
साल 2020 के जनवरी महीने से दुनिया के कई देशों में कोरोनावायरस (SARS CoV2) संक्रमण के मामले देखे जाने शुरू हुए थे। यह पहली बार था जब चीन से बाहर इस संक्रमण के मामले फैलना शुरू हो गए थे। उसी साल मार्च के महीने में इस घातक वायरस के संक्रमण के प्रसार को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित कर दिया था। तब से ही कोरोनावायरस महामारी के मामले लगातार बढ़ रहे थे। करोड़ों लोगों को संक्रमित करने और लाखों लोगों की जान लेने के बाद अब देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। इस वायरस के खिलाफ देश भर में तेजी से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इन सबके बीच कोरोना वायरस संक्रमण के तीसरी लहर की आशंका भी व्यक्त की गयी थी। दुनियाभर के वैज्ञानिक और डॉक्टर्स इसके तीसरी लहर को अधिक संक्रामक और जानलेवा मान रहे थे। ICMR के वैज्ञानिकों की तरफ से भी देश को आगाह करते हुए कहा गया था कि अक्टूबर और नवंबर के महीने में त्योहारों की वजह से कोरोनावायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है और इसी को तीसरी लहर का कारण भी बताया गया था। लेकिन अब कुछ एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिकों का मानना है कि तीसरी लहर अब कमजोर होती दिख रही है लेकिन अभी भी यह महामारी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।
डेल्टा वैरिएंट का असर हुआ कम
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देश में दूसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा कहर कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने मचाया था। लेकिन अब तमाम कोविड-19 के विशेषज्ञ डॉक्टर और एक्सपर्ट यह मानते हैं कि इस वैरिएंट का संक्रमण दर और इसका प्रभाव खत्म हो रहा है। सोनीपत में स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के बायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ गौतम मेनन के मुताबिक, "अब तक मौजूद डेटा के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट की जगह अब दूसरे नए वैरिएंट ने ले ली है। इस वैरिएंट में 5 और 6 के बीच मौजूद ट्रांसमिसिबिलिटी फैक्टर की वजह से अब इस वैरिएंट का प्रभाव कम हो गया है। वर्तमान स्थिति और मौजूद डेटा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वायरस के संक्रमण की दर में तो कमी आई ही है। इसके साथ ही दोनों लहरों के बीच के गैप के आधार पर वायरोलॉजिस्ट और एक्सपर्ट्स ने यह कहा था कि अक्टूबर या नवंबर महीने में तीसरी लहर की आशंका है लेकिन अब इसके कमजोर पड़ने का अंदाजा लगाया जा रहा है। वहीं दिल्ली स्थिति अपोलो हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विभाग के डॉ तरुण साहनी के मुताबिक भले ही देश में कोरोना के मालों में कमी आई है लेकिन ऐसे समय में लोगों को लापरवाही बिलकुल भी नहीं बरतनी चाहिए। वायरस के खिलाफ लगने वाली सभी वैक्सीन पर भरोसा कर लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज जरूर लेने चाहिए। इसके अलावा तीसरी लहर के कमजोर होने की बात भी डॉ साहनी ने कही।
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टीकाकरण है जरूरी
अभी तक के मौजूद डेटा और कोरोना संक्रमण के दिख रहे मामलों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि कोरोना के एक और लहर का संकेत दिखाई नहीं दे रहा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तीसरी लहर का खतरा बिलकुल ही खत्म हो गया है। दिल्ली स्थित एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी कहा था कि अक्टूबर के महीने में हुए जेनेटिक अनुक्रमण और कई अन्य अध्ययन वायरस के नए वैरिएंट या नए स्ट्रेन की जानकारी नहीं दे रहे हैं। नया वैरिएंट या नया स्ट्रेन न मिलने के कारण यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब कोरोना की तीसरी लहर को कोरोना से बचाव के उपाय का पालन करते हुए कम किया जा सकता है। सरकार और हेल्थ एक्सपर्ट्स दोनों ने लोगों से यह अपील की है कि जब तक कोरोना के खिलाफ हो रहा टीकाकरण अभियान पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता है तब तक लोगों को ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए। डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि वैक्सीन की दोनों डोज का लेना सभी के लिए बहुत जरूरी है। डॉ गुलेरिया ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, "कोरोना वायरस के जीनोमिक अनुक्रमण के सैंपल का रोजाना अध्ययन किया जा रहा है। और यह अच्छी बात है कि नोवेल कोरोनावायरस के नए वैरिएंट या नए स्ट्रेन की उत्पत्ति का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।"
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पिछले दिनों अमेरिका में मिला था नया वैरिएंट
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने इस बात की पुष्टि की है कि अमेरिका में कोरोना का नया वैरिएंट R.1 तेजी से फैल रहा है। इससे पहले इस खतरनाक वायरस के डेल्टा वैरिएंट ने भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में तबाही मचाई थी लेकिन अब R.1 वैरिएंट के खतरे को देखते हुए हेल्थ एक्सपर्ट्स ने चिंता जाहिर की है। माना जा रहा है कि कोरोना का यह स्ट्रेन SARS-CoV-2 से जुड़ा हुआ है और इस स्ट्रेन की संक्रमण क्षमता पिछले सभी वैरिएंट के मुकाबले अधिक है। हालांकि अभी R.1 वैरिएंट को लेकर तमाम अध्ययन जारी हैं। अमेरिका के तमाम स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोरोना के इस नए वैरिएंट को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं और उनका मानना है कि यह वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट से अधिक खतरनाक साबित हो सकता है।
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2 से 18 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन की मंजूरी
कोरोना से बचाव के लिए अबतक 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जाती थी। लेकिन अब जल्द ही कोरोना से निपटने के लिए छोटे बच्चों (2 से 18 वर्ष) को भी वैक्सीन लगाई जाएगी। जी हां, केंद्र सरकार ने 2 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए स्वदेसी (Bharat Biotech) कोवैक्सीन को मंजूरी दे दी है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के मुताबिक, कोवैक्सिन की 2 डोज बच्चों को दी जाएंगी। हालांकि, फिलहाल बच्चों को वैक्सीन देने की पूरी गाइडलाइन जारी नहीं की गई है। जल्द ही इसकी पूरी डिटेल जारी कर दी जाएगी। कोवैक्सिन के ट्रायल में काफी पॉजिटिव रिजल्ट आए हैं, जिसकी वजह से डीजीसीआई ने बच्चो को वैक्सीनेशन की अनुमति दे दी है। कोवैक्सिन के ट्रायल में बच्चों पर इसके साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिले हैं। फिलहाल इस वैक्सीन को लेकर जल्द ही गाइड-लाइन जारी की जाएगी।
सबसे पहले जापान में मिला था R.1 वैरिएंट
दुनिया में सबसे पहले जापान में कोरोना वायरस संक्रमण के R.1 वैरिएंट के मामले देखे गए थे। जापान में पिछले साल इस वैरिएंट के मामलों की पुष्टि हुई थी जिसके बाद यह यह दुनिया के 35 देशों में फैल चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस वैरिएंट से अब तक कुल 10000 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। सीडीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना का यह नया वैरिएंट अमेरिका में अप्रैल 2021 से ही मौजूद है। इस वैरिएंट को लेकर की जा रही स्टडी अभी भी जारी है लेकिन अब तक सीडीसी ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में नहीं डाला है।
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देश में कोरोनावायरस संक्रमण के मौजूद स्थिति की बात करें तो पिछले 24 घंटे में आये मामले 8 महीने में सबसे कम मामले हैं। सोमवार की सुबह केंद्र सरकार की तरफ से जारीआंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोरोना के कुल 13,596 नए कोरोना केस आए और 166 कोरोना संक्रमितों की जान गयी। पिछले 24 घंटे में 19,582 लोग कोरोना से ठीक भी हुए हैं।
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