यादा होता है, जब उसकी किडनी काम करना बंद कर देती है। मोंटगोमरी ने बताया कि ये सर्जरी लगभग दो घंटे तक चली।
हालांकि, सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट के बाद भी रॉबर्ट मोंटगोमरी (Robert Montgomery) का कहना है कि "यह अभी भी एक सवाल है कि अब से तीन सप्ताह, तीन महीने, तीन साल में क्या होगा।'' लेकिन इस सर्जरी से मुझे लगता है कि यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आगे की सफलता का रास्ता दिखा सकती है। '' साथ ही रॉबर्ट ने इंटरव्यू में भी बताया है कि वह अगले महीने एक साइंस मैगजीन को निष्कर्ष प्रस्तुत करने की योजना बना रहा है ताकि इसका क्लीनिक ट्रायल एक से दो सालों में हो सके।
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इस सफलता से मेडिकल साइंस नई क्रांति आने की आशा जताई जा रही है पर कुछ बाहरी विशेषज्ञों ने इस पर कोई ठोस निष्कर्ष निकालने से पहले पीयर-रिव्यू किए गए डेटा को देखने की मांग की है। दरअसल, अगर ये सर्जरी उन इंसानों में फिट बैठती है जिनकी किडनी खराब हो गई है और उन्हें ट्रांसप्लांट की जरूरत है, तो उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा। हालांकि, अभी इसकी राह थोड़ी लंबी है पर इस खबर ये हम आगे चल कर किडनी डोनर की कमी को दूर कर सकते हैं और किडनी फेल्योर के कारण होने वाली मौतों की कम कर सकते हैं।
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