अभिनेता सलमान खान हैं बोन-मैरो डोनेट करने वाले पहले भारतीय, जानें कैसे उन्होंने बचाई थी एक बच्ची की जान

सलमान खान ने कुछ साल पहले अपना बोन मैरो देकर एक छोटी बच्ची की जान बचाई थी। आइये जानते हैं बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत कब पड़ती है।
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अभिनेता सलमान खान हैं बोन-मैरो डोनेट करने वाले पहले भारतीय, जानें कैसे उन्होंने बचाई थी एक बच्ची की जान


Salman Khan Donated Bone Marrow: बॉलीवुड के दिग्गज सुपरस्टार सलमान खान को ऐसे ही भाईजान नहीं कहा जाता है। वे अक्सर अपने अच्छे कामों और चैरिटी को लेकर लाइमलाइट में बने रहते हैं। सलमान अपने चाहने वालों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। वे फिल्मों से होने वाली कमाई का अच्छा खासा हिस्सा चैरिटी में देते हैं। आमतौर पर भी वे जरूरतमंद लोगों की मदद करते रहते हैं, लेकिन बात जब छोटे बच्चों की आती है तो सलमान अपना सबकुछ लुटाने तक को तैयार हो जाते हैं। सलमान ने कुछ साल पहले अपना बोन मैरो देकर एक छोटी बच्ची की जान बचाई थी, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। 

बोन मैरो देने वाले पहले भारतीय बने 

सलमान बोन मैरो देकर बच्ची की जान बचाने वाले पहले भारतीय हैं। उनसे पहले यह नेक काम देश में किसी ने नहीं किया था। दरअसल, कुछ साल पहले पूजा नाम की एक बच्ची को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत थी (When Bone Marrow Transplant Needed), जिसके बाद सलमान अपनी पूरी फुटबॉल टीम के साथ बच्ची की मदद के लिए आगे आए। लेकिन बाकी लोगों ने बोन मैरो डोनेट करने से मना कर दिया था, जिसके बाद सलमान और उनके भाई अरबाज खान ने बच्ची को बोन मैरो डोनेट की। इसके लिए सलमान ने बोन मैरो डोनर रजिस्ट्री करवाई और भारत के पहले बोन मैरो डोनर बने। MDRI के बोर्ड मेंबर में एक डॉ. सुनील पारेख ने इस बात का खुलासा किया। 

 

 

 

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क्या होता है बोन मैरो? 

बोन मैरो शरीर में हड्डियों के बीच एक खाली जगह होती है, जहां से रक्त बनता है। इसे ब्लड सेल फैक्ट्री (Blood Cell Factory) भी कहा जाता है। अगर बोन मैरो हेल्दी है और सुचारू रूप से काम कर रही है तो वो शरीर में रक्त का निर्माण बेहतर तरीके से करती है। बोन मैरो रक्त बनाती है, जिससे शरीर में प्लेटलेट्स, लाल रक्त कोशिकाएं और सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है। बोन मैरो आमतौर पर हड्डियों के बीच के हिस्से में पाई जाती है। यह एक प्रकार के स्पंजी टिशु के समान होती है। 

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बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत कब पड़ती है? 

  • बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत आमतौर पर ल्यूकोमिया के साथ-साथ अन्य कई तरह के कैंसर होने पर पड़ती है। 
  • कई बार एनीमिया (खून की कमी) होने पर भी बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत पड़ती है। 
  • थैलेसीमिया से बचाने के लिए भी डॉक्टर द्वारा बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने की जरूरत पड़ती है। 
  • अगर आपने कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट की हाई डोज ली हैं तो ऐसे में बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत पड़ सकती है। 

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