लगभग 60 सालों बाद दुनिया की सबसे पुरानी और जानलेवा बीमारी मलेरिया की वैक्सीन आखिरकार दुनिया को मिल ही गयी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 6 अक्टूबर 2021 को मलेरिया के वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। अभी तक इस जानलेवा बीमारी के इलाज के लिए कोई भी वैक्सीन नहीं थी। एक आंकड़े के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत इस घातक बीमारी से होती थी। डब्ल्यूएचओ मलेरिया के पहले टीके आरटीएस, एस/एएस01 के इस्तेमाल की मंजूरी दी है जिसे अब मलेरिया से सबसे प्रभावित इलाकों में इस्तेमाल में लाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक दुनिया में मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित अफ्रीकी देशों में इसका इस्तेमाल शुरुआत में किया जायेगा। यहां पर मलेरिया के टीके का इस्तेमाल होने के बाद इसे दुनियाभर के अन्य देशों में भी पहुंचाया जायेगा। दुनियाभर में वैक्सीन का निर्माण करने वाली कुछ कंपनियों के साथ मिलकर विश्व स्वास्थ्य संगठन इसके प्रोडक्शन की योजना बना रहा है। सदियों बाद दुनिया को मलरिया की वैक्सीन मिलना मेडिकल साइंस के लिए बड़े गर्व की बात है। आइये विस्तार से जानते हैं मलेरिया की पहली वैक्सीन RTS,S के बारे में।
मलेरिया की पहली वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी (WHO Approved World First Malaria Vaccine)
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया की सबसे पुरानी बीमारियों में से एक मलेरिया के वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। इस वैक्सीन का नाम Mosquirix है। सबसे पहले इस वैक्सीन का ट्रायल घाना, कीनिया और मलावी में किया गया था जिसके बाद इसके सकारात्मक परिणाम आने पर डब्ल्यूएचओ ने इसके इस्तेमाल की मंजूरी दी है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहोनम गेब्रियेसस ने कहा कि, ""मलेरिया को रोकने के लिए मौजूदा उपकरणों के साथ इस टीके का उपयोग करने से हर साल हजारों युवाओं की जान बचाई जा सकती है।" इस टीके को सिर्फ मलेरिया ही नहीं कई परजीवियों से होने वाली बीमारियों के लिए विकसित किया गया है। परजीवी वायरस या बैक्टीरिया की तुलना में बहुत अधिक जटिल होते हैं। इस टीके की खोज पिछले कई दशकों से की जा रही थी।
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Mosquirix वैक्सीन क्या है? (What Is Mosquirix?)
मिली जानकारी के मुताबिक मलेरिया की पहली वैक्सीन जिसे डब्ल्यूएचओ ने मंजूरी दी है वह एक प्रकार का टीका है जो बच्चों में इस्तेमाल किया जायेगा। हर साल दुनियाभर में लाखों बच्चों की मौत मलेरिया के कारण होती है। इसके देखते हुए बच्चों के लिए दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन को अनुमति दी गयी है। यह वैक्सीन 6 सप्ताह से लेकर 17 महीने की उम्र के बच्चों को दी जाएगी। Mosquirix एक परजीवी वैक्सीन है जो मलेरिया के अलावा हेपेटाइटिस बी वायरस से लीवर के संक्रमण से बचाने में भी मदद कर सकती है। इस वैक्सीन को 1987 में ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा विकसित किया गया था। जिसके बाद इसको लेकर हुए ट्रायल के सकारात्मक परिणाम आने पर इसको मंजूरी दी गयी है। बच्चों को इस वैक्सीन का चार खुराक दिया जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस वैक्सीन से अफ्रीकी देशों में मलेरिया के खिलाफ बड़ा असर हो सकता है इसलिए इसका सबसे पहले सब सहारन और अफ्रीकी देशों में इस्तेमाल किया जायेगा जहां पर मलेरिया के अधिक मामले हैं। इस वैक्सीन के पायलट कार्यक्रम में केन्या, घना और मालावी में विश्व स्वास्थ्य संगठन की देखरेख में 2.3 मिलियन डोज दी गयी थी।
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कैसे काम करती है मलेरिया की यह वैक्सीन? (How Does Mosquirix Work?)
WHO द्वारा मंजूर मलेरिया की पहली वैक्सीन की 4 डोज बच्चों को दी जाएगी। इसका इस्तेमाल शुरुआत में सब-सहारा और अफ्रीकी देशों में किया जायेगा। यह वैक्सीन परजीवी की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन के इस्तेमाल से बनी है। इसके इस्तेमाल से प्लाच्मोडियम फैल्सिपेरम को बेअसर कर दिया जा सकता है जो कि मलेरिया फैलाने वाले 5 प्रमुख पैरासाइट्स में से एक है। प्लाच्मोडियम फैल्सिपेरम को एक खतरनाक पैरासाइट माना जाता है। बच्चे को इसका डोज देने के बाद उनके शरीर में इसके खिलाफ एंटीबॉडी का निर्माण होता है और इससे उनकी रक्षा होती है।
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Mosquirix का कैसे किया जाता है इस्तेमाल? (How Is Mosquirix Used?)
मलेरिया के खिलाफ प्रभावी बताई जा रही वैक्सीन Mosquirix का इस्तेमाल मांसपेशियों में किया जाता है। इसे एक 0.5 ML के इंजेक्शन के रूप में कंधे या जांघ की मांसपेशियों यानी डेल्टॉइड में लगाया जाता है। हर बच्चे को इस इंजेक्शन की चार डोज दी जाएगी और इसे एक महीने के गैप के बाद लगाया जायेगा। तीन डोज देने के बाद चौथा डोज तीसरा डोज लगने के 18 महीने बाद दिया जायेगा।
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कितनी है इस वैक्सीन की इफिकेसी? (Efficacy Of Mosquirix?)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक बच्चों में मलेरिया के गंभीर मामलों को रोकने के लिए यह वैक्सीन 30 प्रतिशत प्रभावी है। लेकिन इसे दुनिया का एकमात्र स्वीकृत टीका होने के कारण इस्तेमाल में लाया जा रहा है। इसकी मंजूरी देने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि इस वैक्सीन का जोखिम बेहद कम है और इसके फायदे अधिक हैं। वैक्सीन के लगने से कुछ लोगों में हल्के बुखार की समस्या हो सकती है लेकिन माइल्ड मामलों में मलेरिया से बचाव के लिए यह वैक्सीन प्रभावी मानी जा रही है।
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मलेरिया क्या है? (What Is Malaria?)
मलेरिया एक ऐसा रोग है जो मादा 'एनोफिलीज' मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर गंदे और दूषित पानी में पनपते हैं जो उड़कर हम तक पहुंचते हैं। डेंगू के मच्छर का काटने का समय जहां सूर्यास्त से पहले होता है वहीं, मलेरिया फैलाने वाले मच्छर सूर्यास्त के बाद काटते हैं। आमतौर पर मलेरिया का रोग अप्रैल से शुरू हो जाता है लेकिन जुलाई से नवंबर के बीच में यह रोग अपने चरम पर होता है। यानि कि इसी दौरान लाखों लोग इसकी चपेट में आते हैं।
दुनिया में मलेरिया का इलाज (Malaria Treatment)
अगर समय रहते काबू पा लिया जाए तो मलेरिया का इलाज ज्यादा मुश्किल नहीं है। मलेरिया के इलाज में ऐंटिमलेरियल ड्रग्स और लक्षणों को नियंत्रण में लाने के लिए दवाएं, जरूरी टेस्ट, घरेलू नुस्खे और तरल पदार्थ व इलेक्ट्रोलाइट्स शामिल होते हैं। मलेरिया के इलाज के लिए हर मरीज के लिए एक सी दवा नहीं होती है। बल्कि डॉक्टर इंफेक्शन के स्तर और क्लोरोक्वाइन प्रतिरोध की संभावना को देखते हुए दवा बताते हैं। मलेरिया में दी जाने वाली दवाओं में क्विनीन, मेफ्लोक्विन व डॉक्सीसाइक्लिन शामिल होता है। फाल्सीपेरम मलेरिया से ग्रस्त लोगों के लक्षण सबसे गंभीर होते हैं। इससे ग्रस्त लोगों को इलाज के शुरुआती दिनों में ICU में भर्ती होना पड़ सकता है। इस रोग में श्वास की विफलता, कोमा और किडनी की विफलता भी हो सकती है। गर्भवती महिलाओं में, क्लोरोक्विन का इस्तेमाल मलेरिया के लिए उपर्युक्त इलाज माना जाता है। अब इस वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति मिलने से दुनिया की उम्मीदें फिर से जाग गयी हैं।
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