डॉक्टरों को ऐसी भगवान का दर्जा नहीं दिया जाता है। डॉक्टर मरीज की जान बचाने में आखिरी दम तक कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। मेडिकल साइंस और डॉक्टरों ने एक बड़ी उपलब्धी पाई है, जहां किडनी खराब होने के बाद डॉक्टरों ने एक 62 वर्षीय मरीज में सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट कर उसकी जान बचाई है। कई असफल प्रयासों के बाद डॉक्टरों ने यह सफलता हांसिल की है। दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है, जहां इंसान को सूअर की किडनी लगाई गई है। आइये विस्तार से जानते हैं इस मामले के बारे में।
दो हफ्तों बाद अस्पताल से हुआ डिसचार्ज
62 वर्षीय रिचार्ड स्लायमैन को सुअर की किडनी लगाने के दो हफ्तों बाद बुधवार को अस्पताल से डिसचार्ज कर दिया गया है। वैज्ञानिकों और हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो इस तरह के सफल किडनी ट्रांसप्लांट के बाद ट्रांसप्लांट की दुनिया में कई चीजें बदल सकती हैं। इससे पहले भी दो मरीजों में सुअर का हार्ट लगाने के प्रयास किए गए थे, लेकिन कुछ ही हफ्तों के भीतर दोनों मरीजों की मौत हो गई।
ठीक तरह से काम कर रही है किडनी
इस किडनी ट्रांसप्लांट को करने के बाद डॉक्टर भी हैरान रह गए। डॉक्टरों की मानें तो रिचार्ड की किडनी बिलकुल सामान्य तरीके से काम कर रही है। यह किडनी बेशक सुअर की है, लेकिन इसके सभी फंक्शन्स बिलकुल सामान्य हैं। यह किडनी यूरीन करने के साथ-साथ शरीर से टॉक्सिन्स को भी निकाल रही है। यह खून में जमा गंदगी का सफाया करने के साथ ही तरल पदार्थों को भी बैलेंस रखने में मदद कर रही है। ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है। फिलहाल वह पूरी तरह से फिट है।
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किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत क्यों पड़ती है?
- किडनी ट्रांसप्लांट करने की जरूरत आमतौर पर किडनी के सभी फंक्शन्स काम करने बंद कर देने पर पड़ती है।
- अगर मरीज को डायलसिस पर रखने के बाद भी आराम नहीं मिले तो ऐसे में किडनी ट्रांसप्लांट करने की आवश्यकता पड़ती है।
- क्रॉनिक डिजीज या फिर किडनी फेलियर होने के बाद मरीज की जान बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है।