मलेरिया परजीवी अलग-अलग रूपों में शरीर पर अलग-अलग प्रभाव डालते है। जिनको कई जांचों के बाद पहचाना जाता है कि मलेरिया का प्रकार क्या है। 

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Malaria Mosquitoes: 4 तरह के होते हैं मलेरिया के मच्‍छर, जानें कौन सा मच्‍छर है जानलेवा

मलेरिया परजीवी अलग-अलग रूपों में शरीर पर अलग-अलग प्रभाव डालते है। जिनको कई जांचों के बाद पहचाना जाता है कि मलेरिया का प्रकार क्या है। 

Atul Modi
Written by: Atul ModiUpdated at: Aug 20, 2020 08:03 IST
Malaria Mosquitoes: 4 तरह के होते हैं मलेरिया के मच्‍छर, जानें कौन सा मच्‍छर है जानलेवा

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बदलते परिवेश में नई-नई बीमारियां जन्म ले रही है। कुछ बीमारियां ऐसी होती है जिनके अलग-अलग रूप होते है। ऐसे में उनकी पहचान करना काफी मुश्किल हो जाता है। मलेरिया बुखार एक ऐसा वायरस है जिसके कई रूप है। मलेरिया परजीवी विभिन्‍न रूपों में शरीर पर अलग-अलग प्रभाव डालते है। जिनकी पहचान कई परीक्षणों के बाद हो पाती है। शरीर पर काटने वाला मलेरिया परजीवी किस कैटेगिरी का है, यह समझना हमारे लिए बहुत जरूरती है। आइए जानें मलेरिया कितने रूपों में फैलता है।  

मलेरिया के परजीवी को सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। अगर आपको मलेरिया है तो आपकी रक्त की एक बूंद में ही सैकड़ों परजीवियों को देखा जा सकता है। मलेरिया पूरी दुनिया में फैला हुआ है। प्रतिवर्ष भारी संख्या् में लोग मलेरिया से ग्रसित होते हैं और आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में लगभग 12 लाख लोग प्रतिवर्ष मलेरिया से मरते हैं। हालांकि यह भी उम्मीद की जा रही है कि आने वाले सालों में मलेरिया का जड़ से सफाया किया जा सकेगा।

मलेरिया परजीवियों की मुख्यतः चार प्रजातियां हैं: 

  • प्लाज्मोडियम विवाक्स 
  • प्लाज्मोडियम ओवेल 
  • प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम 
  • प्लाज्मोडियम मलेरिया

प्लाज्मोडियम विवाक्स 

मलेरिया परजीवी की ये प्रजाति सामान्य रूप से अधिक होती है। ये मच्छरों द्वारा काटने पर हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। मच्छरों की ये प्रजाति भीड़भाड़ वाले इलाकों, गन्दे नालों, अंधेरी जगहों में अधिक पनपते है। मादा एनाफिलीज मच्छर अंधेरा होने पर काटते है। शरीर में ये प्रजाति दो रूपों से मलेरिया फैलाने में सक्षम होते हैं एक तो लीवर में और दूसरा रक्त कणों के माध्यम से। दोनों ही अवस्थाओं में लीवर और रक्त कण प्रभावी होते हैं जिससे मलेरिया लगतार बढ़ता रहता है।

प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम 

गंभीर मलेरिया विशेष रूप से पी फाल्सीपेरम के कारण होता है और आमतौर पर संक्रमण के बाद 6-14 दिन रहता है। इस प्रजाति से मलेरिया फैलने के बाद पीड़ित या तो कोमा में जा सकता है या फिर कुछ घंटों/दिनों के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है। सबसे अधिक मलेरिया भी इसी परजीवी के माध्यम से फैलता है।

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प्लाज्मोडियम ओवेल 

ये मलेरिया के पुराने परजीवी हैं। लेकिन ये मनुष्य के लिए बहुत ज्यादा घातक नहीं है। ये सिर्फ मामूली मलेरिया ही फैलाते हैं इनसे मौत का खतरा नहीं रहता।

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प्लाज्मोडियम मलेरिया

इसके अतिरिक्त मलेरिया की एक और प्रजाति है जो मलेरिया फैलाने में अपनी भूमिका अदा करता है वह है प्लाज्मोडियम मलेरिया

मलेरिया के ये सभी रूप ''प्लाज्मोडियम'' प्रजाति के इस समूह में आम तौर पर मलेरिया परजीवी के नाम से जाने जाते हैं जो लोगों में मलेरिया फैलाने में अपनी अहम भूमिका अदा करते हैं।

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